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Sanskarshala 2022 : डिजिटल मीडिया के दुष्प्रभाव से कैसे बच सकते हैं, विशेषज्ञ ने बताई राह

Moradabad Sanskarshala 2022 मुरादाबाद के साहू रमेश कुमार कन्या इंटर कालेज के प्रधानाचार्य अर्चना साहू ने बताया कि डिजिटल मीडिया के दुष्प्रभाव जैसी समसामयिक समस्या आज सुरसा के मुंह की तरह समाज को ग्रसित करने के लिए खड़ी है।

By Jagran NewsEdited By: Samanvay PandeyPublished: Thu, 06 Oct 2022 05:06 PM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2022 05:06 PM (IST)
Sanskarshala 2022 : डिजिटल मीडिया के दुष्प्रभाव से कैसे बच सकते हैं, विशेषज्ञ ने बताई राह
Moradabad Sanskarshala 2022 : मुरादाबाद के साहू रमेश कुमार कन्या इंटर कालेज की प्रधानाचार्य अर्चना साहू।

Moradabad Sanskarshala 2022 : मुरादाबाद के साहू रमेश कुमार कन्या इंटर कालेज की प्रधानाचार्य अर्चना साहू ने बताया कि डिजिटल मीडिया के दुष्प्रभाव जैसी समसामयिक समस्या आज सुरसा के मुंह की तरह समाज को ग्रसित करने के लिए खड़ी है। इसके अंदर घुसना आवश्यक मजबूरी है, लेकिन इससे सुरक्षित बाहर आने या तरीका आना भी जरूरी है।

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इंटरनेट मीडिया का संतुलित उपयोग जरूरी

कहने का तात्पर्य यह है कि आज की आधुनिक प्रगतिशील दुनिया में इंटरनेट मीडिया एक नागरिक के जीवन की आवश्यकता बन गई है, परंतु इससे संतुलित उपयोग अति आवश्यक है। ये हमारे सामाजिक पारिवारिक रिश्तों को, हमारे मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य निगल जाएगा।

लत में बदल रही इंटरनेट मीडिया के प्रयोग की आदत

एक अध्ययन के अनुसार आज विश्व में लगभग 3.1 अरब लोग इंटरनेट मीडिया उपयोग करते हैं, इनमें से लगभग 10 मिलियन को इसकी लत लग चुकी है। व्यक्ति अपने व्यवसाय के लिए, छात्र अपनी पढ़ाई के लिए, गृहणी अपने खाली समय को व्यतीत करने के लिए मोबाइल, लैपटाप हाथ में लेते हैं और कब यह जरूरत, लत में बदल जाती है पता ही नहीं लगता।

मित्रों से ज्यादा महत्व दे रहे

लोग इंटरनेट मीडिया के दोस्तों और जानकारी को वास्तविक मित्रों और शुभचिंतकों से अधिक महत्व देने लगे हैं। जैसे एक बटन दबाते ही सारी दुनिया आंखों के सामने आ जाती है उसी तरह बटन दबाते ही सब गायब हो जाता है और व्यक्ति रह जाता है अकेला, निराश और अवसाद में। इंसान सामाजिक प्राणी है।

क्या कहते हैं अमेरिकी लेखक ब्रायन प्रिमैक

आमने-सामने मिलकर, बातें करके इंसान को जो संतोष व अपनेपन का अहसास होता है वह इंटरनेट मीडिया पर बने रिश्तों से कभी नहीं हो सकता। अमेरिकी लेखक ब्रायन प्रिमैक के अनुसार हम स्वाभाविक रूप से सामाजिक प्राणी है, लेकिन आधुनिक जीवन हमें एक साथ लाने के बजाय हमारे बीच दूरियां पैदा कर रहा है हमें ऐसा महसूस होता है कि सोशल मीडिया सामाजिक दूरियां मिटाने का अवसर दे रहा है।

आम आदमी और बच्चे कितना प्रयोग कर रहे

शोध बताते हैं कि आम आदमी चार घंटे इंटरनेट मीडिया पर खर्च करता है, जबकि बच्चा आठ से नौ घंटे। आंकड़े ये बताने के लिए पर्याप्त हैं कि यह लत दिन-ब-दिन कितनी भयानक होती जा रही है। इस लत से पाने के लिए हम कुछ अनुशासनात्मक कदम उठा सकते हैं। घर का मुखिया यह नियम बना सकते हैं कि सभी साथ मिलकर भोजन करेंगे और उस समय कोई भी मोबाइल का प्रयोग नहीं करेगा। इससे घनिष्ठता बढ़ेगी।

जरूरी एप को ही मोबाइल में रखें

स्वयं को नियंत्रित करने के लिए कुछ अति आवश्यक एप छोड़कर बाकी सभी को डिलीट कर दें। अपना डिजिटल टाइम तय करें। पुस्तकें पढ़ने की आदत डालें। दोस्तों के साथ समय व्यतीत करें। अच्छी आदतें विकसित करें जैसे पेंटिंग कुकिंग, खेल, जिम जाना इत्यादि। इन उपायों को अपनाने से निसंदेह कुछ समय में डिजिटल मीडिया ले लत दूर जाएगी और उसका प्रयोग संतुलित हो जाएगा। आवश्यकता है ढेर सारी इच्छाशक्ति की।

सभी हो गए आलसी

फिर देखिए कैसे हमारा शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक स्वास्थ्य सुधारता है। अंत में हर प्रश्न प्रेस आसां हो गया, ये तकनीक भी कमाल है पर आलसी सब हो गए, काया हुई बेहाल है है कारगर तकनीक ये, जो करें इसका सदुपयोग दुरुपयोग इसका होगा गर, तो नित नए देगी ये रोग।


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