कैब ने नाराज क्यूरेटर मुखर्जी को मनाया
ईडन गार्डस की पिच और क्यूरेटर को लेकर चल रहा विवाद शनिवार को थम गया जब क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल [कैब] लंबी छुंट्टी पर चले गए नाराज क्यूरेटर प्रवीर मुखर्जी को मनाने में कामयाब रहा। कैब ने अपना रुख बदलते हुए मुखर्जी को मनाया और उन्हें अपने मुताबिक काम करने की छूट भी दी। कैब अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने मुखर्जी से मुलाकात के बाद कहा, 'प्रवीर दा ही ईडन गार्डस के क्यूरेटर हैं और वह अपनी तरह से काम करेंगे।'
कोलकाता [जागरण संवाददाता]। ईडन गार्डस की पिच और क्यूरेटर को लेकर चल रहा विवाद शनिवार को थम गया जब क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल [कैब] लंबी छुंट्टी पर चले गए नाराज क्यूरेटर प्रवीर मुखर्जी को मनाने में कामयाब रहा। कैब ने अपना रुख बदलते हुए मुखर्जी को मनाया और उन्हें अपने मुताबिक काम करने की छूट भी दी। कैब अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने मुखर्जी से मुलाकात के बाद कहा, 'प्रवीर दा ही ईडन गार्डस के क्यूरेटर हैं और वह अपनी तरह से काम करेंगे।'
बीसीसीआइ द्वारा ईडन की पिच तैयार करने के काम से दरकिनार किए जाने से क्षुब्ध मुखर्जी ने शनिवार सुबह कैब को पत्र लिखकर टेस्ट मैच के ठीक पांच दिन पहले एक महीने की मेडिकल छुट्टी पर जाने की बात कही थी। उन्होंने छुट्टी के बाद काम पर नहीं लौटने के भी संकेत दिए थे।
इसके बाद कैब की तरफ से मुखर्जी को मनाने की कवायद हुई। डालमिया ने उन्हें अपने आवास पर बुलाया। कैब के कोषाध्यक्ष विश्वरूप डे भी वहां पहुंचे। काफी देर बातचीत के बाद मुखर्जी 'अपनी शर्तों' पर मान गए और उन्होंने छुट्टी पर जाने का इरादा टाल दिया। बैठक के बाद डालमिया ने कहा, 'सारी समस्याओं का हल निकाल लिया गया है। इस छोटे से मसले को बेवजह बड़े विवाद का रूप दिया जा रहा है, जिससे ईडन में अंतरराष्ट्रीय मैचों के आयोजन पर असर पड़ सकता है।'
दो दिनों तक चुप रहने के बाद आखिरकार शनिवार सुबह मुखर्जी का गुस्सा फूटा और उन्होंने इसे अपना अपमान बताते हुए कैब को पत्र लिखकर एक महीने की मेडिकल छुट्टी पर जाने की बात कह दी। उन्होंने कैब के रवैये के प्रति भी नाराजगी व्यक्त की थी। बकौल मुखर्जी, उन्हें लगा था कि कैब उनके साथ खड़ा होगा, लेकिन वह तो उनके ही पीछे पड़ गया। डालमिया ने उन्हें पिच के बारे में मीडिया में कुछ भी कहने पर निलंबित करने की धमकी दी थी। कैब को दो दशक से अधिक समय तक अपनी सेवाएं प्रदान करने का उन्हें यह फल मिला।
मुखर्जी ने बताया कि वह व्यक्तिगत सदमे से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। इसी साल 25 मई को उनकी 31 साल की बेटी गुजर गई और उसके महज छह दिनों के बाद उनकी पत्नी का भी निधन हो गया। इतने बड़े सदमे के बावजूद उन्होंने एक दिन भी छुट्टी नहीं ली। पत्नी के निधन के अगले ही दिन वह ईडन आ गए थे। काम के प्रति उनके समर्पण पर कोई अंगुली नहीं उठा सकता, फिर भी कैब की तरफ से उनके साथ इस तरह का बर्ताव किया गया।
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