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पूंछ वाला बच्चा

दुनिया में जाने कितने तरह के लोग होते हैं पर मूल बनावट हर किसी की एक सी होती है। आप अफ्रीका जाओ या अमेरिका, यूरोप जाओ या ऑस्ट्रेलिया, काले-गोरे, नाटे-लंबे कई तरह के लोग मिलेंगे पर शारीरिक बनावट सबकी एक सी होती है। सबकी सूरतें अलग-अलग, हाव-भाव अलग हैं पर फिर भी सभी एक से दिखते हैं। जैसे दुनिया के किसी भी कोने में चले जाओ तीन आंखों वाला इंसान नहीं मिलेगा। किसी का भी दो सिर नहीं होगा, चार या छ हाथ नहीं होंगे, तीन पैर नहीं होंगे।

By Edited By: Published: Thu, 08 Aug 2013 03:10 PM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2013 03:10 PM (IST)
पूंछ वाला बच्चा

दुनिया में जाने कितने तरह के लोग होते हैं पर मूल बनावट हर किसी की एक सी होती है। आप अफ्रीका जाओ या अमेरिका, यूरोप जाओ या ऑस्ट्रेलिया, काले-गोरे, नाटे-लंबे कई तरह के लोग मिलेंगे पर शारीरिक बनावट सबकी एक सी होती है। सबकी सूरतें अलग-अलग, हाव-भाव अलग हैं पर फिर भी सभी एक से दिखते हैं। जैसे दुनिया के किसी भी कोने में चले जाओ तीन आंखों वाला इंसान नहीं मिलेगा। किसी का भी दो सिर नहीं होगा, चार या छ हाथ नहीं होंगे, तीन पैर नहीं होंगे। हालांकि कभी-कभार अपवाद भी हो जाया करते हैं।

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भारत के पंजाब प्रांत के फतेहपुर में एक 12 वर्षीय बच्चा ऐसा ही एक अपवाद है। चौंकिए मत, उसकी आंखें, सिर, हाथ-पैर सब आपकी ही तरह हैं पर हां, शरीर का एक हिस्सा इंसान के शुरुआती दौर की बात याद कराता है, यानि आदिम मानव। अपने विकास के शुरुआती दौर में इंसान बंदर माने जाते हैं और उनकी पूंछ हुआ करती थी। हालांकि धीरे-धीरे इस पूंछ की लंबाई घटते-घटते इंसानी शरीर से पूरी तरह लुप्त हो गई। पर आज भी किसी-किसी में अवांछित रूप से इसका विकास हो जाता है। फतेहपुर के इस 12 वर्षीय अरशद अली के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ। अरशद अली की पूंछ है।

डॉक्टरी भाषा में इसे मेनिंगोसिले नामक बीमारी के नाम से जाना जाता है पर आम लोग इसे कुछ और ही मान रहे हैं। खबरों के अनुसार पूंछ होने के साथ ही अरशद की पीठ पर हनुमान की तरह 9 पवित्र निशान भी हैं। इसके अलावे भी पैरों के तलवों पर पद्म निशान और बायीं बांह पर सीता और कड़े का निशान है। 15 फरवरी, 2001 को जन्मा अरशाद लोगों के लिए हनुमान का रूप और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला बच्चा है। लोग उससे आशीर्वाद लेने आते हैं। पर अरशाद की अपनी जिंदगी बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। अरशाद के पिता की मृत्यु हो चुकी है। उसकी मां दूसरी शादी कर अपने पति के साथ रहती है। बचपन से अकेलेपन का दंश झेल रहा अरशद अपने नाना के साथ रहता है।

उसके नाना ही उसकी देखभाल करते हैं। इस अनचाही पूंछ के कारण अरशाद को चलने, उठने-बैठने में दिक्कत होती है। उसके नाना ने डॉक्टरों से जब इसे हटाने के लिए ऑपरेशन की बात की तो डॉक्टरों ने ऑपरेशन से अरशाद की जान को खतरा बताया। सातवीं कक्षा का छात्र अरशाद, लोगों के लिए कौतूहल का विषय बनकर इस पूंछ के साथ ही अपनी संघर्षमय जिंदगी जीने के लिए मजबूर है।

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