KBC 2022 में अमिताभ बच्चन से मिलकर अभिभूत हुई आगरा की स्मृति, बताया-कैसे मिला था करोड़पति बनने का मौका
KBC 2022 कौन बनेगा करोड़पति में स्वतंत्रता दिवस की रात प्रसारित हुए एपिसोड में आगरा की स्मृति पांडेय फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट राउंड में चुनी गयीं। मेगास्टार अमिताभ बच्चन को आगरा का पेठा पसंद आया। अमिताभ के साथ उनकी बातचीत प्रेरणादायक रही।
आगरा, राजेश मिश्रा। अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) से मिलकर आगरा की स्मृति पांडेय गदगद है। मुलाकात का एक-एक पल उसके लिए जीवन पर्यंत यादगार बन गया है। वो कहती हैं कि उसे विश्वास ही नहीं हो रहा कि इतने बडे़ व्यक्तित्व से वो मिली हैं। केबीसी (KBC) के फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट राउंड के बाद जब बिग बी आए तो सुखद अनुभूति चरम पर पहुंच गई थी। हॉट सीट पर न बैठ पाने का मलाल तो रहा मगर अमिताभ बच्चन से मुलाकात, उनकी सादगी और आत्मीयता ने भावविभोर कर दिया था। स्मृति बताती हैं कि जब हमने उन्हें पॉकेट वाच और आगरा का पेठा भेंट किया तो उन्होंने सहजता से स्वीकार कर लिया।
अमिताभ बच्चन ने उसका हौसला बढाया, जीवन में आगे बढ़ने का आशीर्वाद दिया। स्मृति एक और प्रसंग सुनाती हैं कि फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट राउंड के लिए हम सब प्रतिभागी अपनी-अपनी चेयर पर बैठे थे। अमिताभ जी आए। अचानक ऐसा हुआ कि हम चेयर से उठ गए, ताली बजाई। उनको सामने देख ईश्वर प्रदत्त अनुभूति हुई। वे बार-बार बैठने का आग्रह करते रहे, मगर हम सबको इसकी सुधि नहीं थी। हॉट सीट पर अमिताभ बच्चन के पहुंचने पर ही सब अपनी सीट पर बैठे।
ऐसे शुरू किया सफर
आगरा के पश्चिमपुरी क्षेत्र की शिवपुरम कालोनी निवासी संजय पांडेय और सीमा पांडेय की सुपुत्री स्मृति पांडेय बीटेक (कंप्यूटर साइंस) हैं। बेंगलुरु बेस्ड कंपनी में जॉब कर रही हैं। वो बताती हैं कि मार्च में केबीसी में प्रतिभागिता के लिए आनलाइन कुछ सवालों के जवाब भेजे थे। इसके बाद मई में लखनऊ में प्रतिभागिता चयन के लिए अगला राउंड हुआ। ये कई चरणाें में था। पर्सनल्टी और एजूकेशनल एक्टिविटी आदि से संबंधित डाक्यूमेंट पूरे कराए गए। अनौपचारिक इंटरव्यू हुए।
स्मृति बताती हैं कि इंटरव्यू लेने वालों में से एक ने पूछा कि आगरा में ताजमहल के अलावा और क्या फेमस है। मैंने कहा- पेठा और जूता। अच्छे काम के लिए पेठा और गलत काम के लिए जूता। मेरी बात पर पूरा पैनल खूब हंसा। काफी देर तक इसी पर बात होती रही। लगा ही नहीं कि हम इंटरव्यू दे रहे हैं। ये राउंड पूरा होने के बाद हमें बताया कि अब आगे क्या होगा, इसके बारे में अभी कुछ नहीं बताया जाएगा। जैसी भी स्थिति होगी, कॉल आ जाएगी। पैनल ने ये भी स्पष्ट कर दिया कि अभी किसी भी तरह से किसी को भी किसी भी जरिए से ये भी नहीं बताना है कि आप कहां तक पहुंच गईं।
आप केबीसी (KBC) में सलेक्ट हो गईं
