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Janakpuri Delhi Haat: सालों बाद भी आइएनए और पीतमपुरा जैसी पहचान नहीं बना सका जनकपुरी दिल्ली हाट

जनकपुरी स्थित दिल्ली हाट की स्थिति साल दर साल खराब होती जा रही है। जनकपुरी हाट में लोगों की आवाजाही बिल्कुल न के बराबर है जबकि यहां बनी स्टालों का किराया ज्यादा और ग्राहक न होने के करण वेंडर्स यहां नहीं आना चाहते।

By Jagran NewsEdited By: Nitin YadavPublished: Sun, 05 Feb 2023 11:34 AM (IST)Updated: Sun, 05 Feb 2023 11:34 AM (IST)
Janakpuri Delhi Haat: सालों बाद भी आइएनए और पीतमपुरा जैसी पहचान नहीं बना सका जनकपुरी दिल्ली हाट
सालों बाद भी आइएनए व पीतमपुरा जैसी पहचान नहीं बना सका जनकपुरी दिल्ली हाट। फोटो सोर्स-जागरण फोटो।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। हाल ही में इस वर्ष के बजट में पर्यटन से जुड़े अवसरों को बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया है। पर पश्चिमी दिल्ली में जनकपुरी स्थित दिल्ली हाट की स्थिति साल दर साल खराब हो रही है। यहां लोगों की आवाजाही न के बराबर है और हाट में बनी स्टाल का किराया अधिक व खरीदार नहीं होने के कारण वेंडर्स यहां आना नहीं चाहते हैं। यहां फूड कोर्ट में 29 दुकानें पर उसमें से केवल पांच ही दुकानें खुली हैं। इसके अलावा क्राफ्ट स्टाल में केवल 11 ही वेंडर्स आकर्षण का केंद्र है।

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गौर करने वाली बात यह है कि इनमें से किसी भी दुकान पर भारत की परंपरा, संस्कृति, कला, स्वाद नहीं झलकता है। हालांकि यह स्थिति हमेशा से ऐसी नहीं थी, पहले कोरोना महामारी और फिर प्रबंधन की नाकामयाबी के चलते आज दिल्ली हाट परिसर में सन्नाटा पसरा है व स्टाल धूल फांक रही हैं।

वेंडर्स का कहना हैं कि आइएनए व पीतमपुरा स्थित दिल्ली हाट समेत दिल्ली पर्यटन विभाग के अंतर्गत आने वाले अन्य पर्यटन स्थलों को लेकर विभाग काफी सजग है, पर जनकपुरी स्थित दिल्ली हाट के साथ अधिकारियों का सौतेला व्यवहार देखने को मिलता है।

क्या है समस्या

कोरोना महामारी से पूर्व यहां भव्य अंदाज में मैंगो फेस्टिवल, महफिल-ए-शर्बत, इत्र मेला, बागवानी मेला, तीज मेला आदि का आयोजन होता था। पर संक्रमण दर कम होने के यहां कोई आयोजन नहीं हुआ और यदि हुआ तो उसका प्रचार-प्रसार नहीं किया गया। जिसके कारण यहां कोरोना महामारी के बाद से लोगों की आवाजाही नहीं बढ़ी। इसके अलावा महामारी में कामकाज प्रभावित होने के बाद भी वेंडर्स से 15 हजार रुपये का किराया लिया गया। इससे नाराज कई वेंडर्स ने हड़ताल की तो कुछ काम छोड़कर चले गए।

हालांकि, इस वर्ष पर्यटन विभाग ने वेंडर्स का किराया आधा कर दिया है पर यह सुविधा 31 मार्च तक ही उपलब्ध है। फिलहाल हाट में जल संचयन, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट व कैमरे सभी खराब पड़े है। लंबे समय इनका भी टेंडर नहीं हुआ है। कुछ समय पहले दिल्ली हाट को चौक की ढाणी की अवधारणा पर विकसित करने की भी योजना बनाई गई थी, पर बाद में उसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

इसके अलावा हाट में दिव्यांगों के लिए बने शौचालय पर ताला लगा है। अगर फूडकोर्ट की बात करें तो वहां फास्ट फूड के अलावा कोई पारंपरिक भोजन नहीं मिलता है। जहां तक पार्किंग की बात है वह पट्टे पर निजी कंपनी के पास है, ऐसे में वहां बाहरी लोगों के वाहन अधिक नजर आते है।

