रियो में चौंकाने के लिए तैयार अंकित शर्मा
लांग जंपर अंकित शर्मा रियो ओलंपिक में दुनिया को चौंकाने का दम रखते हैं। वह खुद को पदक का दावेदार मानते हैं।
अनिल भारद्वाज, गुड़गांव। लांग जंपर अंकित शर्मा रियो ओलंपिक में दुनिया को चौंकाने का दम रखते हैं। वह खुद को पदक का दावेदार मानते हैं। अगर लंदन ओलंपिक का रिकॉर्ड और अंकित का ताजा प्रदर्शन देखा जाए तो यह तय है कि वह अप्रत्याशित परिणाम दे सकते हैं। मध्यप्रदेश में जन्में 24 वर्षीय अंकित से उनकी तैयारियों को लेकर बातचीत के अंश
आपका रियो टिकट देश को चौंकाने वाला था, ऐसा क्यों?
मैं प्रसिद्धी से दूर तैयारी करने में ज्यादा विश्वास करता हूं। लोगों ने कहा कि ये अचानक कहां से आ गया। जबकि आप मेरे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पदक देखेंगे तो स्वयं जान जाएंगे कि मैं पहले से ही रियो की दौड़ में शामिल था।
लंदन ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले ने 8.32 मीटर की दूरी नापी थी। आप इससे बहुत पीछे नजर आ रहे हैं?
जी, वहां स्वर्ण पदक 8.32, रजत 8.16 और कांस्य 8.12 मीटर पर मिला था। मैंने भी हाल में 8.20 मीटर छलांग लगाई है। आप जैसे खिलाडि़यों के साथ खेलते हैं वैसा ही प्रदर्शन करते हैं। मुझ पर भरोसा रखें।
लेकिन रियो में इससे ज्यादा दूरी तय करने खिलाड़ी मिल सकते हैं?
देखिए रियो में कम और ज्यादा दोनों प्रदर्शन करने वाले एथलीट मिल सकते हैं। रियो में कुछ भी हो सकता है, लेकिन आपकी बात से एक बात तय हो गई है कि किसी भी स्थिति में सिर्फ मेरे पदक का रंग बदल सकता है।
हर बार ये सवाल उठता है कि देश में एथलीटों को वह सुविधा नहीं मिलती जिसके वह हकदार हैं?
इस बार ऐसा नहीं रहा। जहां तक मेरी बात है तो मैंने देश में ही नहीं विदेश में भी अभ्यास किया। हालांकि इसे और अच्छा किया जा सकता था। अगर उन लोगों के साथ प्रतियोगिताओं में खेलने को मिलता जो पदक जीत रहे हैं तो तैयारी और बेहतर होतीं। क्योंकि रियो में हम उनसे पहली बार मुकाबला करेंगे। ऐसे में उनकी कमियों और अपनी योजनाओं के लिए हमें वीडियो के भरोसे ही रहना होगा।
क्या एथलेटिक्स में पदक का सूखा खत्म होगा?
किसी भी देश को ओलंपिक में पदक जीतने के लिए लंबी तैयारी करनी होती है। भारत ने कुछ तैयारी की है अब पदक की भी शुरुआत होगी।
आप का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है?
यह मेरे पिता व भाई की बदौलत है। भाई भाला फेंक के राष्ट्रीय खिलाड़ी रहे हैं। मेरे परिवार की चाहत थी मैं ओलंपिक में देश के लिए पदक जीत कर लाऊं, लेकिन खेल चुनने की आजादी मुझे दी गई थी।