आजादी की दास्तांः रावी के तट पर तोड़ा नमक कानून, आधी रात को फहराया गया तिरंगा
पंजाब में सविनय अवज्ञा आंदोलन की औपचारिक शुरुआत डा. मोहम्मद आलम और डा. सत्यपाल ने की। इनके नेतृत्व में पंजाब के कोने-कोने से लोगों ने मार्च निकले। इसी दौरान हजारों लोगों ने रावी नदी के तट पर पहुंच कर नमक कानून तोड़ा और नमक बना कर उसे नीलाम किया।
नितिन उपमन्यु, जालंधर। एक तरफ पंजाब में विधान परिषद के चुनाव हो रहे थे, तो दूसरी तरफ नागरिक अवज्ञा आंदोलन जोर पकड़ रहा था। कांग्रेस की ओर से लाहौर में पारित पूर्ण स्वराज्य के प्रस्ताव के तहत ही इस आंदोलन की रूपरेखा तय की गई थी। पंजाब में बाबा खड़क सिंह और मास्टर तारा सिंह लोगों से अपील कर रहे थे कि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या में आंदोलन में शामिल हों, क्योंकि अब आर-पार की लड़ाई का समय आ गया है।
इस अपील का खासा असर हुआ और बड़ी संख्या में लोग जगह-जगह मोर्चे निकालने लगे। 12 मार्च, 1930 को महात्मा गांधी ने अपने 78 साथियों के साथ जब दांडी मार्च शुरू किया, तो पंजाब से भी बड़ी संख्या में आंदोलनकारियों ने इसमें हिस्सा लिया। प्यारे लाल, सूरज भान व प्रेम राज ने इसमें मुख्य रूप से शिरकत की।
पंजाब में सविनय अवज्ञा आंदोलन की औपचारिक शुरुआत डा. मोहम्मद आलम और डा. सत्यपाल ने की। इनके नेतृत्व में पंजाब के कोने-कोने से लोगों ने मार्च निकले और धरने दिए। इसी दौरान हजारों लोगों ने रावी नदी के तट पर पहुंचकर नमक कानून तोड़ा और नमक बना कर उसे नीलाम किया। इस घटना ने पंजाब में स्वतंत्रता आंदोलन को और मजबूत किया।
सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन ब्रिटिश सरकार आंदोलनकारियों को ज्यादा समय तक जेल में नहीं रख सकी। उन्हें रिहा कर दिया गया। यह लगातार दूसरी ऐसी घटना थी, जिसमें अंग्रेजों को मुंह की खानी पड़ी। इससे पहले 31 दिसंबर, 1929 को लाहौर में महात्मा गांधी ने रावी नदी के तट पर आधी रात को तिरंगा फहराया था। इसी घटना ने नमक कानून तोड़ने के लिए लोगों को प्रेरित किया। इसके बाद ब्रिटिश सरकार के आदेशों की अवहेलना का एक सिलसिला शुरू हो गया।
इस आंदोलन में महिलाओं की उपस्थिति एक महत्वपूर्ण पक्ष था। धारा 144 का उल्लंघन करते हुए बैठकों, जुलूसों और प्रभात फेरियों का आयोजन लगातार किया जाने लगा। कई जगह तो महिलाएं बच्चों को साथ लेकर भी शामिल हुईं। उन्होंने यह संदेश देने का प्रयास किया कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में बच्चा-बच्चा मैदान में उतर गया है।
पंजाब से बड़ी संख्या में लोग नागरिक अवज्ञा आंदोलन में शामिल हुए। जिन 7 हजार आंदोलनकारियों को दंडित किया गया, उनमें से तीन हजार सिख थे। नमक कानून तोड़ने की घटना ने जिस तरह लोगों को एकजुट किया, उसने आजादी के लिए जारी संघर्ष को नई दिशा दी।
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