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Year Ender 2019: बाढ़, भूकंप और चक्रवाती तूफान से परेशान रहे देश भर के राज्य

YEAR ENDER 2019 इस साल देश के तमाम राज्यों में प्राकृतिक आपदा से काफी नुकसान हुआ। करोड़ों रुपये की कीमत की फसलें और मकान तहस-नहस हो गए।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 12:26 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 12:35 PM (IST)
Year Ender 2019: बाढ़, भूकंप और चक्रवाती तूफान से परेशान रहे देश भर के राज्य
Year Ender 2019: बाढ़, भूकंप और चक्रवाती तूफान से परेशान रहे देश भर के राज्य

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। इस साल भी प्राकृतिक आपदाओं ने पूरे साल देश भर में तहलका मचाया। भूकंप, बाढ़ और चक्रवाती तूफान से करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ, सैकड़ों लोगों को जान चली गई। बाढ़ की विभीषिका ने कई राज्यों में काफी नुकसान पहुंचाया। मेहनत करके करीने से बनाए गए लाखों रूपये की कीमत के हजारों घर बाढ़ की चपेट में आ गए। इस बीच भूकंप के भी झटके महसूस किए गए। कुल मिलाकर पूरे साल प्राकृतिक आपदाओं ने आम लोगों को परेशान किया। चक्रवाती तूफान की विभीषिका से समुद्र किनारे बसे राज्य हाइएलर्ट मोड पर रखे गए।

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बाढ़ की घटनाएं

देशभर के तमाम राज्यों में आई बाढ़ से हालात काफी खराब रहे। बिहार, महाराष्ट्र, असम, गुजरात, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, लक्षद्वीप जैसे राज्यों में बारिश के बाद आई बाढ़ ने करोड़ों रुपये का नुकसान किया। कुछ प्रदेशों में लगातार 24 घंटे बारिश हुई जिसके कारण वहां का जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया। इस दौरान मौसम विभाग अपनी ओर से चेतावनियां जारी करता रहा मगर प्राकृतिक आपदा पर किसी का जोर नहीं चला।

मुंबई और बिहार के पाश इलाकों में बाढ़ ने तो वहां के प्रशासन की भी पोल खोलकर रख दी। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी भी बाढ़ के पानी की वजह से दो दिनों तक अपने घर में बंद रह गए थे। वहीं मुंबई में आई बाढ़ ने कई फिल्मी सितारों को अपने घरों में कैद होने के लिए मजबूर कर दिया था। वैसे तो हर साल कुछ इलाकों में बाढ़ आती है मगर साल 2019 की बाढ़ हर साल आने वाली बाढ़ से अधिक भयानक रही। केरल में हर सप्ताह भारी बारिश हुई।

18 अगस्त के लिए भारी वर्षा संबंधी अपनी चेतावनी में क्षेत्रीय मौसम कार्यालय ने कहा कि तटीय कर्नाटक में छिटपुट स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है, इस वजह से पूरे इलाके में काफी पानी जमा हुआ। विभाग ने कहा कि तमिलनाडु में नीलगिरि, कोयंबटूर, थेनी, डिंडीगुल, तिरुनेलवेली जिलों में घाट इलाकों पर छिटपुट स्थानों तथा दक्षिणी अंदरूनी कर्नाटक में भारी वर्षा होने की संभावना है।

केरल में मानसूनी बारिश और बाढ़ के कारण बीते 16 अगस्त को एक ही दिन में 106 लोगों की मौत हो गई थी। चेंगन्नूर, चलाकुडी, त्रिशुर और एर्नाकुलम जिला का विभिन्न हिस्सा बाढ़ से बेहद प्रभावित रहे थे। बाढ़ की वजह से राज्य में 3.14 लाख लोग राहत शिविरों में पहुंचाए गए थे। 29 मई को जब दक्षिण-पश्चिम मानसून ने केरल में दस्तक दी थी, उसके बाद 385 लोग मारे जा चुके थे।

जब तुलना की गई तो पता चला कि इन दिनों केरल राज्य में पिछले 100 साल में आए सबसे ज्यादा भयानक बाढ़ का सामना कर रहा है। यहां 80 बांधों को खोला गया है और सभी नदियों में बाढ़ जैसी है। बाढ़ से सबसे ज्यादा केरल का वायनाड प्रभावित रहा था, बाढ़ की वजह से ये बाकी हिस्सों से कट गया था, इसी वजह से कोच्चि हवाई अड्डे को बंद करना पड़ा था।

