'मदद नहीं करने का चालान कट जायेगा', जी हां ऐसा भी होता है कभी कभी
मुंबई की बारिश अच्छे अच्छों को हैरान परेशान कर देती है ऐसे में कोई मददगार मिल जाये तो समझों फरिश्ता मिल गया पर कानून फरिश्तों को भी हैरान कर देते हैं।
मंहगा पड़ा मदद करना
इन दिनों मुंबई बारिश की मार से परेशान है और जन जीवन अस्त व्यस्त है। ऐसे में कई लोग परेशानियों के बीच राहत का इंतजार भी कर रहे हैं। अब सोचिए इन हालात में जिन्हें सहायता करने वाला हाथ मिल जाता होगा वे उसे कितनी दुआ देते होंगे। ऐसा लगता जरूर है पर कई बार होता नहीं है, कम से कम मुंबई के नितिन नायर नाम के युवक को तो ऐसा ही लगा होगा। नितिन ने बारिश में फंसे एक बुजुर्ग सहित कुछ और लोगों को लिफ्ट देने की गलती की थी, जी हां अब उन्हें तो ऐसा ही महसूस हो रहा है। ये बात नितिन ने अपनी फेसबुक पोस्ट में साझा भी की और कहा अब उन्हें समझ आया कि क्यों लोग सड़क पर मर रहे शख्स को नजरअंदाज करके गुजर जाते हैं।
नितिन की आपबीती
नितिन की पोस्ट के अनुसार पिछले हफ्ते वे कहीं से लौट रहे थे, जब रास्ते में बारिश में फंसे हुए कुछ लोग उन्हें। नितिन ने उन्हें अपनी गाड़ी में लिफ्ट दे दी। इनमें से एक 60 साल के बुजुर्ग भी थे। नितिन को इन लोगों को गाड़ी में बैठाते देख कर मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने उनका चालान काट दिया। उन पर मोटर व्हीकल ऐक्ट की धारा 66 (1) और धारा 192 (A) के तहत जुर्माना लगाया गया। ये नियम कहता है कि कोई भी व्यक्ति पर्सनल कार का इस्तेमाल लोगों को लाने ले जाने के लिए नहीं कर सकता, उसके लिए उसे विशेष ट्रांसपोर्ट लाइसेंस लेना जरूरी होता है। नितिन की शिकायत है कि इस मदद के बदले उन्हें 1500 रुपये का जुर्माना देने के बाद अपना लाइसेंस लेने के लिए भी कई चक्कर लगाने पड़े। उनका कहना उन्हें तो मदद करने की सजा मिली, पुलिस वालों को अगर लगा था कि मैं पैसे लेकर सवारी बिठा रहा हूं तो कम से कम उन लोगों से पूछ तो लेना चाहिए था।
पुलिस ने माना नहीं लगना चाहिए जुर्माना
नितिन की पोस्ट वायरल होने के बाद नवी मुंबई के डिप्टी कमिश्नर ट्रैफिक के कार्यालय से कहा गया कि मामले की पूरी जानकारी मंगा कर उसकी जांच की जायेगी। हांलाकि वे मानते हैं कि घटना की पूरी जांच के बाद ही चालान और जुर्माना हुआ होगा, पर फिर भी गलती की संभावना को दरकिनार नहीं किया जा सकता। संबंधित विभागों से ऊपर दिये गए नियमों के तहत कार्यवाही से जुड़े सभी तथ्यों की जांच करने के लिए कहा गया है और ये स्वीकार किया गया है कि अगर कहीं किसी की मदद की जा रही है तो उसे बढ़ावा देना चाहिए ना कि उस पर जुर्माना लगना चाहिए।