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खेती के तौर-तरीके बदलिए उपज जरूर बढ़ेगी

जिसे मिट्टी की खुशबू की भाषा पढ़नी आती होगी, वो फौरन बता देगा कि अलीगढ़ की माटी बेजोड़ है। खेती के लिए इससे अच्छी मिट्टी नहीं हो सकती। बस किसान कृषि विज्ञान को थोड़ा सीख-समझ लें तो खेती में चमत्कारिक परिवर्तन आ सकते हैं। श्रम भी कम लगेगा, उपज भी बढ़ जाएगी। कैसे होगा यह? खेती के लिए हमारी मिट्टी अ

By Edited By: Published: Wed, 26 Sep 2012 02:58 PM (IST)Updated: Thu, 27 Sep 2012 01:45 PM (IST)
खेती के तौर-तरीके बदलिए उपज जरूर बढ़ेगी

अलीगढ़। जिसे मिट्टी की खुशबू की भाषा पढ़नी आती होगी, वो फौरन बता देगा कि अलीगढ़ की माटी बेजोड़ है। खेती के लिए इससे अच्छी मिट्टी नहीं हो सकती। बस किसान कृषि विज्ञान को थोड़ा सीख-समझ लें तो खेती में चमत्कारिक परिवर्तन आ सकते हैं। श्रम भी कम लगेगा, उपज भी बढ़ जाएगी।

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कैसे होगा यह? खेती के लिए हमारी मिट्टी अनुकूल है। तभी तो यहा अनाज का उत्पादन भरपूर होता है। मुख्य फसल गेहूं, आलू, सरसों एवं धान है। उपज और बढ़ सकती है बशर्ते बुआई में थोड़ी सावधानी बरतें। मसलन, गेहूं की बुआई पंक्तिबद्ध करें। यह बहुत अधिक सघन भी नहीं होना चाहिए। तभी तो पौधे पूरी तरह विकसित होंगे। ऐसा कर लिया तो निश्चित रूप से पैदावार बढ़ेगी। दूसरी अहम बात है फसल चक्र। किसान इस पर ध्यान दें तो जरूर लाभ होगा। फसलों की अदल-बदल कर बुआई करने से खेत की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी। इसलिए धान और गेहूं की फसल के बाद दलहन की बुआई करनी चाहिए। तीसरी बात है समय। यदि किसान सही समय पर फसलों की बुआई करें तो उसमें कीट कम लगते हैं। इससे पानी व खाद भी बहुत अधिक नहीं डालनी पड़ती है। पैदावार भी बढ़ जाती है। सब्जियों की खेती करें तो नाली बनाकर बुआई करें। टमाटर के लिए मेड़ बनाकर ही खेती करनी चाहिए। इस विधि से श्रम व लागत दोनों कम जाती है। ड्रिप सिंचाई का सहारा लें तो फसलों में पानी कम लगेगा। इन बातों का भी किसान ध्यान रखें तो काफी बदलाव आ सकता है। इसके लिए गावों में शिविर लगाकर किसानों को वैज्ञानिक विधि से खेती के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

[डॉ सुधीर सारस्वत], कृषि वैज्ञानिक।

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