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ध्यानचंद थे भारत रत्न के सच्चे हकदार: धनराज पिल्लै

इलाहाबाद [विपिन त्रिवेदी]। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्‍‌न पर भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान धनराज पिल्लै ने खुशी तो जाहिर की। लेकिन मन में टिस भी दिखी। कहा, काश! भारत सरकार ने यह फैसला 20 साल पहले लिया होता तो राष्ट्रीय खेल हॉकी को बुलंदियों पर पहुंचाने वाले मेजर ध्यान चंद को भी भारत रत्‍‌न मि

By Edited By: Published: Sun, 17 Nov 2013 09:37 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2013 09:38 PM (IST)
ध्यानचंद थे भारत रत्न के सच्चे हकदार: धनराज पिल्लै

इलाहाबाद [विपिन त्रिवेदी]। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न पर भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान धनराज पिल्लै ने खुशी तो जाहिर की, लेकिन मन में टिस भी दिखी। कहा, काश! भारत सरकार ने यह फैसला 20 साल पहले लिया होता तो राष्ट्रीय खेल हॉकी को बुलंदियों पर पहुंचाने वाले मेजर ध्यान चंद को भी भारत रत्न मिल जाता, जिसके वह सच्चे हकदार थे।

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जस्टिस यशोदा नंदन स्टेट हॉकी चैंपियनशिप के फाइनल में मुख्य अतिथि के तौर में आए पद्मश्री पिल्लै ने कहा कि क्रिकेट के प्रति सचिन का समर्पण और सादगी ही उन्हें भगवान का दर्जा दिलाती है। किसी भी खिलाड़ी का 24 साल की कामयाबी भरा सफर यह बताने के लिए काफी है कि उसने कितनी ईमानदारी से अपनी भूमिका निभाई है पर, राष्ट्रीय खेल हॉकी को नए आयाम तक पहुंचाने वाले दद्दा के अतुलनीय योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने हॉकी को बुलंदियों तक पहुंचाने के साथ ही विश्वस्तर पर पहचान भी दिलाई। हॉकी जादूगर के नाम से विख्यात ध्यानचंद ने अपने स्टिक से देश ही नहीं विदेश में भी लोहा मनवाया है। उनके अतुलनीय योगदान को अगर क्रिकेट की भांति ही हॉकी के प्रति सरकार सकारात्मक रुचि दिखाए तो सचिन जैसे बिरले खिलाड़ी उभरकर सामने आ सकते हैं। हाल के दिनों में भारतीय हॉकी टीम ने भी भारत का नाम रोशन किया है। सरकार की उदासीनता के कारण हॉकी को क्रिकेट से कमतर आंका जाता है।

धनराज पिल्लै: एक परिचय

धनराज पिल्लै नब्बे के दशक में भारतीय हॉकी टीम में नए हीरो बनकर उभरे जो अपनी रिस्ट वर्क और तेजी के लिए जाना जाता था। जब तक विरोधी टीम के खिलाड़ी उनकी रणनीति को भांपने की कोशिश करते वह गोल दाग देते थे। उन्होंने मो. शाहिद की खाली जगह को पूरा करने का प्रयास किया। आखिरी ओलंपिक में देश को पदक नहीं दिलाने पर यह जांबाज खिलाड़ी टूट गया था और मैदान में ही फूट-फूट कर रो पड़ा था। वह 2002 एशियाई खेलों की विजेता हॉकी टीम के सफल कप्तान थे। उनके इस योगदान के लिए उन्हें 1999-2000 का राजीव गांधी खेल सम्मान और 2000 में पद्मश्री से नवाजा गया। इसके अलावा 1994 में सिडनी में हुए विश्व कप के दौरान व‌र्ल्ड इलेवन में शामिल होने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी थे।

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