गुजरात

भारी बारिश से गुजरात के वडोदरा में बाढ़ के हालात बने। पूरा शहर तालाब में तब्दील हो गया, भारी बारिश और खराब मौसम की वजह से हवाई और रेलवे सेवा भी बाधित रही थीं। वडोदरा में 14 घंटे में 18 इंच बारिश दर्ज की गई थी। गुजरात में बारिश का असर रेल और हवाई यातायात पर भी देखने को मिला। वडोदरा में एनडीआरएफ की टीम ने बाढ़ में फंसें लोगों को रेस्क्यू किया था, वडोदरा के अलावा गुजरात के अहमदाबाद में भी बारिश ने शहर को टापू बना दिया था।

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के तमाम जिलों में भी इस साल बाढ़ के हालात देखने को मिले थे। इन इलाकों में जब पानी घटा तो राहत और बचाव के काम शुरू किए गए। पश्चिम महाराष्ट्र के कोल्हापुर और सांगली जिलों में आई भयावह बाढ़ का अहम कारण बांधों का कुप्रबंधन है। कोयना, वरना, राधानगरी और कर्नाटक स्थित अलमाटी बांध से रक्षात्मक उपाय के तहत ही पानी छोड़ा जाना चाहिए था।

साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपुलह्ण (एसएएनडीआरपी) ने अपने एक रिपोर्ट में में कहा था कि कृष्णा नदी पर बने अलमाटी बांध की कोल्हापुर और सांगली में आई बाढ़ में अहम भूमिका थी। रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई के अंत में 99.5 फीसदी जलाशय भर चुका था, जबकि मानसून के दो महीने बाकी थे। जलाशय की क्षमता 119.26 टीएमसी है, जबकि 3,045 फुट प्रति सेकेंड (क्यूसेक) की दर से पानी छोड़ा गया। रिपोर्ट में कहा गया कि यह जलाशय प्रबंधन के लिए नर्धिारित नियमों का घोर उल्लंघन है।

गांधीनगर आईआईटी के एक नए शोध के अनुसार देश में बाढ़ अब एक नई प्रक्रिया बन चुकी है। आईआईटी गांधीनगर के वैज्ञानिकों ने इस बारे में एक शोध भी किया है। बाढ़ के लिए वैज्ञानिकों ने क्लाइमेट चेंज को प्रमुख कारण माना है। शोध के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज की वजह से तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। तापमान बढ़ने से बारिश की मात्रा भी बढ़ी है। इस वजह से देश में बाढ़ का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है।

आपदा प्रबंधन विभाग बिहार के 2019 के आंकड़ों के अनुसार, मुजफ्फरपुर में 29,309 किसानों की 11 करोड़ 75 लाख रुपए की फसल बर्बाद हो गई है और 75 पंचायतों की 29,287.19 हेक्टेयर जमीन पर लगी खरीफ फसल बर्बाद हो गई है। आपदा प्रबंधन विभाग बिहार के आंकड़ों के मुताबिक हर साल राज्य में छह लाख हेक्टेयर जमीन में खड़ी फसल बाढ़ के पानी में बह जाती है।

देश में बाढ़ की वजह से हर साल 1679 करोड़ रुपए की फसल बर्बाद होती है। 29,309 किसानों की 11 करोड़ 75 लाख रुपए की फ़सल बर्बाद हुई है। इस वर्ष सिर्फ़ बिहार के मुजफ्फरपुर में बिहार, असम और महाराष्ट्र में आई बाढ़ की वजह से लाखों किसानों की फ़सलें बर्बाद हो चुकी हैं। इस बर्बादी के बीच फसल के नुकसान का सही मुआवजा का न मिलना भी किसानों के लिए सबसे बड़ी त्रासदी है।

असम के 28, बिहार के 13 और महाराष्ट्र के चार जिले बाढ़ की चपेट में रहे थे। इस बार बाढ़ की वजह से 209 से ज्यादा लोगों की मौत हुई जबकि लगभग डेढ़ करोड़ लोग प्रभावित हुए। असम में बाढ़ के कारण इस साल 9,496 हेक्टेयर की फसल बर्बाद हुई है। वर्ष 2017 की बाढ़ में बिहार में 872 लाख हेक्टेयर में लगी फसल बर्बाद हो गयी थी, जिसकी कुल कीमत का आकलन 68,587 लाख रुपए (682 करोड़) किया गया था।