ये जुलाई के प्रथम सप्ताह की बात है। स्मृति बताती हैं कि उनके पास एक कॉल आती है- स्मृति, आप केबीसी में सलेक्ट हो गई हो। स्मृति ने बताया कि मैं अवाक रह गई। खुद को संभाल नहीं पाई और कह दिया कि अभी बाहर हूं। आधा घंटे बाद काॅल कर लेना। ठीक आधा घंटा बात फिर काॅल आई, तब तक मैं बात करने के लिए संयमित हो गई थी।
इसके बाद कॉलर ने हमें प्रतियोगिता के बारे में तमाम जानकारियां दीं। मुंबई पहुंचने की तारीख तक हर रोज ही कोई न कोई विशेषज्ञ हमें काॅल करते और विभिन्न स्टेप के बारे में बताते। कोस्टयूम, बातचीत के तौर-तरीके, लहजा-अंदाज आदि के बारे में समझाते रहे। स्पष्ट कर दिया था कि चटकीले-भडकीले रंग के काेस्टयूम नहीं चलेंगे। कोस्टयूम ऐसा जिसमें सादगी झलकती हो, व्यक्तित्व से मेल खाती हो। स्मृति ने बताया कि काफी लंबी प्रक्रिया के बाद उनके लिए कोस्टयूम निर्धारित किया गया था।
अमिताभ जैसी शख्सियत और कैमरा
स्मृति ने बताया कि केबीसी सिर्फ एक प्रतियोगिता ही नहीं है, ये व्यक्तित्व की परख, परीक्षा और विकास का बेहतरीन जरिया है। प्रतियोगिता से जुडे़ विशेषज्ञों की प्रतिभागियों से दो मुख्य अपेक्षाएं होती हैं। पहली अपेक्षा ये कि अमिताभ बच्चन जैसी हस्ती से मिलने पर आप खुद को किस तरह से संभाल सकते हैं। बात करने का मौका मिले तो लहजा क्या होगा, अंदाज क्या होगा।
कोई ऐसी बात मुंह से न निकल जाए जो उन्हें बुरी लग जाए। दूसरी अपेक्षा ये कि कैमरा फेस करने में विचलित न हो जाएं। इसके लिए प्रतिभागियों को काफी ट्रेंड किया जाता है। सेकंड राउंड में चयन के साथ ही इसके लिए प्रतिभागी से कम्युनिकेशन और कॉर्डिनेशन बढ़ा दिया गया। हर रोज फोन पर टिप्स दिए जाते। खुलकर बातें की जातीं। इस प्रक्रिया का असर ये हुआ कि मुंबई में शूटिंग स्थल पर पहुंचे तब तक हम पूरी तरह से नॉर्मल हो चुके थे।
एक स्वप्नलोक तो लग रहा था मगर, हम विचलित कतई नहीं थे। जिन-जिन से फोन पर बातेें होती रहीं थीं, वे सामने थे। लगा ही नहीं कि वे हमारे लिए अंजान हैं। उन सबका व्यवहार भी ऐसा कि परिवार के ही सदस्य हों। खास बात ये कि हर कोई ये चाहता था कि हम सब प्रतिभागी यहां से विजेता होकर ही जाएं। इसके लिए हमें सभी ने खूब प्रेरित भी किया। उत्साह भी बढ़ाया।
किस्मत और ज्ञान का संगम है केबीसी
स्मृति कहती हैं कि हर प्रतियोगिता में किस्मत तो अपना प्रभाव दिखाती ही है लेकिन केबीसी के लिए व्यापक ज्ञान भी जरूरी है। खास बात ये है कि केबीसी में सवाल इतने आसान और साधारण होते हैं जो किसी किताब विशेष में नहीं मिलेंगे। मगर, इसके लिए किताबें तो पढ़नी ही पडे़ंगी। अनवरत और असीमित। आदि से लेकर नवीनतम गतिविधियों से खुद को अपडेट करना होगा। तमाम ऐसे सवाल होते हैं जिनके बारे में हो सकता है आपने सुना होगा मगर जवाब को लेकर खुद पर विश्वास नहीं होता।
वो बताती हैं कि हमारे साथ कई ऐसे प्रतिभागी थे जो बेहद सामान्य परिवार से थे मगर, ज्ञान में उनका कोई जोड़ नहीं था। सबकी अपनी-अपनी अपेक्षाएं और उम्मीदें थीं। कोई कोई तो इस उम्मीद लेकर आया था कि रकम जीतकर वो अपना कर्जा चुका देंगे। कोई परिवारीजनों की मदद करने की तमन्ना लेकर आया था।