अस्पताल हैं, डॉक्टर चाहिए..
स्वास्थ्य सेवाओं की सर्व सुलभता में चिकित्सकों की कमी का रोड़ा साफ दिखता है। संसाधन हैं बस डॉक्टरों की संख्या में अनुपातिक वृद्धि करनी होगी। उनकी उपलब्धता भी सुनिश्चित करनी होगी। इससे समूचा परिदृश्य बदला जा सकता है। सरकारी तौर पर तैनात डॉक्टरों की संख्या जनसंख्या के अनुपात में बहुत ही कम है।
वाराणसी। स्वास्थ्य सेवाओं की सर्व सुलभता में चिकित्सकों की कमी का रोड़ा साफ दिखता है। संसाधन हैं बस डॉक्टरों की संख्या में अनुपातिक वृद्धि करनी होगी। उनकी उपलब्धता भी सुनिश्चित करनी होगी। इससे समूचा परिदृश्य बदला जा सकता है। सरकारी तौर पर तैनात डॉक्टरों की संख्या जनसंख्या के अनुपात में बहुत ही कम है। इन पदों में जनसंख्या विस्तार के हिसाब से वृद्धि नहीं की गई। वाराणसी, मीरजापुर व आजमगढ़ मंडल के 10 जिलों की तीन करोड़ आबादी के इलाज के लिए डॉक्टरों के सृजित पद 2089 हैं, इसमें भी 550 से अधिक रिक्त हैं। ऐसे में 20 हजार की आबादी पर एक सरकारी डॉक्टर का आकड़ा बैठता है। इसमें भी विशेषज्ञ चिकित्सकों की संख्या अधिक है। गौर करें तो वाराणसी के मंडलीय अस्पताल में केवल एक कार्डियोलॉजिस्ट तो दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय में वह भी नहीं है। इनमें न्यूरोलॉजी, यूरोलॉजी, गैस्ट्रोइंट्रोलाजी व प्लास्टिक सर्जरी जैसे विभाग ही नहीं हैं। एनेस्थिसिया के डॉक्टरों की भी कमी है। अन्य जिलों में भी अमूमन यही हाल है। आजमगढ़ के महिला अस्पताल में तो चिकित्सकों के 15 पद रिक्त हैं।
यही नहीं अंचलों के प्राथमिक-सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित न होने से भी समस्या गंभीर हो जाती है। बड़े अस्पतालों में भी यही हाल है। ओपीडी में लंबे इंतजार के बाद पता चलता है कि डॉक्टर आपरेशन थिएटर, पोस्टमार्टम या वीआइपी ड्यूटी में फंसे हैं। अंचलों के स्वास्थ्य केंद्रों में अधिकारियों के नियमित निरीक्षण व डॉक्टरों की उपलब्धता के संबंध में सटीक सूचना सिस्टम डेवलप करके इस समस्या को समाधान दिया जा सकता है।
जिला डॉक्टर रिक्त पद
वाराणसी 310 39
चंदौली 112 50
गाजीपुर 129 93
मीरजापुर 141 41
भदोही 81 04
सोनभद्र 102 47
आजमगढ़ 130 102
मऊ 143 12
बलिया 155 90
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