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हुकूमत की इनायत हो तो बदले नजारा

मथुरा। धर्म की ब्रज भूमि पर कर्म की पूजा होती रही है। यहा की आकर्षक साड़ियों से बनारस को भी जलन होती थी। डिजाइनर टोंटी पर दुनिया फिदा है। कोसी की दाल मिलों की चिमनिया अब खामोश हो चुकी हैं। संसाधनों के अभाव में कारोबार अस्तित्व की जंग लड़ रहे हैं। वक्त अभी हमारे हाथ में है। प्रोत्साहन व सुविधाओं का ईंधन मिले तो वेंटीलेट

By Edited By: Published: Sat, 29 Sep 2012 08:10 PM (IST)Updated: Sat, 29 Sep 2012 08:14 PM (IST)
हुकूमत की इनायत हो तो बदले नजारा

मथुरा। धर्म की ब्रज भूमि पर कर्म की पूजा होती रही है। यहा की आकर्षक साड़ियों से बनारस को भी जलन होती थी। डिजाइनर टोंटी पर दुनिया फिदा है। कोसी की दाल मिलों की चिमनिया अब खामोश हो चुकी हैं। संसाधनों के अभाव में कारोबार अस्तित्व की जंग लड़ रहे हैं। वक्त अभी हमारे हाथ में है। प्रोत्साहन व सुविधाओं का ईंधन मिले तो वेंटीलेटर पर पहुंच चुके इन उद्योगों को पुन जीवनदान मिल सकता है। तमाम नए उद्योगों की कतार भी लग सकती हैं। मथुरा प्रदेश का उभरता औद्योगिक केंद्र है।

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यहा के टोंटी उद्योग, साड़ी उद्योग, निवाड़ उद्योग, ताबा-पीतल उद्योग और मुकुट श्रृगार व पूजा सामग्री उद्योग देश-दुनिया में प्रसिद्ध हैं। मथुरा की चादी की पायलों की छनकार दूर-दूर गूंजती है। सुहाग के प्रतीक मंगलसूत्र भी खूब बनाए जाते हैं। लेकिन प्रतिकूल परिस्थितियों के चलते उद्योग सिसक रहे हैं, तो उद्यमी आहत हैं।

ताज ट्रिपेजियम जोन बना तो साड़ी, निकिल, पीतल, ताबा, ईंट भट्ठा उद्योग की फैक्ट्रियों को धुएं के कारण बंद कर दिया गया। जो बचे, उन्होंने टैक्स सुविधाओं के चलते उत्तराखंड में ठिकाना बना लिया।

बदल जाए कोसी की किस्मत

कोसी में दाल मिलों की कतारें थीं। कई अन्य औद्योगिक इकाइया भी थीं। ये मिलें एक-एक कर बंद होती गयीं। अब असर एग्र्रो के राइस प्लाट ने नई राह दिखाई है। यदि यहा उद्यमियों को सुविधाएं दी जाएं तो एनसीआर से लगा यह क्षेत्र नई चाल चल सकता है। तो मिठास घोल दे छाता शुगर मिल कभी छाता शुगर मिल की चिमनिया आसमान को ललकारती थीं। सुबह और शाम को भोंपू की गूंज यहा खुशहाली का संदेश देती थीं। मगर अब ये मिल खामोश है। किसान लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। सरकार से मरहम की जरूरत है।

भरपूर बिजली और छूट में हो दरियादिली

उद्योग स्थापित और संचालित करने को उत्तर प्रदेश वित्तीय विकास निगम का कार्यालय था। जो बंद हो चुका है। पिछले दो साल से कोई नयी योजना शुरू नहीं हो पायी। उद्यमी करों की मार से पीड़ित हैं। उद्योगों को बिजली पर्याप्त नहीं मिलती। यदि बिजली और सुविधाएं दी जाएं तो उद्योग नई चाल चल सकते हैं।

..तो लगें उद्योग को पंख

-टोंटी उद्योग को मिले गैस

-औद्योगिक फैक्ट्रियों के लिए अलग से इंडस्ट्रियल जोन बने

-श्रेणी बनाकर उन्हें जोन में दी जाए जगह

-उद्योगपतियों को कम ब्याज दर पर बैंकों से ऋण मिले

-सस्ती और भरपूर बिजली मिले

-वेट, सेल टैक्स, एक्साइज, इनकम टैक्स में पाच साल तक की छूट दी जाए

-बिजली की दरें समान रखी जाएं

-चाइना से आने वाले आइटमों पर प्रतिबंध लगाया जाए

-देशभर में वैट की दरें समान हों

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