Move to Jagran APP

भारत की इंटरनेट मार्केट हथियाने की चाहत में दुनिया की टॉप कंपनियां

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इस समय करीब पचास करोड़ इंटरनेट उपभोक्ता हैं, जिनकी संख्या में वर्ष दर वर्ष भारी मात्रा में वृद्धि दर्ज की जा रही है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 26 Jul 2018 03:24 PM (IST)Updated: Thu, 26 Jul 2018 03:24 PM (IST)
भारत की इंटरनेट मार्केट हथियाने की चाहत में दुनिया की टॉप कंपनियां
भारत की इंटरनेट मार्केट हथियाने की चाहत में दुनिया की टॉप कंपनियां

[पीयूष द्विवेदी]। गत वर्ष आई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इस समय लगभग पचास करोड़ इंटरनेट उपभोक्ता हैं, जिनकी संख्या में वर्ष दर वर्ष भारी मात्रा में वृद्धि दर्ज की जा रही है। इसके साथ ही सर्वाधिक इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या के मामले में चीन के बाद भारत दूसरे स्थान पर काबिज है। सरकार के डिजिटल इंडिया जैसे अभियान और रिलायंस द्वारा जिओ की शुरुआत के कारण इंटरनेट उपभोक्ताओं की तादाद में लगातार तेजी से वृद्धि हो रही है।

loksabha election banner

कहना न होगा कि ये भारत में इंटरनेट के चरमोत्कर्ष का दौर है और यही कारण है कि दुनिया की तमाम इंटरनेट से संबंधित कंपनियां अब भारत में भी अपना बाजार बनाने की कवायद में लगी हुई हैं। इसमें फेसबुक-ट्विटर जैसी सोशल मीडिया कंपनियां भी हैं और अमेजन, फ्लिपकार्ट, अलीबाबा जैसी तमाम स्वदेशी-विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां भी, जिनके बीच अपने-अपने क्षेत्र में अग्रणी बनने की स्पर्धा चलती रहती है, लेकिन अब हाल के दो-तीन वर्षों में ऐसी ही स्पर्धा ऑनलाइन वीडियो सामग्री की प्रस्तोता कंपनियों के बीच भी देखने को मिल रही है।

गौर करें तो लंबे समय से इंटरनेट पर वीडियो सामग्री के मामले में गूगल के स्वामित्व वाली कंपनी यूट्यूब का ही वर्चस्व रहा है, जिसको टक्कर देने के लिए अब कई देसी-विदेशी कंपनियां मैदान में उतर पड़ी हैं। इनमें हॉटस्टार, नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो, जी फाइव, वूट आदि कुछ उल्लेखनीय नाम हैं। इन माध्यमों की खास बात यह है कि ये सेंसरमुक्त होने के कारण उन सब प्रकार की सामग्रियों के प्रसारण की अनुमति देते हैं, जिन्हें सिनेमा व धारावाहिकों के पारंपरिक प्रसारण माध्यमों पर प्रसारित नहीं किया जा सकता। इस आजादी के कारण इन माध्यमों की तरफ कई भारतीय निर्माता निर्देशकों का रुझान हुआ है, लेकिन इसी के साथ इन माध्यमों के कुछ नकारात्मक परिणाम भी दृष्टिगत होने लगे हैं।

नेटफ्लिक्स का खेल

नेटफ्लिक्स 1997 में स्थापित हुई एक अमेरिकन कंपनी है। शुरुआती दौर में इसका कार्य सिर्फ फिल्मों आदि की डीवीडी बेचने और किराए पर देने का था, लेकिन अपनी स्थापना के एक दशक बाद 2007 में इसने अपने कार्य को विस्तार देते हुए ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग सेवा की भी शुरुआत की। इसके बाद विदेशों में नेटफ्लिक्स पर कई मौलिक फिल्में और वेब सीरिज प्रसारित हुए, जिनमें से ज्यादातर सफल भी रहे। इसकी सफलता का अनुमान इस आंकड़े से भी लगा सकते हैं कि 2008 में वीडियो स्ट्रीमिंग सेवा से इसकी कुल कमाई 1.38 बिलियन डॉलर थी, जो कि वर्ष 2017 में बढ़कर 11.69 बिलियन डॉलर पर पहुंच गई और इस वर्ष इसके 15 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

