महंगाई का एक और झटका, RBI की मौद्रिक नीति घोषित, बढ़ सकती है होमलोन EMI
बैंक से कर्ज लेकर घर या कार लेने की सोच रहे हैं तो थोड़ा ठहरिए आरबीआइ ने अपनी नई मौद्रिक नीति घोषित की है। नई मौद्रिक नीति से आपको महंगाई का झटका मिलेगा।
नई दिल्ली (जेएनएन)। बैंक से कर्ज लेकर घर या कार लेने की सोच रहे हैं तो थोड़ा ठहरिए, बुधवार को रिजर्व बैंक ने अपनी नई मौद्रिक नीति घोषित की है। नई मौद्रिक नीति से आपको महंगाई का झटका मिलेगा। आरबीआइ ने अपनी दूसरी तिमाही समीक्षा बैठक में रेपो और रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी है। पिछले चार में आरबीआइ ने इन रेट्स में पहली बार बढ़ोतरी की है।
रेपो रेट में .25 फीसद और रिवर्स रेपो में .50 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। रेपो रेट बढ़कर 6.25 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट बढ़कर 6.50 फीसद हो गया है। दोनों के बढ़ने से आपकी जेब पर भी भार बढ़ना तय है।
रिजर्व बैंक ने 2018-19 की पहली छमाही में महंगाई दर करीब 4.8%- 4.9% और दूसरी छमाही में 4.7% रहने का अनुमान जताया है। इसके अलावा पहली छमाही में जीडीपी के 7.5%-7.6% और दूसरी छमाही में 7.3%-7.4% रहने का अनुमान जताया गया है।
रेपो रेट
पूरा का पूरा बैंकिंग सिस्टम पैसे के लेन-देन पर आधारित है। ऐसे में दैनिक कामों के लिए बैंकों को भी रकम की जरूरत पड़ती है। तब ये बैंक देश के केंद्रीय बैंक यानि रिजर्व बैंक से कुछ रकम लेते हैं। आरबीआइ जिस ब्याज दर पर बैंकों को ये रकम कर्ज के रूप में देता है, उसे ही रेपो रेट कहते हैं। इस तरह आसानी से समझा जा सकता है कि अगर रेपो रेट बढ़ता है तो बैंकों को महंगा कर्ज मिलेगा। जिससे, बैंक भी महंगी दर पर ग्राहकों को कर्ज देंगे।
रिवर्स रेपो रेट
यह रेपो रेट के रिवर्स यानि उलटा होता है। यहां जिस दर पर आरबीआइ बैंकों से पैसा वापस लेता है, उसे रिवर्स रेपो कहते हैं। रिवर्स रेपो बाजार में नकदी की तरलता नियंत्रित करने के काम आती है। जब रिजर्व बैंक को लगता है कि बाजार में नकदी बढ़ गई है तो वह रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक बढ़ा रेट देखकर उसके पास पैसे जमाने कराने आएं।
आम आदमी पर क्या असर?
रेपो रेट हो या रिवर्स रेपो रेट दोनों ही आम लोगों पर गहरा प्रभाव डालते हैं। रेपो रेट बढ़ने से बैंक को आरबीआइ से महंगा कर्ज मिलता है, जिसके बाद बैंक भी ग्राहकों को महंगे दामों पर लोन देता है। इस तरह बैंक से लोन लेने वालों की जेब पर बोझ पड़ता है।
किन-किन पर असर
रेपो रेट का लगभग सभी प्रकार की लोन दरों पर असर पड़ता है। चाहे वो कार के लिए हो या व्यापार के लिए। दुकान के लिए हो या मकान के लिए। मौजूदा के अलावा नए लोन की ईएमआइ भी बढ़ जाती है।
क्या कर सकते हैं
रेपो रेट बढ़ जाने पर ईएमआइ कम करने का यूं तो कोई उपाय नहीं हैं, लेकिन फिर भी एक काम किया जा सकता है, वो ये कि आप चाहें तो लोन लेने से पहले एक बार ब्याज दरों का तुलनात्मक विश्लेषण कर सकते हैं। जो बैंक कम दरों पर लोन दे रहा हो वहां से आप रेपो रेट के असर को कम करने का उपाय ढ़ूंढ सकते हैं।