'बाक्सिंग डे' का मिथक तोड़ने उतरेगा भारत
टीम इंडिया ने यूं तो मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर अब तक दस में से दो टेस्ट मैचों में जीत दर्ज की है लेकिन जब से इस ऐतिहासिक मैदान पर 'बाक्सिंग डे' यानी 26 दिसंबर से मैचों की शुरुआत होने लगी तब से भारतीय टीम को अधिकतर मौकों पर हार का ही सामना करना पड़ा।
नई दिल्ली। टीम इंडिया ने यूं तो मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर अब तक दस में से दो टेस्ट मैचों में जीत दर्ज की है लेकिन जब से इस ऐतिहासिक मैदान पर 'बाक्सिंग डे' यानी 26 दिसंबर से मैचों की शुरुआत होने लगी तब से भारतीय टीम को अधिकतर मौकों पर हार का ही सामना करना पड़ा।
सिर्फ मेलबर्न ही नहीं, ओवरआल भी भारत का 'बाक्सिंग डे' पर शुरू हुए टेस्ट मैचों में रिकार्ड अच्छा नहीं रहा है। भारतीय टीम ने अब तक ऐसे दस टेस्ट मैच खेले हैं जो 26 दिसंबर से शुरू हुए। इनमें से सात मैचों में उसे हार मिली जबकि केवल एक मैच वह जीत हासिल कर सका। बाकी दो मैच ड्रा रहे। यह तो कह सकते हैं कि भारत ने बाक्सिंग डे पर नहीं जीत पाने का मिथक तोड़ दिया है लेकिन आस्ट्रेलियाई सरजमीं पर नहीं। भारत ने ठीक एक साल पहले 26 दिसंबर 2010 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ डरबन में शुरू हुए टेस्ट मैच में 87 रन से जीत दर्ज की थी। आस्ट्रेलिया में हालांकि बाक्सिंग डे टेस्ट मैच का अलग महत्व है। आस्ट्रेलिया की टीम पिछले कई वर्षों से अपने देश का दौरा करने वाली हर टीम के खिलाफ 26 दिसंबर से मेलबर्न में टेस्ट मैच खेलती रही है, इसलिए बाक्सिंग डे का आस्ट्रेलिया और मेलबर्न से खास रिश्ता बन गया है।
भारत ने पहली बार 1985 में कपिल देव की कप्तानी में मेलबर्न में बाक्सिंग डे टेस्ट मैच खेला था। भारत को सीरीज के इस दूसरे मैच में 25 ओवर में 126 रन बनाने का लक्ष्य मिला था लेकिन वह दो विकेट पर 59 रन ही बना पाया था। यह मैच ड्रा हो गया था। यह आस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव वा का पदार्पण टेस्ट था। इसके बाद भारत ने 1991 में मोहम्मद अजहरूद्दीन की कप्तानी में बाक्सिंग डे टेस्ट मैच में खेला था जिसमें आस्ट्रेलिया ने आठ विकेट से जीत दर्ज की थी। सचिन तेंदुलकर का यह पहला बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच था जिसमें उन्होंने सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 15 और 40 रन बनाए थे। उसके बाद भारतीय टीम 1999 में जब मेलबर्न में खेलने उतरी थी तो तेंदुलकर स्वयं कप्तान थे। ब्रेट ली के इस पदार्पण टेस्ट मैच में तेंदुलकर ने 116 रन की कप्तानी पारी खेली लेकिन इसके बावजूद भारत सीरीज का यह दूसरा मैच 180 रन से हार गया था। इसके चार साल बाद 2003 में वीरेंद्र सहवाग की 195 रन की पारी भी भारत के काम नहीं आई थी और आस्ट्रेलिया नौ विकेट से जीत दर्ज करने में सफल रहा था। भारत ने 2007 में दूसरा टेस्ट मैच 26 दिसंबर को मेलबर्न में खेला था। इस मैच में भारतीय बल्लेबाज बुरी तरह असफल रहे और टीम को 337 रन के बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। अब जबकि आस्ट्रेलिया के पास कम अनुभवी गेंदबाज हैं तब भारत के पास बाक्सिंग डे मैच में जीत दर्ज करने का सुनहरा मौका है।
बाक्सिंग डे पर अन्य देशों के खिलाफ भारत के प्रदर्शन को देखा जाए तो उसने 1987 में वेस्टइंडीज के खिलाफ तीसरा टेस्ट मैच ड्रा खेला था। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 1992 में पोर्ट एलिजाबेथ में उसे नौ विकेट जबकि न्यूजीलैंड के खिलाफ 1998 में वेलिंगटन में चार विकेट से हार झेलनी पड़ी थी। भारतीय टीम ने 2006 में डरबन में दक्षिण अफ्रीका से बाक्सिंग डे पर दूसरा टेस्ट मैच खेला था लेकिन वह 174 रन से हार गई थी,लेकिन भारत पिछले साल यानि 26 दिसंबर 2010 को वीवीएस लक्ष्मण की 96 रन की आकर्षक पारी से बाक्सिंग डे मैच में हार का क्रम तोड़ने में सफल रहा था।
जहां तक मेलबर्न का सवाल है तो भारत ने एमसीजी पर अब तक दस टेस्ट मैच खेले हैं लेकिन उसे केवल दो में ही जीत मिली है। मेलबर्न पर उसने पहली जीत 1977 में 222 रन से जबकि दूसरी और आखिरी जीत 1981 में 59 रन से दर्ज की थी। इस तरह से भारत को एमसीजी पर 30 साल से जीत का इंतजार है। इनमें से पहले मैच में भगवत चंद्रशेखर ने 12 विकेट लिए तो गावस्कर ने दूसरी पारी में 118 रन बनाए जबकि 1981 के मैच में गुंडप्पा विश्वनाथ ने आकर्षक शतक लगाया और कपिल देव ने दूसरी पारी में पांच विकेट लिए थे। वहीं आस्ट्रेलिया ने अब तक मेलबर्न में 103 टेस्ट मैच खेले हैं जिनमें से 58 में उसे जीत मिली है जबकि 30 में उसे हार का सामना करना पड़ा है। वैसे आस्ट्रेलिया ने इस मैदान पर बाक्सिंग डे पर जो पिछले तीन मैच में खेले हैं उनमें से दो में उसे हार झेलनी पड़ी है। वह 2008 में दक्षिण अफ्रीका से हार गया था जबकि 2010 में इंग्लैंड ने उसे पारी और 157 रन से करारी शिकस्त दी थी।
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