Pulwama Martyrs जी सुब्रमण्यम ने अंतिम बार पत्नी से ये कहा था, बताते हुए रो रहे पिता
शहीद जी सुब्रमण्यम पिछले महीने पोंगल मनाने के लिए एक महीने की छुट्टी पर घर गए थे। 10 फरवरी को ही वह ड्यूटी पर वापस लौटे थे।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले (Pulwama Terror Attack) में शहीद हुए 40 सीआरपीएफ जवानों में से दो तमिलनाडु के हैं। इनमें से एक हैं तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले के सबलापेरी गांव निवासी 28 वर्षीय जी सुब्रमण्यम। गुरुवार को उनके मारे जाने की सूचना घर पहुंचने के बाद से परिवार समेत पूरे इलाके में मताम पसरा हुआ है। लोग आतंकियों की इस कायराना हरकत से काफी नाराज हैं। उधर जी सुब्रमण्यम के पिता वी गणपति, बेटे की फोन पर अंतिम बार बहू से हुई बातचीत को याद कर-कर के रो रहे हैं।
न्यूज एजेंसी आइएएनएस के अनुसार पुलवामा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवान जी सुब्रमण्यम ने हमले से पहले अंतिम बार फोन पर अपनी पत्नी कृष्णावेणी से बातचीत की थी। इस बातचीत में जी सुब्रमण्यम ने परिवार का हालचाल पूछा। साथ ही पत्नी को याद दिलाया कि वह पिता जी की आंखों में नियमित दवाई डालती रहे। दरअसल उनके पिता वी गणपति की आंखों का कुछ दिनों पहले ही ऑपरेशन हुआ है। इसके बाद डॉक्टर ने उनकी आंखों में नियमित दवा डालने को कहा है।
जी सुब्रमण्यम के पिता इस बातचीत को याद कर-कर रो रहे हैं। वी गणपति ने समाचार एजेंसी से बातचीत में बताया कि बेटे ने इलाज करा आंखें तो ठीक करा दीं, लेकिन अब वह अपने बेटे को कभी नहीं देख सकेंगे। अंतिम बार पत्नी से हुई बातचीत में उसने बताया था कि वह अपनी बटालियन के साथ श्रीनगर जा रहा है। वह एकदम सामान्य था। न तो खुद जी सुब्रमण्यम और न ही उसके परिवार को अंदाजा था कि श्रीनगर की उसकी ये जर्नी अंतिम यात्रा में बदल जाएगी।
पिता वी गणपति ने बताया कि बेटे की बहु से बात होने के थोड़ी देर बाद हमने उसके मोबाइल पर फोन किया। कई बार प्रयास के बाद भी बेटे से बात नहीं हो सकी। कुछ देर बाद मीडिया से सीआरपीएफ काफिले पर हमले की सूचना मिली, तो दिल दहल गया। फिर भी उम्मीद थी कि उनके बुढ़ापे का सहारा उन्हें इस तरह से छोड़कर नहीं जा सकता। कुछ घंटों बाद वही हुआ, जिसका डर था। बेटे के शहीद होने की सूचना घर पहुंच गई।
पिता चाहते थे पुलिस में भर्ती हो बेटा
वी गणपति ने बताया कि वह हमेशा चाहते थे कि बेटा तमिलनाडु पुलिस में भर्ती हो, ताकि वह राज्य में ही रहे। वहीं उनका बेटा हमेशा से सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता था। सेना में तो नहीं, लेकिन सीआरपीएफ में वर्ष 2014 में उनका चयन हो गया। सीआरपीएफ में चयन के बाद बेटा सुब्रमण्यम बहुत खुश हुआ था। वह पांच साल से सीआरपीएफ में नौकरी कर रहे थे। इस दौरान दो साल से वह श्रीनगर में ही तैनात थे। इससे पहले दो वर्ष वह उत्तर प्रदेश में और प्रशिक्षण के दौरान एक वर्ष तमिलनाडु में तैनात रहे थे।
पहले भी पत्थरबाजों का हुआ था शिकार
सुब्रमण्यम के पिता वी गणपति बताते हैं कि कुछ समय पहले उनका बेटा श्रीनगर में पत्थरबाजों का शिकार हो गया ता। पत्थरबाजी में वह घायल हो गया था। उसे टांके लगे थे, लेकिन उसने घरवालों को ये बात नहीं बताई ताकि कोई घबराए न। उसके छुट्टी पर घर आने के बाद उसकी चोट के बारे में पता चला था। परिजन के अनुसार सुब्रमण्यम फुटबॉल, क्रिकेट और कबड्डी समेत अन्य खेलों में काफी रुचि लेते थे। अभी वह एक महीने की छुट्टी पर घर आए थे। इस दौरान उन्होंने कबड्डी टूर्नामेंट खेला और साइकलिंग प्रतियोगिता में ईनाम जीता था।
पोंगल मनाकर पांच दिन पहले ही लौटे थे सुब्रमण्यम
वी गणपति के अनुसार उनके बेटे की कृष्णावेणी से करीब डेढ़ साल पहले वर्ष 2017 में शादी हुई थी। उनकी बहु ने बी.कॉम की पढ़ाई की है। उन्होंने कहा कि सरकार उनकी बहु को शिक्षा के अनुरूप अगर सरकारी नौकरी प्रदान करती है तो ये परिवार के लिए बहुत बड़ी मदद होगी। उन्होंने बताया कि उनका बेटा सुब्रमण्यम पोंगल के मौके पर एक महीने की छुट्टी लेकर आया था। पांच दिन पहले ही वह नौकरी पर वापस लौटा था। 10 फरवरी को घर से जाते वक्त उसने वादा किया था कि वह जल्दी फिर घर वापस आएगा। तब किसी को पता नहीं था कि वह अब कभी नहीं लौटेगा।