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ऊंची हुई शिक्षाकी उड़ान

मिसाल एक : बुद्धि विहार कॉलोनी के सेक्टर तीन का एक झोपड़ीनुमा मकान। परिवार के मुखिया कंचन की युवावस्था में ही मौत होने से कच्चा परिवार चुनौतियों से घिर गया। दो बेटे नीरज व सोनम की पढ़ाई पाचवीं कक्षा पर अटक गई।

By Edited By: Published: Sat, 29 Sep 2012 11:03 AM (IST)Updated: Sat, 29 Sep 2012 11:23 AM (IST)
ऊंची हुई शिक्षाकी उड़ान

मुरादाबाद, [संजय पाण्डेय]।

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मिसाल एक : बुद्धि विहार कॉलोनी के सेक्टर तीन का एक झोपड़ीनुमा मकान। परिवार के मुखिया कंचन की युवावस्था में ही मौत होने से कच्चा परिवार चुनौतियों से घिर गया। दो बेटे नीरज व सोनम की पढ़ाई पाचवीं कक्षा पर अटक गई। घर चलाने के लिए कंचन की पत्नी गुड़ियां ने चौका-बर्तन का काम किया और सबसे छोटे बेटे सुमित की स्कूलिंग जारी रखने में कामयाबी हासिल कर ली।

मिसाल दो : काशीराम नगर पॉकेट थ्री में गरीबों के लिए बने नि:शुल्क मकानों की तिमंजिला इमारत का एक घर। घर का मुखिया राजेंद्र अपने ही घर व घरवालों से बेरुखी कर अलग रहने लगा। पत्नी सुनीता और बड़ा बेटा अक्षय मेहनतकश बनकर जैसे-तैसे घर चला रहे हैं। तालीम की कीमत समझते हुए दोनों इस मोर्चे पर भी एकजुट हुए। नतीजे में अक्षय काशीराम नगर के ही एक स्कूल का छात्र है। सुनीता सुबह से ही दूसरे घरों में साफ सफाई का काम करने चली जाती है तो बेटा अक्षय सुबह खाना बनाकर स्कूल जाता है। स्कूल से लौटते ही अक्षय भी अपनी मा के साथ घरों की साफ-सफाई में हाथ बंटाता है। दोनों की मिलीजुली कोशिश से इस परिवार के पाच वर्षीय छोटे बेटे अमन के दाखिले व पढ़ाई का रास्ता भी तैयार हो गया।

मिसाल तीन : मंडी चौक की तंग गलियों के बीच बसे वल्लभ मुहल्ले का जर्जर मकान। अब इस मकान की स्थिति सुधरने की नौबत आ गई है क्योंकि घर की बिटिया आइएएस बन गई है। हाल ही में उसने इंडियन सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सफलता हासिल की है। इस एकता ने सिविल लाइन स्थित एक पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की थी और आज उसने सबसे बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है।

मिसाल चार : चौरासी घटा की संकीर्ण गलियों में स्थित एक पुराना मकान। इसी मकान में रहने वाले मेघ भटनागर ने दो साल पहले यहीं के केंद्रीय विद्यालय से पढ़ाई करते-करते पटना में सुपर 20 व कानपुर में सुपर 30 की परीक्षा में सफलता हासिल करने के बाद इसरो [भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन] की देखरेख में आगे की पढ़ाई करके अंतरिक्ष विज्ञानी बनने का रास्ता तैयार कर लिया।

यह चार तस्वीरें उस जीवटता की बानगी हैं, जो हर किसी के बूते में है। लेकिन हर कोई ऐसा नहीं हो सकता। यहीं जरूरत महसूस होती है मौजूदा शिक्षा ढाचे को सुधारने की। स्कूल-कालेज से लेकर तकनीकी पढ़ाई तक मुरादाबाद में अब कोई कमी नहीं है लेकिन सरकारी ढाचा अब भी खराब है। स्कूल हैं तो बिल्डिंग नहीं और बिल्डिंग हैं तो शिक्षक नहीं। अगर दोनों हैं तो उन पर नजर रखने वाले सो रहे हैं। नतीजा, सरकारी स्कूलों से पढ़-लिख कर तरक्की के नए सोपान गढ़े जाने के हम जो सपने देखते हैं, वह धरातल पर आकर ध्वस्त हो जाते हैं। फिर भी नई पौध तमाम संघर्षो के बाद भी नई ऊंचाइया छूने के लिए बेताब है। निजी क्षेत्र से शिक्षा के बढ़ावे को किए गए नए प्रयास भी इसमें मददगार बन रहे हैं। ऐसा लगता है मानो आज की पीढ़ी कह रही हो।

