Move to Jagran APP

बोल नहीं पाता ये बच्चा पर आंख के इशारे से लिख डाली किताब

आइये जानें 12 साल के जोनाथन ब्रायन को पैदाइशी तौर बोलने आैर चलने फिरने महरूम है, फिर भी उसने आंख के इशारे से लिख दी है एक किताब जो स्वस्थ लोगों के लिए एक मिसाल है।

By Molly SethEdited By: Published: Sat, 04 Aug 2018 01:48 PM (IST)Updated: Sat, 04 Aug 2018 01:50 PM (IST)
बोल नहीं पाता ये बच्चा पर आंख के इशारे से लिख डाली किताब
बोल नहीं पाता ये बच्चा पर आंख के इशारे से लिख डाली किताब

मां के साथ हुए हादसे का शिकार 

loksabha election banner

द सन में छपी एक खबर के मुताबिक इंग्लैंड के रहने वाले 12 साल के जोनानाथ ब्रायन की मां जब 7 माह की गर्भवती थीं तभी उनका एक कार एक्सीडेंट हुआ आैर शिकार बने अजन्मे जोनानाथ। जन्म से ही वे ना तो हिल डुल सकते थे ना ही उनमें बोलने की क्षमता थी। वह जन्म से सेरेब्रल पाल्सी नाम की गंभीर बीमारी से पीड़ित है। इस बीमारी ने उसके दिमाग को निर्देश देने वाली नसों को प्रभावित किया किया है। वो सारा समय व्हीलचेयर पर रहता है आैर अपने शरीर को हिला भी नहीं पाता। 

मां नहीं हारी 

उसे जन्म से सांस लेने में भी दिक्कत होती थी। 7 साल की तक तो वो कुछ भी नहीं बोल पाता था। जब उसकी मां ने उसे आंखों के इशारे से बोलना सिखाना शुरू किया। जब उसके शिक्षकों ने कहा कि उसे पढ़ाना काफी कठिन है, तब जोनाथन की मां चैंटन ब्रायन ने जिम्मेदारी संभाली। बिना हिम्मत हारे वह बेटे को रोजाना स्कूल ले जातीं और उसे पढ़ाने की कोशिश करतीं। इस अनथक मेहनता का नतीजा था कि 9 साल की उम्र में जोनाथन कुछ शब्दों का उच्चारण करना सीख गया।

तकनीक की ली मदद 

इसके बाद उन्होंने अपने बेटे को ई-ट्रेन फ्रेम की मदद से लोगों से बात करना सिखाया। ई-ट्रेन फ्रेम कलर कोडिंग सिस्टम वाला चौकोर पारदर्शी प्लास्टिक बोर्ड होता है। इस पर बने चित्रों या शब्दों को आंखों के इशारों से बता कर जोनानाथ जैसी समस्या से ग्रस्त लोग अपनी भावनाये जाहिर करते हैं। जोनानाथ भी इसी तरह पूछे गए सवालों के जवाब दे सकता है। इसके बाद अब उसने अपने अनुभवों पर एक किताब आर्इ कैन राइट लिख डाली है। ये किताब उस जैसे कितने लोगों के लिए प्रेणना है आैर सामने आने के साथ ही बेस्ट सेलर की सूची में आ गर्इ है। डेलीमेल की एक खबर के मुताबिक पिछले साल प्रिंस विलियम आैर प्रिंस हैरी ने सम्मानित किया था। 

मां ने की मदद अब करेंगे लोगों की मदद 

इस किताब को लिखने में जोनाथन की मां ने उनकी मदद की वे उसकी आंखों की तरफ देखतीं आैर वो आंखों के इशारों से जो बताता उसे लिख लेतीं। उसने इस किताब में अपने खामोश रहने के दौरान घुटन भरे दिनों से लेकर अब तक के सफर के बारे में बताया है। साथ ही इस अवधि में ईश्वर में अपने विश्वास की बात भी साझाा की जो उसको प्रेरित करने की अहम वजह थी। चैंटन ने बताया कि यह किताब लिखने में एक साल का समय लगा। अब उनका कहना है कि किताब की बिक्री से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल ई-ट्रेन फ्रेम शिक्षा पद्घति को बढ़ावा देने में किया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.