Move to Jagran APP

कभी देखा है नोटों का बाजार अगर नहीं तो यहां आइये सरकार

आपने फल और सब्‍जियों के बाजार तो हर शहर और हर देश में देखे होंगे पर क्‍या आपने नोटों का बाजार देखा है जहां तौल कर नोट बिकते हों।

By Molly SethEdited By: Published: Thu, 08 Feb 2018 03:19 PM (IST)Updated: Fri, 09 Feb 2018 10:10 AM (IST)
कभी देखा है नोटों का बाजार अगर नहीं तो यहां आइये सरकार
कभी देखा है नोटों का बाजार अगर नहीं तो यहां आइये सरकार
 यहां लगता है नोटो का बाजार
क्या आपने नोटों का बाजार देखा है। जहां किलो के हिसाब से नोट बेचे जाते हों। यदि नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते है एक ऐसे सचमुच के बाजार के बारे में। एक अफ्रीकी देश सोमालीलैंड में सड़कों पर नोटों के बंडल बिकते हैं। 1991 में गृह युद्ध के बाद सोमालिया से अलग होकर एक नया देश बना सोमालीलैंड। इस देश को अब तक किसी भी राष्‍ट्र ने अंतरराष्‍ट्रीय रूप से मान्‍यता नहीं थी। जाहिर है यह देश बेहद गरीबी से जूझ रहा है। यहां न कोई सरकारी व्‍यवस्‍था लागू हो पाई है और न ही कोई रोजगार है। सोमालीलैंड की मुद्रा शिलिंग हैं, जिसका किसी देश में कोई मूल्य नहीं है। इसके यहां मुद्रास्फीति इतनी बढ़ गई है कि लोगों को ब्रेड भी खरीदनी हो तो बोरे में भरकर नोट देने पड़ते हैं। यही कारण है कि यहां सिर्फ 500 और 1000 जैसे बड़े नोट नोट चलन में हैं।
 
तौल में खरीदें करेंसी
सोमालीलैंड के बाजार में 1 अमेरिकी डॉलर के बदले में 9000 शिलिंग मिल जाते हैं। खबर है कि यहां करीब 650 रुपए में 50 किलो से ज्यादा शीलिंग खरीदे जा सकते हैं। वैसे इससे कोई फायदा नहीं है क्‍योंकि एक तो इसको लाना- लेजाना काफी मुश्किल है ऊपर से इतनी रकम देने के बाद भी आपको सामान बहुत कम ही मिलेगा। यहां सोने का छोटा नेकलैस खरीदने के लिए भी 10 से 20 लाख रुपए देने पड़ते हैं। इस देश में एक भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त बैंक नहीं है, ऐसे में स्‍वाभाविक है कि यहां कोई बैंकिंग सिस्टम या एटीएम भी नहीं है।
 
कैशलैस कमाई
जहां भारत में कैशलैस के व्‍यवस्‍था के लिए अब भी जद्दोजहद चल रही है वहीं इस देश सोमालीलैंड में दो प्राइवेट कंपनीज ने मोबाइल बैंकिंग इकोनॉमी की व्‍यवस्‍था शुरू की है। इन कंपनियों ने इस परेशानी को देखते हुए ही ये व्‍यवस्‍था खड़ी की है। यहां पैसे कंपनी के जरिए फोन में जमा होते हैं और फोन के जरिये ही सामान बेचा या खरीदा जाता है। पैसों को कैरी करना बेहद मुश्किल है, लिहाजा लोग कैशलेस सिस्टम अपनाने लगे हैं। यहां से ऊंटों का सबसे ज्यादा निर्यात होता है और यहां के निवासी कमाई के लिए काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर हैं।
 

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.