तुर्कमेनिस्तान में लगा काली कारों पर प्रतिबंध दुनिया भर में कई देशों में है अजीब कानून
तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने अपने यहां काली कारों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दे दिया, वजह है उनका अंधविश्वास। जानें दुनिया के कुछ और विचित्र कानूनों के बारे में।
अंधविश्वासी राष्ट्रपति
मध्य एशिया के देश तुर्कमेनिस्तान में एक चौंकाने वाला फैसला सामने आया है। यहां राजधानी अश्गाबात के लोग अब काले रंग की कार नहीं खरीद सकेंगे। इसके पीछे कारण है तुर्कमेनी राष्ट्रपति गुरबंगुली बिरडीमुहामेडोव का सफेद कारों को लेकर अंधविश्वास। दरअसल, गुरबंगुली अपने पसंदीदा रंग सफेद को तुर्कमेनिस्तान के लिए भाग्यशाली मानते हैं। ऐसी स्थिति में वहां के अधिकारी भी सफेद रंग की कार को प्राथमिकता देने लगे हैं। इससे पूर्व राष्ट्रपति गुरबंगुली ने 2015 में काले रंग की कारों के आयात को रोक दिया था। हालांकि, अब उन्होंने राजधानी अश्गाबात में यह प्रतिबंध अब और रंग की गाडिय़ों के लिए भी लगा दिया है। बताया गया कि साल की शुरुआत में अश्गाबात के लोग जब सुबह उठे तो जिनके पास सफेद को छोड़कर दूसरे रंगों की कारें थीं, वह गायब थीं। पता चला कि अधिकारी उनकी कार उठाकर ले गए। बाद में उन्हें इस शर्त पर कार वापस मिली कि वह अपनी कारों को सफेद रंग में रंगा देंगे।
इस धंधे में आया उछाल
स्थानीय पुलिस वहां मौजूद सफेद कारों को छोड़कर दूसरी कारों की कुर्की कर रही है। इससे पहले अधिकारियों ने फैसला लिया था कि साल 2018 से वहां काले रंग की सभी कारें कुर्क होंगी। हालांकि कोई लिखित आदेश नहीं दिया गया, इसके बावजूद पुलिस दूसरे रंग की कारों की भी कुर्की कर रही हैं। इस फैसले को देखते हुए शहर में कारों को रंगने के बिजनेस में उछाल आ गया और करीब 64 हजार रुपये (एक हजार डॉलर) तक मांगा जाने लगा। पहले कारों की रंगाई करीब 32 हजार रुपये (500 डॉलर) में होती थी।
मलेशिया में पीले कपड़े
ऐसा ही अजीब नजारा 2016 में मलेशिया में देखने को मिला जब वहां के गृह मंत्री अहमद जाहिद हमीदी ने देश में बढ़ रहे प्रदर्शनों को देख कर पीले कपड़ों पर प्रतिबंध लगाया था। यहां पीले कपड़े पहनकर मलेशिया में लोग प्रेसीडेंट नजीब रजाक को प्रतिबंधित करने की मांग कर रहे थे।
जॉगिंग पर लगी रोक
इसी तरह बुरुंडी के प्रेसीडेंट पियर कुरुनजीजा ने 2014 में जॉगिंग को विध्वंस से जोड़ते हुए इस पर प्रतिबंध लगाया था।
हेयरकट पर जुर्माना
वहीं 2010 में रोमानिया में स्पाइक, पोनीटेल आदि जैसी पश्चिमी हेयरकट पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके लिए लोगों को निर्धारित हेयरस्टाइल की तस्वीरें भी भेजी गईं। नियम उल्लंघन पर जेल या जुर्माने का प्रावधान भी किया गया।