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डॉक्‍टर ने 400 ग्राम की नवजात को जीवन दान देकर बनाया रिकॉर्ड

डॉक्‍टर सचमुच मसीहा होते हैं इस बात को उदयपुर के एक डॉक्‍टर ने महज 400 गाम की नवजात बच्‍ची को जीवनदान दे कर साबित कर दिखाया है।

By Molly SethEdited By: Published: Sat, 13 Jan 2018 01:18 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jan 2018 10:48 AM (IST)
डॉक्‍टर ने 400 ग्राम की नवजात को जीवन दान देकर बनाया रिकॉर्ड
डॉक्‍टर ने 400 ग्राम की नवजात को जीवन दान देकर बनाया रिकॉर्ड

कितना कम वजन 

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भले ही यह बात सुनने में बहुत ही अजीब और दिल में चुभने वाली लगे पर सच है कि एक नवजात बच्‍ची इतने कम वजन के साथ जन्‍मी, जितने वजन के ऊन में तो बच्‍चों का स्‍वेटर भी मुश्‍किल से बन पाता है। इस बच्‍ची का जन्‍म के समय वजन मात्र 400 ग्राम था। आप सोच सकते हैं ऐसे बच्चे की क्या हालत होगी। लोग तो यही कहेंगे कि उसका जिंदा बच पाना मुश्किल है, लेकिन ऐसे राजस्थान में एक डॉक्टर के कमाल ने इस बात को साबित कर दिया कि क्‍यों लोग चिकित्‍सकों को भगवान मानते हैं। उस डॉक्‍टर ने इस नन्ही सी जान को बचाने के लिए 7 महीने तक जी जान लगा दिया और अब बच्‍ची अपनी मुस्कान से उस डॉक्टर को सबसे शुक्रिया अदा करती नजर आ रही है। 

नामुमकिन को मुमकिन बनाने की कोशिश

पता चला है कि राजस्थान में उदयपुर में एक डॉक्टर सुनील जांगड़ ने दक्षिण एशिया में अब तक का सबसे छोटा और सबसे कम वजन वाला बच्‍चा माने जाने वाले बच्चे की जिंदगी को बचा कर ना सिर्फ एक रिकॉर्ड बना दिया है, बल्कि लाखों लोगों के दिलों को छू लिया है। यहां के एक निजी हॉस्पिटल में पिछले साल एक बच्ची का जन्म हुआ था। जन्म के समय उस बच्ची की लंबाई सिर्फ 22 सेंटीमीटर और उसका वजन मात्र 400 ग्राम था। बच्ची ठीक से सांस भी नहीं ले पा रही थी और उसका शरीर नीला पड़ता जा रहा था। बच्ची के मां बाप सहित सभी लोग यह मानकर चल रहे थे कि वो जिंदा नहीं बच पाएगी। तब हॉस्पिटल के डायरेक्टर सुनील जांगड और उनके सहयोगी ने इस बच्ची की जिंदगी बचाने की नामुमकिन चुनौती को स्वीकार किया।

अब उसकी मुस्‍कराहट कहती है शुक्रिया

इसके बाद बच्ची को इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा गया। शुरुआत में ही शरीर से पानी का वाष्पीकरण होने के कारण उसका वजन और कम हो गया। कमजोर शरीर और प्रीमेच्योर होने के कारण उसकी आंतें और पेट दूध पचाने लायक भी नहीं थी। तो इस स्‍थिति में उस बच्ची को ग्लूकोज, सभी तरह के प्रोटीन आदि उसकी नसों में डालकर ही शरीर में पहुंचाए गए। करीब 7 महीनों लंबे इस अथक प्रयास के बाद आज इस बच्ची का वजन करीब ढाई किलो हो गया है और वो पूरी तरह से स्‍वस्‍थ है। अब उसे अस्पताल से छुट्टी दी जा रही है। डॉ जांगिड़ का दावा है कि इससे पहले पूरे दक्षिण एशिया में इतने कम वजन वाले बच्चे के जिंदा बचने की कोई भी ऑफिशियल रिपोर्ट मौजूद नहीं है। उनके मुताबिक साल 2012 में पंजाब के मोहाली में एक 450 ग्राम वजन के शिशु को उपचार करके बचाया गया था। फिलहाल अभी यह नन्ही सी जान स्वस्थ हो चुकी है और अपनी क्यूट स्माइल से डॉक्टर और अपने पेरेंट्स के अथक प्रयासों के लिए उन्हें धन्यवाद दे रही है।


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