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पिछला कर्ज चुकाने को यस बैंक ने दिया था 202 करोड़ का नया कर्ज, ईडी ने किया खुलासा

ईडी ने खुलासा किया है कि राणा कपूर के कार्यकाल में यस बैंक ने एचडीआइएल ग्रुप की संयुक्त उपक्रम कंपनी को 202 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज मंजूर किया था।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 16 Mar 2020 11:45 PM (IST)Updated: Mon, 16 Mar 2020 11:58 PM (IST)
पिछला कर्ज चुकाने को यस बैंक ने दिया था 202 करोड़ का नया कर्ज, ईडी ने किया खुलासा
पिछला कर्ज चुकाने को यस बैंक ने दिया था 202 करोड़ का नया कर्ज, ईडी ने किया खुलासा

मुंबई, पीटीआइ। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को विशेष अदालत में बताया कि राणा कपूर के कार्यकाल में यस बैंक ने एचडीआइएल ग्रुप की संयुक्त उपक्रम कंपनी को 202 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज मंजूर किया था। इसका इस्तेमाल अब दिवालिया हो चुकी रियल्टी कंपनी ने अपना पहले का कर्ज चुकाने के लिए किया था। मालूम हो कि ईडी ने यस बैंक के पूर्व एमडी और सीईओ राणा कपूर को आठ मार्च को प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था।

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राणा कपूर पर बैंक के संकट से जुड़ी जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया गया था। 62 वर्षीय कपूर को शुरुआत में 11 मार्च तक ईडी की रिमांड में भेजा गया था जो बाद में 16 मार्च तक बढ़ा दी गई थी। सोमवार को उसकी रिमांड अवधि खत्म होने पर उसे विशेष पीएमएलए कोर्ट के जज पीपी राजवैद्य के समक्ष पेश किया गया। जिसके बाद उसकी रिमांड अवधि 20 मार्च तक के लिए बढ़ा दी गई।

इससे पहले ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कपूर को छह और दिनों के लिए रिमांड पर सौंपने की मांग की क्योंकि उनसे और पूछताछ की जरूरत है। ईडी ने अदालत को बताया, जांच में पता चला है कि यस बैंक ने 'मैक स्टार मार्केटिंग' को किस्तों में 202.1 करोड़ रुपये का कर्ज स्वीकृत किया था। 'मैक स्टार मार्केटिंग' डी शॉ ग्रुप और एचडीआइएल ग्रुप का संयुक्त उपक्रम थी।

जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि एचडीआइएल ग्रुप ने पूरी रकम का इस तरह गबन कर लिया कि इसका इस्तेमाल कंपनी ने यस बैंक से पहले लिए गए कर्ज को चुकाने में किया और उसे एनपीए होने से बचाने में मदद की। 'मैक स्टार मार्केटिंग' में डी शॉ ग्रुप की 83.36 फीसद और एचडीआइएल की 16.64 फीसद हिस्सेदारी थी। चूंकि कपूर के एचडीआइएल ग्रुप के संस्थापकों वधावंस से घनिष्ठ संबंध थे, लिहाजा 202.1 करोड़ रुपये का कर्ज अन्य साझीदार (डी शॉ ग्रुप) की जानकारी या मंजूरी के बिना जारी कर दिया गया था।

ईडी के मुताबिक, 'स्वीकृत कर्ज में 160 करोड़ रुपये का इस्तेमाल दो साल पहले संयुक्त उपक्रम द्वारा उपनगर अंधेरी में विकसित की गई संपत्ति में संशोधन और नवीनीकरण में किया गया।' इस संपत्ति का निर्माण 100 करोड़ रुपये की लागत से किया गया था, लेकिन फिर भी वधावंस ने नवीनीकरण के लिए अतिरिक्त 160 करोड़ रुपये की मांग की। इससे स्पष्ट हो जाता है कि कपूर ने वधावंस के साथ मिलकर कर्ज मंजूर किया था। ईडी ने कपूर पर दिल्ली में गौतम थापर के अवंता ग्रुप से भारी डिस्काउंट पर संपत्ति सौदे में रिश्वत लेने का आरोप भी लगाया है। जांच एजेंसी का दावा है कि जिस कंपनी ने उक्त संपत्ति की खरीद की उसमें कपूर की पत्नी बड़ी अंशधारक है।

रिमांड अवधि बढ़ाने का विरोध करते हुए कपूर के वकील सतीश मनशिंदे ने दावा किया कि उनके मुवक्किल को निशाना बनाया जा रहा है और उन्होंने कुछ भी गैरकानूनी नहीं किया है। अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप, डीएचएफएल और वोडाफोन जैसी कुछ कंपनियों का जिक्र करते हुए मनशिंदे ने कहा कि कपूर को जबरन बैंक से बाहर किए जाने के बाद इन कंपनियों द्वारा लिए गए कर्ज भी एनपीए हो गए थे। लेकिन जब कर्ज मंजूर किए गए थे तो ये ए रेटिंग वाली कंपनियां थीं और उन्होंने अन्य बैंकों से भी कर्ज लिए थे। वहीं, कपूर ने अदालत को बताया कि वह दमे और अवसाद से पीडि़त हैं।  


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