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Pulwama Terror Attack: परिवार में अकेले कमाने वाले थे महाराष्ट्र के नितिन

Pulwama Terror Attack , पुलवामा में गुरुवार को हुए आत्मघाती हमले में महाराष्ट्र के नितिन राठौर भी वीरगती को प्राप्त कर गए। नितिन 2006 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे।

By TaniskEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 06:05 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 06:05 PM (IST)
Pulwama Terror Attack: परिवार में अकेले कमाने वाले थे महाराष्ट्र के नितिन
Pulwama Terror Attack: परिवार में अकेले कमाने वाले थे महाराष्ट्र के नितिन

मुंबई, एजेंसी। Pulwama Terror Attack, पुलवामा में गुरुवार को हुए आत्मघाती हमले में महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले ने अपने दो-दो सपूत खो दिये। इन दोनों शहीदों का नाम नितिन राठौर और संजय राजपूत हैं। शहादत की खबर मिलने के बाद नितिन के परिवारवालों का रो-रो कर बुरा हाल है और पूरे गांव में शोक की लहर है।

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परिवार में अकेले कमाने वाले थे नितिन

बुलढाणा जिले के लोणार तालुका चोरपांगरा गांव के नितिन शिवाजी राठौर के घर में उनकी पत्नी वंदना, बेटा जीवन, बेटी जीविका, मां सावित्री बाई, पिता शिवाजी, भाई प्रवीण समेत दो बहने हैं। वह घर में एकमात्र कमाने वाले थे। नितिन 2006 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। वे उस वक्त 23 वर्ष के थे। उनके दोनों बच्चे अभी नाबालिग हैं। उनके बेटे की उम्र आठ साल है वहीं बेटी की उम्र पांच साल है।

माता-पिता सदमे में

राठौर के छोटे भाई प्रवीण ने कहा 'हमें इसकी खबर आधी रात के बाद मिली। इससे पूरा परिवार बिखर गया है। हमारे वृद्ध माता-पिता शिवाजी राठौर और सावित्री बाई सदमे में हैं। प्रवीण अपने माता-पिता को खेती में मदद करता है। 

सेना में शामिल होगा बेटा

उनकी पत्नी वंदना ने बताया कि अभी एक हफ्ते पहले हम एक साथ भोजन कर रहे थे और सभी के साथ आनंद ले रहे थे। उन्होंने कहा 'मैं अपने बेटे को भी सेना को समर्पित कर दूंगी, क्योंकि यह मेरे पति का सपना था।'

ग्रामीण चाहते हैं बदला 

चोरपंगरा गांव के लोग गुरुवार की रात को खबर मिलने के बाद से किसी ने खाना नहीं बनाया है। सभी ग्रामीण नितिन के घर पर है। कई लोगों ने अपना गुस्सा दिखाया और कहा कि सरकार को पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

क्रिकेट और कबड्डी के शानदार खिलाड़ी

नितिन के बचपन के दोस्त राजू राठौड़ ने कहा कि वह काफी मेहनती थे। उन्होंने स्नातक होने तक एक साथ अध्ययन किया था। वह 13 साल की उम्र से ही सेना में शामिल होना चाहते थे। कॉलेज के दौरान उन्हें अक्सर सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया जाता था। वह क्रिकेट और कबड्डी के शानदार खिलाड़ी थे। वे एक अच्छे पहलवान भी थे। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने से कॉलेज के दिनों में उन्होंने मजदूरी करके के पढ़ाई पूरी की।  


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