तकनीक में तरक्की, बिजली आपूर्ति की चुनौती
कुछ वषरें के भीतर विद्युत संसाधनों व तकनीक के मामले में अपने मंडल ने काफी आगे बढ़ा है। ऊंची इमारतों से लेकर देहात की पगडंडी तक भी रोशनी का साथ मिल रहा है लेकिन असमय कटौती कभी भी रोशन राहों को अंधेरा कर देती है। अंधेरे पर उजाले की जीत की सबसे बड़ी चुनौती है बिजली के राजस्व वसूली का अंधियारा
मुरादाबाद, [संजय पांडेय]। कुछ वर्षो के भीतर विद्युत संसाधनों व तकनीक के मामले में अपने मंडल ने काफी आगे बढ़ा है। ऊंची इमारतों से लेकर देहात की पगडंडी तक भी रोशनी का साथ मिल रहा है, लेकिन असमय कटौती कभी भी रोशन राहों को अंधेरा कर देती है। अंधेरे पर उजाले की जीत की सबसे बड़ी चुनौती है बिजली के राजस्व वसूली का अंधियारा। तकनीकी दक्षता के बावजूद मंडल में हर माह औसतन तीस करोड़ की बिजली हानि (लाइन लॉस) का बोझ पावर कार्पोरेशन को उठाना पड़ रहा है। ग्रामीण इलाकों में इसकी मार कुछ ज्यादा ही है। वक्त रहते इस चुनौती से निपटने के कारगर उपाय नहीं किए गए तो वह दिन दूर नहीं जब कार्पोरेशन में तब्दील हो चुके विद्युत विभाग पर समूचा नियंत्रण निजी क्षेत्र का हो जाएगा। इसके बाद बेहतर तस्वीर भले सामने आए मगर फिर महंगाई के कारण बिजली दूर होती नजर आएगी।
माग और आपूर्ति की बड़ी खाई बिजली संकट की राष्ट्रव्यापी अहम कमजोरी है। आबादी व माग के साथ उत्पादन न बढ़ने से विद्युत सेक्टर में यूपी कभी आत्मनिर्भर नहीं हो सका। इसके बाद भी साधन, संसाधन और तकनीक की बदौलत बिजली महकमे ने कल के मुकाबले आज को बेहतर किया है। मुरादाबाद मंडल की ही बात करें तो इस क्षेत्र को 32. 80 करोड़ यूनिट माहवार बिजली की आपूर्ति हो रही है। इसके सापेक्ष बिजली बिलों के भुगतान से 100 करोड़ रुपये का भुगतान होना चाहिए मगर अभी तक यह आकड़ा 70 करोड़ से आगे नहीं खिसक रहा। इसकी मुख्य वजह 31.33 प्रतिशत बिजली की हानि है। इसमें तकनीकी लॉस के साथ ही बिजली की चोरी भी शामिल है। हालाकि इसके बाद भी बिजली राजस्व जुटाने में सूबे में नंबर वन बनकर मुरादाबाद मंडल अपनी सुनहरी तस्वीर पेश कर चुका है मगर बिजली मिलने का पक्ष अभी पूरी तरह सुनहरा नहीं हो सका है।
मंडल में रामपुर और सम्भल शहरों को जहा चौबीस घटे बिजली मुहैया कराई जा रही है, वहीं पीतल नगरी को 20 घटे और अमरोहा व बिजनौर को 18 घटे। सबसे ज्यादा खराब हालत ग्रामीण क्षेत्रों की है जहा आठ घटे भी पूरी तरह बिजली नहीं मिल पा रही। नतीजे में खेत से खलिहान तक की तरक्की में बिजली कटौती बाधक बन रही है तो गाव के कुटीर उद्योग से लेकर मुरादाबाद, सम्भल, रामपुर और अमरोहा के हस्तशिल्पी व निर्यातक भी बिजली संकट की चुनौती झेलने को मजबूर हैं। चुनौती मंडल के दस गावों व सौ से अधिक मझरों को रोशन करने की भी है।
राजीव गाधी विद्युतीकरण योजना भाग दो में शुमार करके इस ग्र्रामीण इलाके को अंधेरे की चुनौती से उबारा जा सकता है तो औद्योगिक क्षेत्रों के लिए पृथक फीडर समस्या का समाधान बन सकते हैं। पावर कार्पोरेशन ने इसे प्रभावी किया है मगर कई निर्यात इकाइयों समेत 50 से भी ज्यादा उद्योग ऐसे हैं जो औद्योगिक क्षेत्र में नहीं होने के कारण बिजली संकट का दंश झेल रहे हैं। इसमें निर्यातक फर्मे भी शामिल हैं।
बिजली संकट की चुनौती घटाने के लिए लाइन लॉस घटाना भी बड़ा समाधान माना जा रहा है। इसके लिए तकनीकी विकास पर मंडल में आठ सौ करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा हिस्सा 500 करोड़ मुरादाबाद महानगर पर खर्च होना है। इसमें स्काडा सेंटर योजना के तहत विद्युत व्यवस्था को पूरी तरह कंप्यूटरीकृत किया जाना है। सारे बिजली घर टावरों के जरिए एक दूसरे से कनेक्ट रहेंगे और विद्युत हानि का औसत आधा हो जाएगा। निश्चित तौर पर इससे बिजली आपूर्ति की अवधि बढ़ेगी।
यही नहीं मंडल की पाच चीनी मिलें भी विद्युत लगभग 100 मेगावाट विद्युत उत्पादन कर रही हैं। अगर इनकी उत्पादन क्षमता में भी बढ़ोतरी हुई तो बेहतर बिजली का सपना आसानी से पूरा होगा।
मंडल में माहवार बिजली का परिदृश्य
क्षेत्र आपूर्ति(करोड़ यूनिट) हानि (प्रतिशत) राजस्व (करोड़)
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मुरादाबाद 6.20 30.00 16.00
मु. देहात 4.00 28.00 6.5
रामपुर 5.90 29.5 6.25
अमरोहा 7.00 27.5 8.00
सम्भल 4.70 36.00 5.00
बिजनौर 12.00 37.0 21.5
कहा नुकसान, कहा फायदा (प्रतिशत में)
मद क्षेत्र आपूर्ति राजस्व
निजी नलकूप 11.36 5.25
भारी उद्योग 22.00 40.0
घरेलू 38.00 27.0
कामर्शियल 7.20 11.11
छोटे संयोजन 5.00 8.56
शैक्षिक संस्थान 2.30 2.36
सरकारी (अन्य) 14.0 6.20
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