उड़ें तो आखिरी कोना गगन का छू के दिखाएं, कटे परों में भी बला की उड़ान रख देंगे।

आज की युवा पीढ़ी का ज्यादा ध्यान रोजगार परक शिक्षा की ओर है। इसके अवसर भी अपने मंडल में मुहैया हैं। अगर हम मुरादाबाद की बात करें तो यहा निजी सेक्टर के तकनीकी संस्थानों ने युवाओं को पढ़ाई व करियर से जुड़े अच्छे अवसर प्रदान किए हैं। महानगर में दो निजी ंिवश्वविद्यालय हैं तो लगभग आधा दर्जन तकनीकी संस्थान भी। रामपुर में जौहर यूनिवर्सिटी के जरिए शैक्षिक मजबूती की उम्मीद जगी है। डिग्री कालेजों में विस्तार के साथ मंडल में प्राइमरी स्कूलों का नेटवर्क भी दस सालों में लगभग ढाई गुना बढ़ा है। प्राइमरी शिक्षा में अभी मुरादाबाद व सम्भल जिलों में 2000 अध्यापकों की कमी और सरकारी विद्यालयों में आधुनिक पद्धति की शिक्षण शैली का अभाव चुनौती बना हुआ है। चुनौती उन स्कूली भवनों को लेकर भी जो जर्जर हैं या किरायेदारी के नाम पर जुगाड़बाजी से संचालित हो रहे हैं। मंडल में इस तरह के 19 स्कूलों को स्वस्थ-दुरुस्त भवन में शिफ्टिंग चाहिए।

इन चुनौतियों के बीच उम्मीद की किरण जगाई है हर ब्लाक पर केंद्रीय विद्यालय जैसा मॉडल स्कूल खोलने की योजना ने। शैक्षिक चुनौतिया घटा सकने वाला यह प्रोजेक्ट अभी जमीन के अभाव की चुनौती झेल रहा है। स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात के साथ अनुशासित व आधुनिक पढ़ाई का माहौल सुनिश्चित करने के साथ अगर एक गंभीर कोशिश हाउस होल्ड सर्वे में सामने आए नौनिहालों को स्कूलों से जोड़ने की हो जाए तो तेजी से ऊंची होती शैक्षिक उड़ान और ऊंचाइया छू सकती है।

मुरादाबाद मंडल के शिक्षा की स्थिति

अमरोहा : चार साल पहले 1190 परिषदीय स्कूल थे, अब 1507 हैं जबकि निजी स्कूल 1572 हैं। डिग्री कालेज 20 हैं। इसके अलावा दो लॉ कालेज, एक आइटीआइ, दस इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट कालेज, पाच तकनीकी संस्थान और तीन पॉलीटेक्निक हैं। जल्द ही श्री वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी शुरू करने की तैयारी है।

रामपुर : जिले में आठ डिग्री कालेज और 183 हाईस्कूल व इंटर कालेज हैं। परिषदीय जूनियर हाई स्कूल 626 और प्राइमरी स्कूल 1314 हैं। पाच आइटीआइ व एक पॉलीटेक्निक है। डिग्री कालेज दो ही हैं लेकिन डिग्री शिक्षा से लेकर तकनीकी ज्ञान व रिसर्च के लिए जौहर यूनिवर्सिटी ने नई उम्मीदें जगाई हैं।

सम्भल : यहा दो सरकारी व एक निजी आइटीआइ है। प्रोफेशनल कोर्स के लिए कोई इंस्टीट्यूट नहीं है। खेल प्रतिभाओं को उभारने के लिए यहा एक स्टेडियम की मंजूरी हो चुकी है, बस जमीन की दरकार है। यहा 122 इंटर कालेज और 32 हाईस्कूल हैं। प्राथमिक एवं जूनियर हाईस्कूलों की संख्या लगभग 1800 हैं।

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