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सुंदरगढ़ शहर में सरकारी जमीन की खरीद-फरोख्त, विभाग चुप

राजस्व कर्मियों की मिलीभगत में दलाल 20 से 50 हजार रुपये डिसमिल में सरकारी जमीन बेच रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Aug 2022 04:06 AM (IST)Updated: Mon, 15 Aug 2022 04:06 AM (IST)
सुंदरगढ़ शहर में सरकारी जमीन की खरीद-फरोख्त, विभाग चुप
सुंदरगढ़ शहर में सरकारी जमीन की खरीद-फरोख्त, विभाग चुप

सुंदरगढ़ शहर में सरकारी जमीन की खरीद-फरोख्त, विभाग चुप

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जागरण संवाददाता, राउरकेला : सुंदरगढ़ शहर में जमीन माफिया सक्रिय हैं। राजस्व कर्मियों की मिलीभगत में दलाल 20 से 50 हजार रुपये डिसमिल में सरकारी जमीन बेच रहे हैं। राउरकेला-संबलपुर बीजू एक्सप्रेस-वे के किनारे लुहराडीपा व सुबलया में सरकारी जमीन पर बड़ी बस्ती बस गई है। यहां भूमिहीनों को बसाया गया है। जमीन पर बहुमंजिला इमारत भी खड़ी की जा रही है। वर्ष 2018 में हुए सर्वे में यहां 108 परिवार निवास करते थे। अब यहां 350 से अधिक परिवार रह रहे हैं। नवरंगपुर में पांच सौ से अधिक परिवार बस गए हैं। वर्ष 2010 में आदिवासी व पारंपरिक वनवासी जमीन स्वीकृति में 91 परिवारों को पट्टा दिया गया था। दूसरे चरण में 60 को पट्टा दिया गया। प्रशासन की ओर से अचानक वर्ष 2016 में 21 का पट्टा कायम रखकर 139 का पट्टा खारिज कर दिया गया। विभाग की कार्रवाई के बावजूद जमीन की खरीद बिक्री हो रही है एवं मकान बनते जा रहे है। बीजू एक्सप्रेस-वे में सुबलया व नवरंगपुर में सरकारी जमीन पर नई बस्ती बस गई है। यहां भूमिहीन एवं गरीब लोगों की संख्या नगण्य है। संपन्न लोगों के द्वारा यहां आवास बनाए जा रहे हैं। यहां पांच सौ से अधिक परिवार निवास कर रहे हैं। इस जमीन पर माफिया की नजर है व मनमाने ढंग से सरकारी जमीन को बेचा जा रहा है। माफिया के द्वारा जमीन की प्लाटिंग कर लोगों को नक्शा का एक-एक टुकड़ा थमा दिया जा रहा है एवं भविष्य में उन्हें इसी नक्शे के अनुसार जमीन मिलने का भरोसा दिया जा रहा है। लुहराडीपा में सरकारी जमीन के साथ जंगल जमीन भी बिक रही है। पंचबटी जंगल में भी अब घर बनने लगे हैं। सभी जमीन माफिया के जरिए लोगों को उपलब्ध कराया जा रहा है। बगैर पट्टा के मौखिक रूप से जगह दिखाया जा रहा है एवं भवन बनने के बावजूद वन एवं राजस्व विभाग चुप है। इस जमीन पर लोगों को बिजली, पानी, सड़क जैसी मौलिक सुविधाएं भी मुहैया करायी जा रही है। पांच साल पहले जंगल जमीन पर बसे 139 वनवासियों की पहचान कर पट्टा दिया गया था बाद में उन्हें रद कर दिया गया। विभाग की नजर नहीं होने के कारण माफिया मालामाल हो रहे हैं।


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