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बुनियादी ढांचे के विकास की राह पर यूपी

लखनऊ। सामाजिक, आर्थिक व बुनियादी तौर पर उत्तर प्रदेश बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा हैं। उत्तरप्रदेश का बुनियादी ढांचा काफी मजबूत हो रहा है। सरकार राज्य के सड़क, एयरपोर्ट, के विकास पर ज्यादा नजर दे रही है। यमुना एक्सप्रेस वे इसका ज्वलंत उदाहरण है।

By Edited By: Published: Mon, 08 Oct 2012 12:28 PM (IST)Updated: Mon, 08 Oct 2012 02:59 PM (IST)
बुनियादी ढांचे के विकास की राह पर यूपी

लखनऊ। सामाजिक, आर्थिक व बुनियादी तौर पर उत्तर प्रदेश बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा हैं। उत्तरप्रदेश का बुनियादी ढांचा काफी मजबूत हो रहा है। सरकार राज्य के सड़क, एयरपोर्ट, के विकास पर ज्यादा नजर दे रही है। यमुना एक्सप्रेस वे इसका ज्वलंत उदाहरण है। सार्वजनिक-निजी उपक्रम (पीपीपी) के तहत राज्य में कई बड़ी सड़क परियोजनाएं शुरू की गई हैं।

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आठ लेन लंबी 1047 किमी की गंगा-एक्सप्रेस वे परियोजना और छह लेन की 165 किमी लंबी यमुना एक्सप्रेस-वे इसके उदाहरण हैं।

वित्तीय वर्ष 2011-12 में सड़कों के निर्माण एवं रख-रखाव के लिए राज्य बजट में 6775 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। बताया जाता है कि यह पिछले वर्ष की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

प्रकार लंबाई

नेशनल हाईवे 6,681

स्टेट हाईवे 7,957

प्रमुख जिला सड़कें 7,307

अन्य जिला एवं ग्रामीण सड़कें 3,29,215

कुल 3,51,160

उधर, राज्य में निकासी व्यवस्था, सीवेज, जल-आपूर्ति,बिजली,अपशिष्ट प्रबंधन और परिवहन व्यवस्था खस्ताहाल है। 630 शहरी स्थानीय निकायों में केवल 55 निकायों में आंशिक सीवेज व्यवस्था हैं, वित्तीय वर्ष 2012 में 'आदर्श नगर योजना' के तहत 39 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।

दूसरी ओर आगरा में जल-आपूर्ति के लिए 500 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं और इलाहाबाद में कुंभ मेला के लिए 125 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। वित्तीय वर्ष 2011-12 में नदियों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए 25 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।

छह घरेलू एयरपोर्ट आगरा, इलाहाबाद,गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ और वाराणसी में हैं। चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट (लखनऊ) और लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट (वाराणसी) अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट हैं। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में ताज इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रस्तावित है।

शुद्ध पेयजल की उपलब्धता

इस मामले में प्रदेश का रिकॉर्ड देश की तुलना में बेहतर है,जहां राष्ट्रीय स्तर पर शुद्ध पेयजल उपलब्धता 80 प्रतिशत है वहीं राज्य में 88 प्रतिशत आबादी की पहुंच शुद्ध पेयजल तक है,प्रदेश की 97 प्रतिशत शहरी आबादी और 85 प्रतिशत ग्रामीण आबादी की शुद्ध पेय जल तक पहुंच है।

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