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राजस्थान में जाने पर कुछ खास महिलाओं के लिए US ने की advisory जारी, ये है वजह

जीका वायरस एंडीज इजिप्टी नामक मच्छर से फैलता है। यह वही मच्‍छर है जो पीला बुख़ार, डेंगू और चिकुनगुनिया जैसे विषाणुओं को फैलाने के लिए जिम्मेदार होती हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 21 Dec 2018 10:16 AM (IST)Updated: Fri, 21 Dec 2018 11:29 AM (IST)
राजस्थान में जाने पर कुछ खास महिलाओं के लिए US ने की advisory जारी, ये है वजह
राजस्थान में जाने पर कुछ खास महिलाओं के लिए US ने की advisory जारी, ये है वजह

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। साल 2018 अलविदा कहने वाला है, मौका क्रिसमिस और न्यू ईयर पार्टी के साथ मौज-मस्ती का है। लिहाजा, दुनिया भर में बड़े पैमाने पर लोग इन लंबी छुट्टियों का आनंद लेने के लिए निकलने की योजना बना रहे हैं। इस दौरान काफी संख्या में लोग राजस्थान भी घूमने आते हैं। अगर आपने भी राजस्थान घूमने की योजना बनाई है तो उससे पहले ये खबर जरूर पढें। अमेरिकी एंजेंसी ने राजस्थान जाने वालों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है।

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अमेरिका की रोग नियंत्रण एवं संरक्षण केंद्र (सीडीसी) ने राजस्थान जाने को लेकर आगाह किया है। खास तौर पर गर्भवती महिलाओं के लिए चेतावनी जारी की गई है। एजेंसी ने इसके लिए राजस्थान और उसके आसपास के राज्यों में जीका वायरस के मामलों में बढ़ोतरी को वजह बताया है। रोग नियंत्रण एवं संरक्षण केंद्र (सीडीसी) की ओर से जीका को लेकर सेकेंड लेवल का हेल्थ अलर्ट जारी किया है।

चिकित्सकों ने जीका वायरस से गर्भस्थ शिशु के लिए खतरे की आशंका जताई है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को राजस्थान न जाने का परामर्श दिया जा रहा है। राजस्थान में जीका वायरस पीड़ितों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। जीका वायरस संक्रमण के मामलों को लेकर पीएमओ ने स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय से विस्‍तृत रिपोर्ट मांगी है। आइए हम आपको बताते हैं जीका वायरस के बारे में। इसकी खोज कब हुई, इसके बचने के क्‍या उपाय हैं। इसके अलावा भारत में सरकारी स्‍तर पर इसके राेकथाम के लिए क्‍या प्रबंध है।

जीका वायरस
इबोला के बाद एक और खतरनाक वायरस सामने आया है जो धीरे-धीरे मुसीबत बनता जा रहा है। मच्छर से फैलने वाले इस वायरस का नाम जीका है। यह सीधे नवजात को अपना शिकार बनाता है। इस वायरस से प्रभावित होने वाले बच्चे की सारी जिंदगी विशेष देखभाल करनी पड़ती है, क्‍योंकि विषाणुओं के प्रभाव से वहां के नवजात छोटे सिर के साथ पैदा हो रहे हैं। इस साल ऐसे 2400 मामले सामने चुके हैं। जबकि पिछले साल केवल 147 मामले थे। ब्राजील सरकार को डर है कि अभी जन्म लेने वाली पूरी पीढ़ी ही कहीं शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग न हो जाए। जीका वायरस मच्छर से फैलने वाली नई बीमारी है। इसका वायरस वीनस फ्लेविवायरस तथा फैमिली फ्लेविविरिडी के अंतर्गत आता है। इसकी शुरूआत लैटिन अमेरिकी देशों से हुई है, जो अब भारत भी पहुंच चुका है।