चक्रवाती तूफान

यदि चक्रवाती तूफान की बात करें तो इससे भी कई राज्य में काफी नुकसान हुआ। समुद्र के किनारे बसे राज्य इससे अधिक प्रभावित रहे। बंगाल में चक्रवात बुलबुल ने कहर बरपाया था। चक्रवात की सूचना मिलने की वजह से तमाम महकमे पहले ही इससे निपटने के लिए तैयार हो गए थे। मछुआरों को भी समुद्र में जाने से रोक दिया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, बुलबुल चक्रवात ने 110-120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बंगाल को हिट किया था। इसके बाद प्रदेश के निचले इलाकों के तटीय गावों में रहने वाले तकरीबन एक लाख लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।

मुंबई

नवंबर माह में चक्रवाती तूफान महा आया था। इसको लेकर पहले मुंबई प्रशासन काफी गंभीर हुआ था मगर चक्रवात के कमजोर होने के कारण इसके टकराने की संभावना खत्म हो गई थी। इस वजह से महाराष्ट्र और गुजरात में इसका हल्का असर देखने को मिला था।

बेंगलुरु, 27 अक्टूबर

अरब सागर में गहरे विक्षोभ के चलते उत्पन्न हुए चक्रवाती तूफान क्यार को लेकर बड़ी अनहोनी की आशंका जताई गई थी। कहा गया था कि अगले 24 घंटों के दौरान ये प्रचंड रूप ले सकता है। मौसम विभाग ने बताया था कि कर्नाटक, महाराष्ट्र और गोवा के तटवर्ती इलाकों में इसका असर देखने को मिल सकता है।

भुवनेश्वर, 3 मई

पिछले 20 साल में आए सबसे भीषण तूफान फोनी ने ओडिशा में तबाही मचाई थी। फोनी से सबसे ज्‍यादा प्रभावित इलाका पुरी था, इस इलाके में करीब 240 से 245 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं, तटीय इलाकों में कई पेड़ उखड़ गए थे और घरों को नुकसान पहुंचा था। तूफान की गंभीरता को देखते हुए पहले ही 10 लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा दिया गया था। फोनी का असर पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्‍तर भारत और आंध्र प्रदेश में देखा गया था।

अहमदाबाद 13 जून

अहमदाबाद में चक्रवाती तूफान 'वायु' गुजरात तट से टकराया था। इसके लिए सरकार ने युद्ध स्तर पर तैयारियां की थी, एनडीआरएफ की टीमें तैनात कर दी गई थी। तूफान से प्रभावित होने वाले इलाकों से 3 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था। प्रशासन ने एहतियातन तूफान के खतरे को देखते हुए कुल 80 ट्रेनें कैंसल कर दी थी और कई एयरपोर्टों से हवाई यातायात को भी सस्पेंड कर दिया गया था।

भूकंप

बीकानेर, 13 अक्टूबर

राजस्थान के बीकानेर में 13 अक्टूबर को भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर पैमाने पर इसरकी तीव्रता 4.5 दर्ज की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुबह 10.36 मिनट पर यह झटका महसूस किया गया। भूकंप के झटके के बाद स्थानीय लोगों में अफरातफरी की स्थिति पैदा हो गई। इस दौरान घरों से लोग बाहर निकल आए।

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में 9 सितंबर को सुबह 6:28 पर भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.6 आंकी गई है। बताया गया कि भूकंप का केंद्र मेरठ के खरखौदा में था। इससे खरखौदा के लोगों में दहशत फैल गई।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत में 19 फरवरी 2019 को सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए जिसकी रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 4.0 मापी गई। राष्‍ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, भूकंप सुबह 7.59 बजे आया। भूकंप के झटके राष्ट्रीय राजधानी सहित अन्य शहरों में महसूस किए गए।

अरुणाचल प्रदेश, असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में 19 जुलाई 2019 को दोपहर बाद 5.6 तीव्रता का भूकंप आया। मौसम विभाग की वेबसाइट के मुताबिक, भूकंप का केंद्र अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कामेंग जिले में 10 किलोमीटर की गहराई में था।

9 सितंबर 2019 को ही जम्मू कश्मीर में चेनाब घाटी क्षेत्र के डोडा और किश्तवाड़ जिलों में 4.9 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया।

भोपाल में 28 अगस्त 2019 को भूकंप के 4 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए, ये झटका सुबह 10 बजे के करीब आया वो काफी तीव्र था।  


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