क्या कहते हैं अधिकारी

अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को ही नए प्रबंधक को जनकपुरी स्थित दिल्ली हाट का कार्यभार सौंपा गया है। सोमवार से नए प्रबंधक अपनी जिम्मेदारी को संभालेंगी। हालांकि, दिल्ली हाट में वेंडर्स आए इसके लिए प्रयास किया जा रहा है। भारत के सभी राज्यों के पर्यटन विभाग को इस बाबत पत्र लिखा गया है कि वे यहां क्राफ्ट व फूड स्टाल में अपनी संस्कृति, पहनावे व स्वाद को परोसे। पर कही से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।

इसके अलावा स्थानीय वेंडर्स से भी संपर्क किया गया है, पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है। वेंडर्स स्टाल लें, इसके लिए किराया भी कम कर दिया गया है। जहां तक सांस्कृतिक कार्यक्रम की बात है, हर शनिवार व रविवार को हाट में साहित्य कला परिषद की ओर से कार्यक्रम किया जाता है। इसके अलावा अगले सप्ताह हाट में बागवानी मेले का आयोजन होने जा रहा है। यह आयोजन भव्य हो इसके लिए जीजान से मेहनत की जा रही है।

क्यों खास है जनकपुरी दिल्ली हाट

120 करोड़ की लागत से बना आठ एकड़ जमीन पर फैला जनकपुरी स्थित दिल्ली हाट का उद्घाटन मौजूदा सांसद प्रवेश वर्मा द्वारा जुलाई 2014 में किया गया था। बता दें, यहां 100 क्राफ्ट स्टाल, 74 ओपन प्लेटफार्म स्टाल व 46 एयरकंडिशन युक्त स्टाल है। जहां तक फूड स्टाल की बात है उसमें 14 स्टाल भारत के विभिन्न राज्यों के पारंपरिक भोजन व 15 स्टाल दुनियाभर के व्यंजनों को परोसने के लिए बनाई गई थी।

यहां सेमिनार, प्रदर्शनी व अन्य कार्यक्रमों के लिए 960 स्क्वायर मीटर क्षेत्रफल में फैला हाल बना है। इसके अलावा हाट में 800 लोगों के बैठने की क्षमता युक्त ओडिटोरियम भी बना हुआ है, जो अत्याधुनिक सुविधाओं से लेस है। 820 लोगों की क्षमता युक्त एंफीथिएटर यहां आकर्षण का केंद्र है। इसके अलावा यहां ग्राउंड व बेसमेंट में कुल 295 कार, तीन बस व 120 दो पहिया वाहनों की पार्किंग के लिए स्थान है।

यहां पंजाबी एकेडमी, दिल्ली की ओर से एक म्यूजियम भी बनना था। जिसका शिलान्यास उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा किया गया था, पर तीन साल बाद भी वह शुरू नहीं हो पाया है। दिल्ली पर्यटन विभाग ने पंजाबी एकेडमी को जगह किराए पर दी थी।फिलहाल उस जगह पर एकेडमी द्वारा 12 वर्ष व उससे उम्र के बच्चों को पंजाबी भाषा बोलनी व लिखनी सिखाई जाती है। साथ ही गिद्दा व भंगड़ा का भी प्रशिक्षण दिया जाता है।

वेंडर श्रावणी ने कहा- मैं बीते पांच साल से हाट में क्राफ्ट स्टाल लगा रही हूं, पर दो साल में यहां स्थिति काफी खराब है। स्थिति यह है कि मैं आमदनी के लिए केवल इसी स्टाल पर आश्रित नहीं हूं। पर्यटन विभाग को चाहिए कि यहां हर सप्ताह भव्य अंदाज में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करें और उसका जमकर प्रचार करें। जिससे लोगों को पता चले और वे हाट का रुख करें। इससे वेंडर्स भी यहां आने को प्राथमिकता देंगे।

वहीं, वेंडर शर्मिष्ठा ने कहा- मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्कूल के पाठ्यक्रम में एंटरप्रेन्योरशिप पाठ्यक्रम को शामिल किया है पर हम जैसे एंटरप्रेन्योर की सुध नहीं ले रहे हैं। ऐसे में हम युवा एंटरप्रेन्योर के समक्ष कैसा उदाहरण प्रस्तुत करेंगे? इसके अलावा सड़कों पर इतने लोग रेहड़ी-पटरी लगा रहे है उनके पास दुकान नहीं है और हाट में जगह की कमी नहीं है पर उसे इस्तेमाल करने वाला कोई नहीं है।

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