अमेरिका और यूरोप में सफलता के झंडे गाड़ने के बाद नेटफ्लिक्स की नजर संभावनाओं से भरे भारतीय बाजार पर पड़ी और 2016 में भारत नेटफ्लिक्स की शुरुआत हुई, लेकिन यूट्यूब और अमेजन प्राइम वीडियो सहित भारत के अपने वीडियो स्ट्रीमिंग माध्यमों जैसे कि हॉटस्टार, जिओ टीवी, वूट आदि से नेटफ्लिक्स का मुकाबला हुआ जिसमें कि उसे विफलता हाथ लगी। 2016 से 2017 का भारत में पहला एक साल नेटफ्लिक्स के लिए अपेक्षाकृत रूप से कुछ खास नहीं रहा।

अमेरिका की इस अग्रणी कंपनी को यहां रैंकिंग में काफी नीचे रहना पड़ा। ऐसे में नेटफ्लिक्स को भारत में अपने पांव जमाने के लिए कुछ ऐसी सामग्री लाने की जरूरत महसूस हुई जो भारतीय दर्शकों को आकर्षित कर सके। नेटफ्लिक्स की इस जरूरत में उसके साझीदार बने भारतीय सिनेमा के एक निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप और इस जुगलबंदी का नतीजा नेटफ्लिक्स की पहली भारतीय वेब सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ के रूप में आज हमारे सामने है। इस वेब सीरिज ने दर्शकों को आकर्षित करने में कुछ हद तक कामयाबी जरूर हासिल की है, लेकिन इसकी सिनेमाई तत्वों से इतर अनेक खामियां भी हैं, जिन्हें नजरंदाज नहीं किया जा सकता।

यथार्थ या मानसिक कुंठाएं

अनुराग कश्यप निर्देशित आठ भागों वाली इस वेब सीरिज ‘सेक्रेड गेम्स’ के प्रसारित होने के बाद से ही ज्यादातर समीक्षकों द्वारा इसकी बढ़-चढ़कर वाहवाही की जा रही है। ऐसा लग रहा है जैसे कश्यप ने भारतीय सिनेमा में कोई नया आविष्कार कर दिया हो। सैफ अली खान, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी और राधिका आप्टे की मुख्य भूमिका वाले सेक्रेड गेम्स में एक मुंबइया गैंगस्टर और एक पुलिस अधिकारी के द्वंद्व की कथा है, जिसके बीच हिंसा, हद पार करते अश्लील दृश्य, गाली-गलौज सहित राजनीति तथा धर्म की मनमाफिक व्याख्याओं की भरमार है। कह सकते हैं कि इसमें वो सारा मसाला है जो ऐसी चीजों के दुष्प्रभाव से अनजान भारत के एक खास दर्शक वर्ग को अपनी ओर खींच सकता है।

दरअसल अनुराग कश्यप इन्हीं चीजों के विशेषज्ञ हैं, जिसका प्रमाण उनकी देव डी, रमन राघव 2.0, गैंग्स ऑफ वासेपुर आदि तमाम फिल्मों को देखने से मिल जाता है। हां, सेक्रेड गेम्स को इसलिए विशिष्ट कहा जा सकता है कि इसमें कश्यप ने उक्त मसालों की प्रस्तुति के मामले में अब तक की अपनी सभी सीमाओं को लांघ दिया है। तर्क दिया जा रहा कि इस वेब सीरिज में जो दिखाया गया है, वो समाज का यथार्थ है। हो सकता है कि ये तर्क सही भी हो, लेकिन सामाजिक यथार्थ का दायरा तो बहुत व्यापक है, जिसके अंतर्गत भारत के गांवदेहात, खेती-किसानी की समस्याएं, रोजीरोटी के लिए प्रतिदिन संघर्षरत आम आदमी की चुनौतियां जैसे अनेक विषय आ सकते हैं। फिर अनुराग कश्यप जैसे निर्माता-निर्देशकों के लिए सामाजिक यथार्थ की सुई केवल सेक्स, हिंसा

और गाली-गलौज पर ही जाकर क्यों रुक जाती है, यह अपने आप में बड़ा सवाल है।

मगर बात इतनी ही नहीं है, असल समस्या तो यह है कि जिस माध्यम पर ‘सेक्रेड गेम्स’ प्रस्तुत किया जा रहा, वैसे माध्यमों पर प्रस्तुत की जाने वाली सामग्री के प्रमाणन हेतु कोई नियामक संस्था नहीं है। कश्यप ने सेक्रेड गेम्स में जितनी सामग्री का प्रदर्शन किया है, मुख्यधारा के प्रसारण माध्यमों जैसे कि सिनेमा हॉल या टीवी पर उतना नहीं कर पाते, क्योंकि तब उनके ऊपर नियामक संस्थाओं की निगरानी होती, लेकिन नेटफ्लिक्स पर प्रस्तुत सामग्री को किसी निगरानी की प्रक्रिया से नहीं गुजरना होता, इसलिए कश्यप को खुली छूट मिल गई और उन्होंने सामाजिक यथार्थ के नाम पर शायद अपने मन की सारी बातें प्रस्तुत कर दीं।

