चांद पर रहते थे एलियंस वैज्ञानिकों ने किया पक्का दावा
वाशिंगटन स्टेट यूनिर्वसिटी के एक शोध में ये दावा किया गया है कि इतिहास में कम से कम दो बार चांद पर जीवन था आैर यहां एलियन रहते थे।
करोड़ों साल पहले थे चांद पर एलियन
सालों से कभी यूएफआे आैर कभी एलियन देखे जाने की चर्चा होती रही है। इस बारे में कर्इ शोध भी हुए हैं, लेकिन यह साबित नहीं हो सका कि आखिर एलियन हैं या नहीं या कभी उनका कोर्इ अस्तित्व भी था या नहीं। इसको लेकर उत्सुकता आज भी बनी हुर्इ है जब हाल ही में वाशिंगटन स्टेट यूनिर्वसिटी के एक शोध में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि एलियन के होने की पूरी संभावना है। इन शोधकर्ताआें का कहना है कि चांद पर एलियन रहते थे। वैज्ञानिकों के अनुसार करोड़ों साल पूर्व इतिहास के दो अलग-अलग दौर में चांद पर एलियन मौजूद थे। वैज्ञानिकों ने इस बारे में स्पष्ट करते हुए बताया कि संभवत: उल्का पिंडों के विस्फोट के चलते चांद पर जीवन के योग्य वातावरण पैदा हुआ था। यह वातावरण वर्तमान से काफी बेहतर था इसीलिए वहां एलियन रह सके।
ज्वालामुखी विस्फोट भी बना सकता है उपयुक्त परिस्थिति
वर्तमान चंद्रमा की सतह धूल से भरी जीवनहीन जगह है, लेकिन शोधकर्ताआें का दावा है कि शायद हमेशा ऐसा नहीं था। डेली मिरर की एक खबर के अनुसार इस बारे में अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों ने बताया है कि पहली बार 4 अरब और दूसरी बार लगभग 3.5 अरब साल पहले चांद पर जीवन जीने योग्य वातावरण था। पहली बार यदि ये स्थितिया उल्कापिंड के विस्फोट से बनी होंगी तो दूसरी बार इसकी वजह ज्वालामुखी का विस्फोट भी हो सकती है। दोनों ही अवसरों पर चांद पर बड़ी मात्रा में गर्म गैस पैदा हुर्इं जिससे पानी का वाष्पीकरण हुआ आैर बाद में उसी वाष्प से पानी के जलाशय तैयार हुए होंगे।
अनुकूल परिस्थितियों से बना जीवन के योग्य वातावरण
वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोबायॉलजी के विशेषज्ञ डिर्क शुल्ज माकुच ने बताया है कि इस वाष्पीकरण से बने जलाशयों से के चलते लंबे समय के लिए चांद पर जीवन के अनुकूल माहौल बना। हालांकि ये चांद की सतह पर अस्थायी रूप से जीवन जीने योग्य माहौल था। शुल्ज ने यह शोध यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के ग्रह विज्ञान और एस्ट्रोबायॉलजी के प्रोफेसर इयान क्राफॉर्ड के साथ मिलकर यह शोध किया है। इन दोनों वैज्ञानिकों को मानना है कि यदि ये स्थितियां फिर बनी तो चंद्रमा की सतह आज भी किसी हद रहने योग्य हो सकती है।