रवांडा के लिए कातिल से जीवनदायनी बनने की तैयारी में किवु झील
कभी मौत की झील के नाम से जानी जाने वाली रवांडा की किवु झील आने वाले समय में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत बन सकती है।
ऊर्जा देगी कातिल झील
कुछ अर्सा पहले हमने आपको एक झील के बारे में बताया था कि वो जानलेवा है, आैर पूछा था कि क्या आप वहां जाना पसंद करेंगे, जाहिर तब बहुत से लोगों ने सोचा होगा कि नहीं। दुनिया में ऐसी बहुत सी जगह हैं जो काफी अजीबोगरीब और रहस्यों से भरी हुई हैं। बहुत सी ऐसी जगह भी हैं जो पहले सुरक्षित थीं पर बाद में इंसानों के लिए जानलेवा बन गई। ऐसी ही एक जगह अफ्रीका महाद्वीप में भी मानी जाती रही है ये झील जिसके किनारे लगभग 20 लाख लोग रहते हैं। कहा जाता रहा है कि इन लोगों की जान इस झील की वजह से खतरे में आ सकती है, पर अब एक अच्छी बात इसके बारे में सुनी जा रही है। पता चला है कि इस झील के पानी से ऊर्जा पैदा की जा सकती है। इससे स्थानीय लोगों का जीवन स्तर निश्चित रूप से सुधरेगा।
मीथेन गैस की बहुतायत
बताया जाता रहा है कि किवु नाम की इस झील के पानी में मौत घुली हुई है। किलर झील कही जाने वाली किवु लेक अफ्रीका महाद्वीप के डेमोक्रेटिक रिपब्लिक कांगो और रवांडा की सीमा पर दोहरे स्वामित्व वाली झील है। इस झील के पानी से लाखों लोगों की जान को खतरा था, क्योंकि इसमें काफी मात्रा में मीथेन गैस मिली हुई है। यह गैस इतनी खतरनाक है कि इसकी चपेट में आने वाले की कुछ ही देर में मौत भी हो सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस झील के पानी से बना बादल भी जहरीली मीथेन गैस को समेटे हुए होगा और अगर ये रिहायशी इलाके में बरसा तो लाखों लोगों की जान जा सकती है। ये सारी बातें अब भी सच हैं मगर अब कहानी में ट्विस्ट आ सकता है।
कुछ परीक्षणें से हुर्इ जानकारी
द गार्जियन की एक रिर्पोट के अनुसार किवु झील के पानी में मीथेन की बहुतायत की जानकारी मिलने के बाद रवांडा सरकार ने इसके लिए सुरक्षात्मक उपायों को ढूंढने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम को इस पर परीक्षण करने के लिए कहा। इन टेस्ट के परिणाम काफी चौंकाने वाले थे। शोधकर्ताआें ने बताया कि ये सच है कि पानी में काफी तादात में मीथेन मौजूद है पर उसका प्रयोग ऊर्जा के उत्पादन के लिए किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि लोगों की जान किसी धमाके या जहरीली वर्षा से ना हो इसके लिए पानी से मीथेन गैस निकालना जरूरी है आैर इस प्रक्रिया में उससे गैस की भारी अप्रत्याशित आपूर्ति के जरिए भरपूर ऊर्जा पैदा हो सकती है। अब जल्दी ही यहां पर किवुवाट बायोगैस परियोजना शुरू की जायेगी।