मंगल पर शामें गुलजार होंगी
चांद पर बंगला बनाएंगे, बृहस्पति पर छुट्टियां बिताएंगे, मंगल पर शामें गुलजार होंगी अपनी..कभी-कभी आपका भी दिल करता होगा कि दुनिया से दूर कोई शांत जगह होती जहां गाडि़यों के शोर-शराबे से दूर आप कुछ वक्त अकेले बिता पाते!! दोस्तों को जब कभी आप यह बोलेंगे वे हंसेंगे जरूर और बोलेंगे, अगर इतना ही अकेले रहने का मन है तो जंगल चले जाओ न!..लेकिन जनाब वहां भी तो जानवरों का डेरा है। गए तो हमेशा के लिए कहीं दूर ही शायद चले जाएं।
चांद पर बंगला बनाएंगे, बृहस्पति पर छुट्टियां बिताएंगे, मंगल पर शामें गुलजार होंगी अपनी..कभी-कभी आपका भी दिल करता होगा कि दुनिया से दूर कोई शांत जगह होती जहां गाडि़यों के शोर-शराबे से दूर आप कुछ वक्त अकेले बिता पाते!! दोस्तों को जब कभी आप यह बोलेंगे वे हंसेंगे जरूर और बोलेंगे, अगर इतना ही अकेले रहने का मन है तो जंगल चले जाओ न!..लेकिन जनाब वहां भी तो जानवरों का डेरा है। गए तो हमेशा के लिए कहीं दूर ही शायद चले जाएं। खैर यह तो मजाक की बात थी लेकिन वास्तव में कई बार जब आप बहुत परेशान होते हैं तो कहीं एकांत में जाने का मन करता है। किसी ऐसी जगह जहां दूर तक नजर जाए तो बस शांत और खुला आसमान! आज के वक्त में आप ऐसी किसी जगह की कल्पना धरती पर तो नहीं कर सकते। इसलिए कुछ लोगों ने धरती से पलायन करने का मन बना लिया है और मंगल ग्रह पर बसने जा रहे हैं। चौंकिए नहीं ये नासा के अंतरिक्ष यात्री नहीं हैं। दिल्ली और गुड़गांव के युवा परिवार हैं जो मंगल पर बसने जा रहे हैं।
कुछ दिनों पहले एक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सेंटर मार्स वन ने पूरे विश्व के लोगों से मंगल ग्रह पर बसने के लिए एकपक्षीय यात्रा (सिर्फ जाने की) के लिए आवेदन मांगा था। विश्वभर से 1 लाख 65 हजार लोगों ने इसके लिए आवेदन किए हैं। आवेदनकर्ताओं में हजारों की संख्या में भारतीय हैं। अपना घर छोड़कर, अपनी धरती छोड़कर किसी दूसरे ग्रह पर जाना और वह भी इस तरह कि आने का कोई प्रावधान नहीं। उन्हें अब पूरी जिंदगी वहीं गुजारनी होगी क्योंकि मंगल पर एक धरती की तरह जीवन बसाना है। इसके लिए इन उत्साहित यात्रियों का जज्बा वाकई में काबिले तारीफ है।
दिल्ली और गुड़गांव के इन आवेदनकर्ताओं में 31 साल से 20 साल तक के युवा भी हैं। इनमें से कई ऐसे हैं जो कभी अंतरिक्ष यात्री बनना चाह्ते थे पर बन नहीं पाए। इसलिए अपने उस सपने को पूरा करने का यह सुनहरा अवसर जानकर उन्होंने पहले ही दिन इसके लिए आवेदन कर दिया।
2023 तक मंगल पर कॉलोनी बसाने के सपने को पूरा करने की कोशिश में यह मिशन यात्रा सिर्फ एक तरफ की है। इसके लिए चुने जाने वाले यात्री मंगल पर केवल जा सकते हैं, वहां से वापस आने के लिए उनके पास कोई रास्ता नहीं होगा। इस यात्रा को प्रायोजित कर रही मार्स वन इन यात्रियों को केवल वहां पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होगी, वापस लाने के लिए नहीं। लेकिन इस यात्रा के लिए चुने जाने का सपना देख रहे इन आवेदनकर्ताओं को इसकी परवाह नहीं है। वे इससे डर नहीं रहे कि वे वापस धरती पर लौट नहीं पाएंगे। इनका मानना है कि उन्हें धरती के लिए कुछ अच्छा करने का मौका मिला है। अगर वे इस मिशन के लिए चुन लिए गए तो मंगल पर जाकर रहने वाले पहले यात्रियों में गिने जाएंगे।
आवेदनकर्ताओं से आवेदन के लिए एक राशि ली गई थी जिसमें हर देश की आर्थिक स्थिति के आधार पर एक राशि तय की गई थी। अमेरिका के लिए यह जहां 38 डॉलर है, मैक्सिको के लिए 15 डॉलर। भारतीयों के लिए 7 डॉलर रखी गई है। अंतिम तौर पर यात्रियों का चयन वोटों के आधार पर किया जाएगा जिन्हें यात्रा से पहले कुछ वषरें का प्रशिक्षण दिया जाएगा। लेकिन इन हजारों आवेदनों में केवल 40 ही चुने जाएंगे। मजेदार बात यह है कि इन यात्रियों को मंगल पर रहने के लिए केवल कुछ दिनों का सामान ही दिया जाएगा। यहां तक कि ऑक्सीजन भी कुछ दिनों के लिए ही होगा। इसके बाद यात्रियों को ऑक्सीजन, पानी और खाना भी खुद ही उगाना होगा। मंगल की सतह के अंदर जमे हुए पानी को पिघलाकर पीना होगा और अनाज उगाने की विधि ढूंढ़नी होगी। क्योंकि मंगल पर ऑक्सीजन भी नहीं है इसलिए पानी के कणों को तोडकर ही उससे मिलने वाले ऑक्सीजन को सांस लेने के लिए प्रयोग करना होगा।
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