कागज के नहीं हकीकत के बनें पुल..
कागजी वायदे हवा में उड़ रहे हैं, तो शहर की सड़कों पर हिचकोले खा रही है जनता। देहात की बात छोड़िए, शहर को वायदों की जमीं पर हिचकोले खाते तीन बरस बीत गए हैं। इस दौरान शहर ने चुनावी रणक्षेत्र का घमासान देखा, तो मंत्रियों की फौज ने भी शहर की गलियों का हाल।
फीरोजाबाद। कागजी वायदे हवा में उड़ रहे हैं, तो शहर की सड़कों पर हिचकोले खा रही है जनता। देहात की बात छोड़िए, शहर को वायदों की जमीं पर हिचकोले खाते तीन बरस बीत गए हैं। इस दौरान शहर ने चुनावी रणक्षेत्र का घमासान देखा, तो मंत्रियों की फौज ने भी शहर की गलियों का हाल। सूबे की सत्ता में शीर्ष पर बैठे सियासतदा खुद इस शहर के हालात से वाकिफ हैं।
देहात की पगडंड़ियों पर पड़े गढ्ढों की गहराई को देख चुके हैं। रेलवे लाइनों पर घटों के इंतजार को उन्होंने नजदीक से समझा है, ऐसे में जनता की उम्मीदे भी कम नहीं है। प्रस्ताव बन गए हैं, जरूरत है तो उन्हें धरातल पर उतारने एवं आर्थिक मदद की है। जो उद्योग नगरी को दे सकें रफ्तार। शुरुआत करते हैं फीरोजाबाद शहर से। शहर के हरेक दूसरे मोहल्ले की गलिया खुदी पड़ी हैं। सीवर खुदाई अभी पूरी नहीं हुई है तो पुराने गढ्ढों को भरने के नाम पर जल निगम के पास है तो सिर्फ मिंट्टी। धन की माग शासन में सालों से है। पूर्व मुख्यमंत्रियों ने भी सिर्फ हवाई आदेश ही दिए। बरसात से पहले गढ्डे भरने के आदेश को जनता अभी भूली नहीं है, जो धन के अभाव में पूरा नहीं हुआ। फीरोजाबाद-कोटला मार्ग पर गौंछ के निकट कुछ मीटर का सफर पेट में दर्द कर देता है, तो साती-खैरगढ़ मार्ग भी बदहाली का शिकार है।
अगर गावों को जोड़ने वाले मार्ग की बात की जाए, तो इसके लिए भी सरकार को एक विस्तृत योजना बनाने की जरूरत है।
खुदाई में अटकी सीवर लाइन
शहर की जनता को हिचकोलों का दर्द देने वाली सीवर लाइन की खुदाई अभी पूरी नहीं हो सकी है। वजह है धन की कमी। सरकार के पास प्रस्ताव जा चुका है, लेकिन न जाने क्यों विकास की दुहाई देने वाले चालू योजना के प्रस्ताव को स्वीकृत करने में देरी कर इन्हें अधर में लटकाने में जुटे हैं। जब तक खुदाई पूरी नहीं होती, तब तक सीवर भी ख्वाब ही रहेगा। इस परियोजना को जल्द पूरा किए जाने की जरूरत है।
नहीं बन सका खत्ताघर
फीरोजाबाद शहर में खत्ताघर की फाइल को सालों बीत गए। सरकारें भी आई तथा चली गई, लेकिन शहर की सफाई एवं जन स्वास्थ्य से जुड़ा यह प्रस्ताव अभी तक धरातल पर नहीं उतर सका है। सूबे के मुख्यमंत्री की चुनावी स्थली रहे क्षेत्र को अब उनसे काफी उम्मीदे हैं।
कहा हैं पुल के प्रस्ताव
फीरोजाबाद में आसफाबाद रेलवे ंफाटक एवं लेबर कॉलोनी सहित कई स्थानों पर पुल की जरूरत है। इनके लिए फीरोजाबाद के सासद कई बार कह चुके हैं केंद्र से स्वीकृत हो गई है, अब प्रदेश सरकार को अपना काम करना है। इधर, सूबे की सत्ता में आने के बाद सपा नेताओं ने भी कहा था कि सासद केंद्र से प्रस्ताव पास कराएं, कार्य कराया जाएगा। सासद भी जिले के हैं, तो सूबे की सत्ता में भी फीरोजाबाद की अहम भूमिका है। इस पर भी अगर प्रस्तावों का ख्वाब अधूरा रहा तो कब बदलेगा शहर का बुनियादी ढाचा।
संदेश
--काच नगरी की जरूरतें--
* जल्द से जल्द सीवर लाइन का कार्य पूर्ण हो।
* खुदी सड़कों की सरकार मरम्मत कराए।
* खत्ताघर का प्रस्ताव जल्द से जल्द धरातल पर उतरे।
* देहात को जोड़ने वाली सड़कों की हालत सुधारी जाए।
* रेलवे लाइनों पर ब्रिज का निर्माण हो।
* शहर में एक आवासीय परियोजना का निर्माण किया जाए।
* शहर में पेयजल समस्या के निदान के लिए योजना बने।
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