कोरोना संकट की बदौलत कुछ यूं बदलेगी भारत समेत दुनियाभर की अर्थव्यवस्था
कोरोना संकट ने दुनिया को काफी कुछ सिखा दिया है। इसके परिणाम भविष्य में जरूर दिखाई देंगे।
नई दिल्ली (जेएनएन)। कोरोना वायरस ने दुनिया को संकट में तो डाला है लेकिन इस संकट से जब दुनिया उबर जाएगी तो काफी कुछ बदलाव भी सामने आएंगे। ये बदलाव किसी देश और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी साफतौर पर दिखाई देंगे। ये बदलाव देश ओर दुनिया के विकास की नई राह खोलेंगे। आइए जानते हैं कैसे हो सकते हैं ये बदलाव।
इस संकट की वजह से ही देश भविष्य में इस तरह की महामारी से निपटने की रणनीति तैयार करने पर ध्यान देंगे। इसकी बदौलत न सिर्फ इसके लिए आधारभूत ढांचा तैयार करना होगा बल्कि कुछ दूसरी चीजों पर भी ध्यान देना होगा। अर्थशास्त्र का नियम यहां पर पूरी तरह से लागू होगा। इसका मतलब है कि यदि कोई देश इस तरह की महामारी से लड़ने की रणनीति पर अमल करना शुरू करेगा तो उसे इसके इर्द-गिर्द कई चीजों को तैयार करना होगा। इससे नई नौकरियों का सृजन होगा।
देश में बेरोजगारी की दर में कमी आएगी और विकास को गति मिलेगी। आधारभूत ढांचा तैयार करने में भी उस क्षेत्र का विकास संभव हो सकेगा। भविष्य में मुमकिन है स्वास्थ्य सेवाएं अब से कहीं अधिक बेहतर हो सकेंगी। वहीं लोगों का इम्यून सिस्टम भी मजबूत होगा। लोग मांसाहार को छोड़कर शाकाहार की तरफ मुड़ेंगे। इसकी एक झलक चीन में दिखाई देनी शुरू हो गई है। ऐसे
कोरोना संकट ने हमें समझाया है कि दूरी भी किसी बीमारी से बचाव का बड़ा उपाय बन सकता है। यही वजह है कि आने वाले समय में मुमकिन है ज्यादातर वैश्विक और राष्ट्रीय समेत क्षेत्रिय स्तर की बैठकें भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हों। ऐसे में कम्यूनिकेशन व्यवस्था को किसी एक देश में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी बेहतर बनाना है। ये माध्यम भी न सिर्फ लोगों को रोजगार दिलाने में सहायक साबित होगा बल्कि स्थानीय स्तर पर भी इससे किसी देश के विकास को गति मिल सकेगी।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के तहत होने वाली बैठकों का सीधा असर हवाई यातायात पर पड़ेगा। भविष्य में मुमकिन है कि बैठकों के लिए जाने वाले विशिष्ठ और वीवीआईपी लोग कम सफर करेंगे। ऐसे में हवाई क्षेत्र में होने वाली वीवीआईपी मूवमेंट में भी कमी दिखाई देगी। इस कमी की वजह से कार्बन उत्सर्जन कम होगा और धरती को पहले के मुकाबले कम नुकसान होगा।
हवाई यातायात में आने वाली कमी का सीधा असर तेल के व्यापार पर पड़ेगा। भविष्य में तेल की कीमतों के कम होने के पूरे आसार होंगे। इसकी एक वजह ये भी होगी कि भविष्य में हम दूसरे विकल्पों से चलने वाली गाडि़यां समेत सोलर प्लेन को भी उड़ते हुए देख सकेंगे। यही वजह है कि भविष्य में तेल पर दुनिया की अर्थव्यवस्था टिकी नहीं रहेगी। इसका एक विपरीत असर उन देशों पर जरूर पड़ेगा जो समय रहते दूसरे विकल्प नहीं खोज लेते हैं। उदाहरण के तौर पर मिडिल ईस्ट के कई देशों की अर्थव्यवस्था तेल पर टिकी है। यदि इन्होंने समय रहते अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए दूसरे विकल्पों पर विचार नहीं किया तो वर्तमान में अमीर कहलाने वाले ये देश गरीब भी हो जाएंगे।
भविष्य की दुनिया मुमकिन है रोबोट पर केंद्रित हो। हम रेस्तरां, अस्पतालों और अन्य दूसरी जगहों पर इनकी मौजूदगी को देख सकें। हालांकि इसका असर रोजगार पर विपरीत पड़ेगा। लेकिन दूसरी तरफ ये तकनीक के विकास को और बेहतर करेगा। आपको बता दें कि दक्षिण भारत में एक रेस्तरां में रोबो वेटर ही काम करते हैं।
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