सिर्फ मोटापे से ग्रस्त लोग ही नहीं पतले लोग भी हो सकते हैं डायबिटीज के शिकार
भारतीयों पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि सामान्य वजन वाले दुबले-पतले लोग भी टाइप-2 डायबिटीज का शिकार हो सकते हैं।
नई दिल्ली, आइएसडब्ल्यू। एक आम धारणा है कि मोटापे से ग्रस्त लोग डायबिटीज का शिकार ज्यादा होते हैं, लेकिन भारतीयों पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि सामान्य वजन वाले दुबले-पतले लोग भी टाइप-2 डायबिटीज का शिकार हो सकते हैं। पश्चिमी देशों में डायबिटीज सामान्यत: अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त लोगों को होता है। वहीं, भारत में डायबिटीज के 20 से 30 फीसद मरीज मोटे नहीं होते, बल्कि इनमें अत्यधिक दुबले-पतले लोग भी शामिल रहते हैं। इस नए अध्ययन से अब यह मिथक टूट गया है कि सिर्फ मोटापा बढ़ने से ही डायबिटीज हो सकता है।
टाइप-2 डायबिटीज इंसुलिन के प्रतिरोध से होता है। ग्लूकोज को रक्त प्रवाह से हटाकर कोशिकाओं में स्थापित करने के लिए इंसुलिन हार्मोन संकेत भेजता है। शरीर में मौजूद मांसपेशियां, फैट एवं यकृत जब इन संकेतों के खिलाफ प्रतिरोधी प्रतिक्रिया देते हैं तो इंसुलिन प्रतिरोध की स्थिति पैदा होती है। इंसुलिन प्रतिरोध से ही डायबिटीज होता है, जिसे डॉक्टरी भाषा में टाइप-2 डायबिटीज मेलेटस (डीएम) या फिर टी2डीएम कहते हैं। इस अध्ययन में 87 मधुमेह रोगियों (67 पुरुष और 20 महिलाओं) के इंसुलिन के साथ सी-पेप्टाइड के स्तर को भी मापा गया है। अग्न्याशय में इंसुलिन का निर्माण करने वाली बीटा कोशिकाएं सी-पेप्टाइड छोड़ती हैं।
सी-पेप्टाइड 31 एमिनो एसिड युक्त एक पॉलीपेप्टाइड होता है। सी- पेप्टाइड शरीर में रक्त शर्करा को प्रभावित नहीं करता, लेकिन डॉक्टर यह जानने के लिए इसके स्तर का पता लगाते हैं कि शरीर कितनी इंसुलिन का निर्माण कर रहा है। इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि सी-पेप्टाइड का स्तर इंसुलिन के स्तर की तुलना में अधिक स्थिर होता है, जो बीटा कोशिकाओं की प्रतिक्रिया के परीक्षण की सुविधा प्रदान करता है। मरीजों के शरीर में वसा के जमाव, पेट की चर्बी और फैटी लिवर जैसे लक्षण देखने को मिले हैं, जो आमतौर पर बाहर से दिखाई नहीं देते हैं।
इस अध्ययन का नेतृत्व कर रहे फॉर्टिस-सीडॉक के चेयरमैन डॉ. अनूप मिश्रा ने बताया कि भारतीयों में आमतौर पर सामान्य वजन के बावजूद उच्च शारीरिक वसा और मांसपेशियों का द्रव्यमान कम होता है। उनका मोटापा बाहर से देखने पर भले ही पता न चले, लेकिन चयापचय से जुड़े महत्वपूर्ण अंगों, जैसे- अग्न्याशय और लिवर में वसा जमा रहती है। ऐसी स्थिति में इंसुलिन हार्मोन अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभा पाता और रक्त शर्करा का स्तर बढ़ने लगता है।
इस तरह किया गया अध्ययन
शोध में सामान्य वजन (25 से कम बीएमआई) और दुबले (19 से कम बीएमआई) भारतीयों के शरीर में वसा का उच्च स्तर, लिवर एवं कंकाल मांसपेशियों में अतिरिक्त वसा मापी गई है। डायबिटीज के रोगियों के शरीर और आंत में उच्च वसा के स्तर के साथ-साथ इंसुलिन और सी-पेप्टाइड का स्तर भी अधिक पाया गया है, जबकि प्रतिभागियों की मांसपेशियों का द्रव्यमान बेहद कम पाया गया। शोधकर्ताओं के अनुसार, इस तरह लोगों के लिवर और अग्न्याशय में छिपी वसा कम उम्र में भी इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ावा देकर डायबिटीज को दावत दे सकती है।
टाइप 2 डायबिटीज
टाइप 2 डायबिटीज होने पर आपका शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनाता या फिर इंसुलिन का समुचित प्रयोग नहीं कर पाता। इस प्रकार के डायबिटीज से पीड़ित लोगों का इलाज संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और दवाएं देकर या फिर इंसुलिन देकर किया जा सकता है। टाइप 2 डायबिटीज का होना गलत जीवनशैली और जीन संबंधी कारकों से संबंधित है।
संभव है रोकथाम
बहरहाल, व्यवस्थित जीवनशैली से डायबिटीज को काफी हद तक रोका जा सकता है या इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। नियमित व्यायाम, योग, संतुलित आहार के साथ नियंत्रित वजन व दवाओं से इस मर्ज की रोकथाम संभव है।