क्‍या है जीका वायरस और इसके लक्षण
जीका वायरस एंडीज इजिप्टी नामक मच्छर से फैलता है। यह वही मच्‍छर है जो पीला बुख़ार, डेंगू और चिकुनगुनिया जैसे विषाणुओं को फैलाने के लिए जिम्मेदार होती हैं। संक्रमित मां से यह नवजात में फैलती है। यह ब्लड ट्रांसफ्यूजन और यौन सम्बन्धों से भी फैलती है। हालांकि, अब तक यौन सम्बन्धों से इस विषाणु के प्रसार का केवल एक ही मामला सामने आया है। जीका को पहचानना बहुत मुश्किल है क्योंकि इसके कोई विशेष लक्षण नहीं हैं। लेकिन मच्छरों के काटने के तीन से बारह दिनों के बीच चार में से तीन व्यक्तियों में तेज बुखार, रैशेज, सिर दर्द और जोड़ों में दर्द के लक्षण देखे गये हैं। लुधियाना के डिस्ट्रिक एपिडिमोलॉजिस्ट डॉ. रमेश के अनुसार जीका वायरस एडीज एजिप्टी मच्छर से फैलता है। यह ज्यादातर दिन के समय (अलसुबह और दोपहर) काटता है। यह मच्छर डेंगू, चिकनगुनिया और यलो फीवर का कारण भी बनता है।

जीका वायरस का इतिहास
जीका वायरस की पहचान पहली बार सन 1947 में हुई थी। इसके बाद कई बार अफ्रीका और साउथ ईस्ट एशिया के देशों में भी फैला। अफ्रीका के युगांडा में जीका नामक जंगलों में पहली बार बंदरों में यह वायरस पाया गया। इसी के चलते इसका नाम जीका रखा गया। 1954 में पहली बार मानव इस वायरस की चपेट में आया। तब दुनिया ने इस खतरनाक वायरस के बारे में जाना। अफ्रीका के कई देश अब तक इसकी चपेट में आ चुके हैं। कुछ देशों में यह महामारी का रूप अख्तियार कर चुका है। समय के साथ जीका वायरस दुनिया के लिए खतरा बनता जा रहा है।

जीका वायरस का असर
इससे माइक्रोसेफली नाम की बीमारी का खतरा रहता है। माइक्रोसेफली एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इसमें बच्चे का सिर छोटा रह जाता है और उसके दिमाग का भी पूरा विकास नहीं हो पाता। इससे बच्चों की जान को भी खतरा होता है। इसके प्रकोप से बच जाने वाले बच्चे ताउम्र बुद्धि सम्बन्धी दोषों से जूझते रहेंगे।

बचाव ही है बेहतर उपाय
इसकी रोकथाम के लिये अब तक दवाई नहीं बनी और न ही इसके उपचार का कोई सटीक तरीका सामने आया है। ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे अप्रत्याशित बताया और कहा कि विज्ञान ने अभी इसे रोकने में सफलता हासिल नहीं की है। इसलिए बचना ही बेहतर है। अमेरिका की सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार समूचे विश्व में इस तरह के मच्छरों के पाये जाने के कारण इस विषाणु का प्रसार दूसरे देशों में भी हो सकता है। भारत भी इससे अछूता नहीं रह सकता।

बचाव के तरीके
जीका वायरस का कोई इलाज नहीं है, इससे बचने का एकमात्र विकल्‍प इसके जोखिम को कम करना है। इसके लिए स्वास्थ्य अधिकारी कीट नाशकों का उपयोग, पूरी बाजू के कपड़े जिससे शरीर कवर हो और खिड़कियों और दरवाजों को बंद करने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही उनका कहना है कि ऐसे मच्‍छर रूके पानी में अपने अंडे देते हैं इसलिए पानी को इकट्ठा होने से रोकें। इसके अलावा यूएस सेंट्रर ऑफ डिजीज कंट्रोल गर्भवती महिलाओं को प्रभावित क्षेत्रों में यात्रा न करने की सलाह देते हैं।

जीका को लेकर भारत सरकार अलर्ट
भारत में ज़ीका को लेकर सख़्त स्वास्थ्य नीति बनी हुई है। अलग-अलग मंत्रालयों में अफसरों का एक पैनल नियमित रूप से इस वायरस की वैश्विक स्थिति की समीक्षा करता है। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर इस वायरस को लेकर सूचना दी जाती है। वहाँ स्वास्थ्य अधिकारी यात्रियों की भी निगरानी करते हैं। पिछले साल से अब तक, पूरे देश में 25 प्रयोगशालाओं में ज़ीका के टेस्ट के बारे में बताया गया है। तीन विशेषज्ञ अस्पतालों में मच्छरों के नमूनों पर ज़ीका वायरस का टेस्ट किया जा रहा है। 


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