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इस शहर में है गिद्धों और चीलों के लिए रेस्‍टोरेंट

चलिए आज आपको बताते हैं ऐसे रेस्टोरेंट के बारे में जहां गिद्ध और चील खाना खाते हों। कानपुर शहर के चिड़ियाघर में बना है ये रैप्टर्स रेस्टोरेंट।

By Molly SethEdited By: Published: Thu, 12 Apr 2018 12:52 PM (IST)Updated: Fri, 13 Apr 2018 09:28 AM (IST)
इस शहर में है गिद्धों और चीलों के लिए रेस्‍टोरेंट
इस शहर में है गिद्धों और चीलों के लिए रेस्‍टोरेंट

एक तीर से दो शिकार

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कानपुर जूलॉजिकल पार्क ने एक खुला 'रैप्टर्स रेस्तरां' विकसित किया है। इससे दो उद्देश्‍यों की पूर्ती होती है। एक तो मरने वाले जानवरों के शवों से गंदगी फैलने से बच जाती है और उनके उपयोग से गिद्ध और चील जैसी लुप्‍त होती प्रजातियों का संरक्षण हो जाता है। वैसे इसका मुख्य उद्देश्य चिड़ियाघर में एक साथ अच्छी संख्या में गिद्धों व चीलों को बुलाना ही है। चिकित्सकों का कहना है गिद्धों की संख्या देश में बहुत तेजी से कम हो रही है, इसलिए इनका संरक्षण किया जाना जरूरी है। जब झुंड में गिद्ध आएंगे तो स्वाभाविक है कि वह पहले नेस्टिंग फिर ब्रीडिंग यानि प्रजनन करेंगे। इससे उनकी जनसंख्या में वृद्धि हो सकती है।

ओपन रेस्‍टोरेंट

ये खास रेस्‍टोरेंट चारों ओर पेड़ों से घिरा और बीच में लकड़ी की टहनियां लगा कर खुले आसमान के नीचे बनाया गया है। जहां गिद्ध, चील व अन्य शिकार करने वाले पक्षियों को ठहरने की सुविधा मिलती है। जू के सफारी एरिया में रेस्टोरेंट का स्थान तैयार किया गया  है जिसके चारों ओर पेड़ लगे हैं। ऊपरी हिस्सा पूरी तरह खुला है। बीच-बीच में लकड़ी की मोटी टहनियां रखी गई हैं। जिन पर गिद्ध और चील आराम से बैठ सकते हैं। वे केवल मांस खाकर उड़ न जाएं, इसलिए पास ही छोटा सा तालाब भी बनाया गया है।

संक्रमण और गंदगी से छुटकारा

इसके अलावा अन्‍य लाभों का जिक्र करते हुए प्राणी उद्यान के चिकित्सका विभाग का कहना है कि पहले यहां अलग-अलग चार क्षेत्रों में मीट के टुकड़े डाले जाते थे। इससे दुर्गंध व संक्रमण फैलने का खतरा रहता था। साथ ही बारिश के समय दिक्कतें बढ़ जाती थीं लेकिन, रेस्टोरेंट की व्यवस्था के बाद संक्रमण और गंदगी की समस्या से भी छुटकारा मिल गया है। चिड़ियाघर में आने वाले गिद्ध, कोल गिद्ध और दुर्लभ प्रजाति के ग्रिफॉन का संरक्षण करना उद्यान कीप्राथमिकता है।  


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