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शर्मीला की गुजारिश को बोर्ड ने ठुकराया

फिल्म अदाकारा व पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान स्वर्गीय नवाब पटौदी की पत्नी शर्मीला टैगोर ने बीसीसीआई को पत्र के जरिए गुजारिश की है कि आगामी भारत-इंग्लैंड सीरीज को नवाब पटौदी के नाम पर रखा जाए लेकिन मामले में देरी करने के कारण अब वह बेहद निराश हैं।

By Edited By: Published: Tue, 06 Nov 2012 08:30 PM (IST)Updated: Wed, 07 Nov 2012 09:21 AM (IST)
शर्मीला की गुजारिश को बोर्ड ने ठुकराया

नई दिल्ली। फिल्म अदाकारा व पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान स्वर्गीय नवाब पटौदी की पत्नी शर्मीला टैगोर ने बीसीसीआई को पत्र के जरिए गुजारिश की थी कि आगामी भारत-इंग्लैंड सीरीज की ट्राफी को नवाब पटौदी के नाम पर रखा जाए लेकिन अब बीसीसीआई ने शर्मीला की गुजारिश को यह कह कर ठुकरा दिया है कि वह ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि ट्राफी का नाम पहले से एंथनी डी मेलो के नाम पर रखा गया है।

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2007 में मैरिलबोर्न क्रिकेट क्लब ने ऐलान कर दिया था कि भारत व इंग्लैंड के बीच होने वाली आगामी तमाम टेस्ट सीरीज में ट्राफी का नाम पटौदी ट्राफी होगा जो फैसला भारत-इंग्लैंड के क्रिकेट संबंधों की 75वीं सालगिरह को देखते हुए लिया गया था लेकिन बीसीसीआई ने अब तक इस पर अपनी मुहर नहीं लगाई थी जिस वजह से मामला लटका रहा। शर्मीला टैगोर ने अपने 2 नवंबर को बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन को भेजे गए अपने ई-मेल में लिखा था कि ट्राफी को पटौदी ट्राफी का नाम देने में देरी के साथ-साथ बोर्ड ने अब तक पटौदी मेमोरियल भाषण को भी अब तक शुरू नहीं किया है, यही नहीं, इस पत्र में पटौदी से जुड़े उन कानूनी मामलों का भी जिक्र किया गया है जिन्हें बीसीसीआई ने अब तक उलझा कर रखा है।

बीसीसीआई से निराश शर्मीला ने कहा कि उन्हें रत्नाकर शेंट्टी ने मेल किया था जिसके बाद शर्मीला ने बीसीसीआई अध्यक्ष श्रीनिवासन को मेल किया और पूछा कि क्या उनके परिवार का कोई सदस्य इस भाषण में हिस्सा ले सकता है और क्या उनके परिवार को कोई भी सदस्य का कोई किरदार होगा या नहीं जिसके जवाब में बोर्ड ने कहा था कि किसी पारिवारिक सदस्य की जरूरत नहीं होगी लेकिन यह हर साल जरूर आयोजित होगा। इस बात को एक साल बीत चुका है और अब भी हालात वैसे ही बने हुए हैं। शर्मीला के मुताबिक किसी ने उनसे संपर्क करने की कोशिश नहीं की है जबकि उन्होंने अपना फोन नंबर भी दिया था लेकिन अब बोर्ड ने मामले की गंभीरता को देखते हुए शर्मीला के पत्र के चार दिन बाद बोर्ड ने उनकी मांग यह कह कर ठुकरा दी है कि 1951 में इस ट्राफी का नाम एंथनी डी मेलो को ऊपर रख दिया गया था जिसे अब बदला नहीं जा सकता। एंथनी डी मेलो बीसीसीआई के पहले अध्यक्ष थे और बोर्ड इससे छेड़छाड़ करने के पक्ष में नहीं है।

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