Move to Jagran APP

टिड्डियों के हमलों से चिंताजनक हालात, दुनिया में फैल सकती है भुखमरी, चपेट में आए 60 देश

संयुक्त राष्ट्र की संस्था खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ FAO) ने चेतावनी दी है कि टिड्डियों के कारण दुनिया भुखमरी के कगार पर पहुंच रही है। जानिये कितने बुरे हैं हालात....

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 08:01 PM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 08:37 AM (IST)
टिड्डियों के हमलों से चिंताजनक हालात, दुनिया में फैल सकती है भुखमरी, चपेट में आए 60 देश
टिड्डियों के हमलों से चिंताजनक हालात, दुनिया में फैल सकती है भुखमरी, चपेट में आए 60 देश

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। दुनिया एक तरफ कोरोना वायरस के खौफ में है तो दूसरी तरफ 'प्लेग' की चपेट में है। थोड़ा रुकें, 'प्लेग' को यहां चूहे से जुड़ी वाली महामारी न समझें, बल्कि टिड्डी दलों ने जो हालात पूरी दुनिया में पैदा किए हैं... यह उसको बताने वाला मात्र एक विशेषण है, जिसे संयुक्त राष्ट्र की संस्था खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ, FAO) ने इस्तेमाल किया है। एफएओ ने आधिकारिक रूप से चेतावनी दी है कि टिड्डियों के कारण दुनिया भुखमरी के कगार पर पहुंच रही है।

loksabha election banner

अच्छा मानसून बन गया मुसीबत

भारतीय उपमहाद्वीप में वर्ष 2019 में मानसून अच्छा रहा। मानसून जल्दी आया और देर तक रहा। टिड्डियों को पनपने के लिए नम मौसम की जरूरत होती है। देर तक ठहरे मानसून ने टिड्डियों के लिए बढि़या हालात बनाए। सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में इस बार पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में टिड्डियों के माकूल हालात बने और अंजाम दिसंबर-जनवरी में भयानक रूप से सामने आया।

पश्चिमी विक्षोभ ने हालात किए बदतर

सामान्य रूप से टिड्डी दल नवंबर के अंत तक भारत छोड़ देते हैं और ईरान की तरफ चले जाते हैं। हालांकि इस बार ऐसा नहीं हो सका। दिसंबर और जनवरी में भी अच्छी बारिश हुई, जिसका कारण पश्चिमी विक्षोभ को माना गया है। पश्चिमी विक्षोभ में हवा अफगानिस्तान-पाकिस्तान की तरफ से आती है। ऐसे में टिड्डी दल भारतीय उपमहाद्वीप में ही रह गए।

अफ्रीका में बदतर हालात

सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप ही नहीं, हिंद महासागर के नजदीक स्थित अफ्रीकी देश भी टिड्डी दलों के हमलों का सामना कर रहे हैं, खासकर केन्या। साथ ही कई खाड़ी के देशों में भी टिड्डी दल आतंक फैलाए हुए हैं, क्यों इस बार वहां भी अच्छी बारिश हुई है।

टिड्डी दलों की चपेट में दुनिया के 60 देश

दुनिया के 60 देश टिड्डी दलों के हमलों की चपेट में हैं जो कोरोना वायरस से पीड़‍ित देशों की संख्या से कही अधिक है। पाकिस्तान तो टिड्डियों के आगे घुटने टेकने की स्थिति में पहुंच गया है और इमरान खान सरकार ने आपातकालीन कदम भी उठाए हैं। महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच गई है। पाकिस्तान और सोमालिया ने परेशान होकर इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया है। भारत में भी हालात खराब हैं। गुजरात और राजस्थान में इस संकट को राज्य सरकारों ने स्वीकार कर लिया है। टिड्डी दल अब पंजाब और हरियाणा में भी पहुंच गए हैं जो पूरे भारत को अन्‍न उपलब्‍ध कराते हैं।

इसलिए है चिंता

1- 150 अंडे एक टिड्डी एक दिन में दे देती है

2- 20 गुणा की रफ्तार से अपनी जनसंख्या बढ़ाती हैं टिड्डियां

3- 15 करोड़ टिड्डियां हो सकती हैं मध्यम आकार के एक दल में

4- 40 फीसद फसल पाकिस्तान में नष्ट हो चुकी है

5- 35 हजार हेक्टेयर में लगी फसल भारत में हो चुकी है बर्बाद

6- 3.5 लाख हेक्टेयर में लगी फसल पर गंभीर संकट है

7- एफएओ के मुताबिक, 5 करोड़ लोगों के साल भर के खाद्य फसलों को इस बार टिड्डी दलों ने बर्बाद कर दिया है

8- 01 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की फसलों को टिड्डियों का बड़ा दल एक दिन में कर सकता है चट

बहुत पेटू हैं टिड्डियां

महज एक सेंटीमीटर से लेकर अधिकतम चार सेंटीमीटर लंबी टिड्डियां किस कदर भूखी होती हैं, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि छोटे आकार (चार करोड़ टिड्डियां) का एक टिड्डी दल एक दिन में उतना खाद्य पदार्थ खा जाता है, जिससे वैश्विक मानकों के अनुसार 35 हजार लोगों का पेट आसानी से दिन में दो बार भरा जा सकता है।

महंगा और कठिन काम है नियंत्रण पाना

महंगे कीटनाशकों की मदद से इन्हें नियंत्रित किया जाता है, लेकिन बड़े भाग में ज्यादा कीटनाशकों का इस्तेमाल बहुत महंगा साबित होता है, जिसे भारत जैसे देश के किसान नहीं उठा पाते हैं। इस समय अकेले गुजरात, राजस्थान में 3.5 लाख हेक्टेयर खेती की जमीन पर कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। वैसे शोर मचाकर भी टिड्डियों को भगाने की परंपरा है, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

इंसानों और जानवरों के लिए खतरा

ज्यादा कीटनाशक इंसानों और जानवरों के लिए घातक जहर होते हैं, क्योंकि यह फसल के ऊपरी हिस्से पर ही रह जाता है। धोने के बावजूद कीटनाशकों का असर पूरी तरह खत्म नहीं हो पाता है।

सब कुछ खा जाती हैं टिड्डियां

जीरे से लेकर कपास तक और गन्ने से लेकर गेहूं तक कोई भी ऐसी फसल नहीं है जिसे टिड्डी दल छोड़ देते हों। खाद्य पदार्थो वाली फसल हो या नगद फसलें, सभी को बहुत ज्यादा क्षति होती है। गुजरात और राजस्थान में पैदा होने वाले मोटे अनाज इनके प्रिय बने हुए हैं। टिड्डियों को पूरी दुनिया की विभिन्न हिस्सों में खाद्य पदार्थ के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है, खासकर एशिया और अफ्रीका में। चीन और आसपास के देशों में बड़ी संख्या में टिड्डियों को खाया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.