कमाई के तरीके

इन ऑनलाइन स्ट्रीमिंग कंपनियों की कमाई के ऊपरी तौर पर दो तरीके दिखाई देते हैं। एक दर्शकों द्वारा दिया जाने वाला सब्सक्रिप्शन मूल्य और दूसरा इन पर प्रसारित होने वाले विज्ञापन। नेटफ्लिक्स देखने के एवज में आदमी को महीने के पांच सौ से लेकर साढ़े आठ सौ रुपये तक खर्च करने होते हैं जिसके लिए उसे पंजीकरण के समय अपना क्रेडिट या डेबिट कार्ड का पूरा डाटा साझा करना होता है। इसके बाद महीना पूरा होते ही स्वत: खाते से निर्धारित राशि काट ली जाती है।

अमेजन प्राइम वीडियो, नेटफ्लिक्स की अपेक्षा कुछ सस्ता है और लगभग हजार रुपये में ही पूरे साल का सब्सक्रिप्शन देता है, लेकिन अपना क्रेडिट-डेबिट कार्ड का डाटा पंजीकरण के समय यहां भी साझा करना जरूरी है। डाटा चोरी पर चिंता जताने वाले लोग इन माध्यमों पर अपना पूरा डाटा बेझिझक साझा भी कर रहे हैं। शायद लोगों को इन कंपनियों के इस आश्वासन पर भरोसा है कि उनका डाटा सुरक्षित है, लेकिन वे शायद यह भूल गए हैं कि इस तरह का आश्वासन फेसबुक भी देता है, लेकिन उसी फेसबुक से डाटा चोरी होने का ‘कैंब्रिज एनेलिटिका’ प्रकरण अभी हाल ही में चर्चित हुआ था।

तिसपर विडंबना यह है कि पैसा खर्च करके इन माध्यमों पर लोग जो सामग्री देख रहे हैं, वो उनके दिमाग में सिवाय विकृतियों के और कुछ नहीं पैदा कर सकती। उदाहरण के तौर पर सेक्रेड गेम्स और गंदी बात जैसी वेब सीरीजों को ले लीजिए, इनकी जो सामग्री है उसे देखने के बाद क्या आदमी के दिमाग में कोई अच्छा विचार भी आ सकता है?

नियमन की दरकार

हालांकि ऑनलाइन स्ट्रीमिंग माध्यमों की उपर्युक्त विसंगतियों पर चर्चा करने का यह अर्थ बिलकुल नहीं है कि ये माध्यम एकदम ही खराब हैं और इन्हें बंद कर देना चाहिए। इनकी कुछ अच्छी बातें भी हैं। पहली चीज कि इनकी सभी वेब सीरिज खराब ही हों, ऐसा नहीं है। साथ ही इन माध्यमों पर इनकी अपनी वेब सीरिज आदि के अलावा मुख्यधारा के प्रसारण माध्यमों पर प्रसारित तमाम फिल्में और टीवी धारावाहिक भी एक साथ बड़े सहज ढंग से देखे जा सकते हैं। ऐसे में उचित यही प्रतीत होता है कि इन माध्यमों को सेंसर बोर्ड या उसी के जैसी किसी अन्य नियामक संस्था की सीमित निगरानी में लाया जाए, जिससे इनकी प्रसारण संबंधी स्वतंत्रता पर तो बहुत अधिक प्रभाव न पड़े, लेकिन इनके दुरुपयोग पर अंकुश लग सके ताकि ये माध्यम कला के नाम पर कुंठाओं की अभिव्यक्ति का अड्डा बनकर न रह जाएं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इस समय करीब पचास करोड़ इंटरनेट उपभोक्ता हैं, जिनकी संख्या में वर्ष दर वर्ष भारी मात्रा में वृद्धि दर्ज की जा रही है। इसके साथ ही सर्वाधिक इंटरनेट उपभोक्ताओं के मामले में चीन के बाद भारत दूसरे स्थान पर काबिज है। कहना न होगा कि यह भारत में इंटरनेट के चरमोत्कर्ष का दौर है और यही कारण है कि इंटरनेट से संबंधित दुनिया की तमाम कंपनियां अब भारत में भी अपना बाजार बढ़ाने की कवायद में लगी हुई हैं

[शोधाथी] 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.