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रणथम्बोर में नूर के लिए भिड़ गए दो बाघ, खौफनाक लड़ाई का वीडियो वायरल!

Viral Video of Tigers fighting राजस्थान के रणथम्बोर राष्ट्रीय उद्यान में एक बाघिन के लिए दो बाघों के बीच लड़ाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Fri, 18 Oct 2019 03:10 PM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 03:10 PM (IST)
रणथम्बोर में नूर के लिए भिड़ गए दो बाघ, खौफनाक लड़ाई का वीडियो वायरल!
रणथम्बोर में नूर के लिए भिड़ गए दो बाघ, खौफनाक लड़ाई का वीडियो वायरल!

Viral Video of Tigers fighting: राजस्थान के रणथम्बोर राष्ट्रीय उद्यान में एक बाघिन के लिए दो बाघों के बीच लड़ाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। एक मिनट के इस वीडियो में दो बाघों को लड़ता हुआ देखकर बाघिन वहां से भाग जाती है। एक बाघ की पहचान टी57 और दूसरे की पहचान टी58 के रूप में हुई है।

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आईएफएस अधिकारी परवीन कासवान ने अपने ट्विटर अकाउंट से यह वीडियो 16 अक्टूबर को शेयर किया था। उन्होंने वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है कि यह दो भाइयों के बीच नृशंस और हिंसक लड़ाई है।

उन्होंने बताया कि ये दोनों बाघ टी39 बाघिन के लिए लड़ रहे थे। बाघिन का नाम नूर है, जबकि टी57 का नाम सिंहस्थ और टी58 का नाम रॉकी है। ये दोनों शर्मिली के बेटे हैं।

कासवान ने बताया कि इस लड़ाई में बाघ टी57 जीत गया, लेकिन इसमें कोई गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ है। वीडियो में देखा जा सकता है कि जब दोनों बाघ लड़ रहे होते हैं तो बाघिन नूर वहां से भाग जाती है।

वीडियो देखें: 

दो बाघों के बीच की इस भयानक लड़ाई के वीडियो को अब तक 36 हजार से अधिक लोग देख चुके हैं, जबकि 2700 से अधिक लोगों ने इसे लाइक किया है। वहीं, 883 लोगों ने इसे रिट्वीट किया है।

एक यूजर हर्ष ने बताया कि व​​​ह घटना वाले जगह मौजूद थे। इस घटना का वीडियो किसी एक गाइड ने बनाया था। उन्होंने बताया ​कि उन दोनों बाघों के बीच लड़ाई बाघिन नूर के लिए नहीं हुआ था। एक बाघ गलती से सो रहे दूसरे बाघ पर गिर पड़ा था, इस वजह से दोनों में लड़ाई शुरू हो गई थी। हर्ष ने उन दोनों बाघों के बीच हुई लड़ाई का फोटो भी शेयर किया है।

एक अन्य यूजर दिलीप कुमार ने लिखा है कि रणथम्बोर राष्ट्रीय उद्यान में अधिकतम बाघों के रखने की संख्या 50 है, जबकि वर्तमान में 71 रह रहे हैं। ऐसे में बाघों के बीच लड़ाई होनी तो सामान्य है। वे गांवों की ओर जाते हैं और आसपास के आदिवासी इलाकों में भी चले जाते हैं और जानवरों तथा लोगों पर हमला कर देते हैं, जिससे उनकी मौत हो जाती है। उन्होंने परवीन कासवान के समक्ष इस बात को उठाते हुए लिखा है कि कृपया इस गंभीर मसले पर विचार करें।


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