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World Toilet Day: 35.5 करोड़ महिलाओं को अाज भी शौचालय मुहैया नहीं

व्यापक प्रगति के बावजूद 73.2 करोड़ से ज्यादा लोग या तो खुले में शौच करते हैं या फिर असुरक्षित या अस्वच्छ शौचालयों का इस्तेमाल करते हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Sun, 19 Nov 2017 10:29 AM (IST)Updated: Sun, 19 Nov 2017 02:01 PM (IST)
World Toilet Day: 35.5 करोड़ महिलाओं को अाज भी शौचालय मुहैया नहीं
World Toilet Day: 35.5 करोड़ महिलाओं को अाज भी शौचालय मुहैया नहीं

 नई दिल्ली(जेएनएन)। आबादी के लिहाज से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश भारत में बुनियादी साफ-सफाई के बिना रहने वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। वॉटरएड की स्टेट ऑफ द व‌र्ल्ड टॉयलेट्स 2017 की रिपोर्ट में यह चौंकाने वाले अांकड़े सामने आए हैं। रिपोर्ट बताती है भारत में स्वच्छ भारत मिशन के तहत हुई व्यापक प्रगति के बावजूद 73.2 करोड़ से ज्यादा लोग या तो खुले में शौच करते हैं या फिर असुरक्षित या अस्वच्छ शौचालयों का इस्तेमाल करते हैं।

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यह स्थिति महिलाओं और लड़कियों के लिए और खराब है। 35.5 करोड़ महिलाओं और लड़कियों को अभी भी शौचालय का इंतजार है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह संख्या अगर कतार में एक साथ ख़़डी हों तो धरती का चार बार चक्कर लगा सकती हैं।

खुले में शौच में कमी

- सफाई अभियान से खुले में शौच करने वालों की संख्या में 40 फीसदी कमी दर्ज की गई। यानी अब 10 करोड़ से अधिक लोग शौचालय का इस्तेमाल करते हैं। वैश्विक स्तर पर खुले में शौच रोकने वाले शीर्ष 10 देशों में भारत छठे स्थान पर है।

 इन देशों में शौचालयों की कमी
शीर्ष 5 देश इन लोगों को शौचालय की सुविधा नहीं
भारत - 73.2 करोड़ (56 फीसदी)
चीन - 34.3 करोड़(25 फीसदी)
नाइजीरिया - 12.8 करोड़ (67 फीसदी)
इथोपिया - 9.24 करोड़ (93 फीसदी)
बांग्लादेश - 8.55 करोड़ (53 फीसदी)

 भारत के इन राज्यों के खुले में शौच से 100 फीसद मुक्ति का दावा

 मध्यप्रदेश, छत्तीसगड़, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड, उत्तर प्रदेश।

स्वच्छ भारत मिशन के जरिए सफाई में प्रगति
- अक्टूबर 2014 से नवंबर 2017 के बीच 5.2 करोड़ शौचालयों का निर्माण हुआ।
- 40 लाख निजी शौचालय का निर्माण।
- 2.23 लाख कम्यूनिटी और पब्लिक टॉयलेट बनाए गए।
- 1,334 शहर खुले में शौच से मुक्त।

 रोचक तथ्य
- एक व्यक्ति अपनी जिदंगी के तीन साल शौचालय में बिता देता है।
- 'साइको' पहली फिल्म थी, जिसमें 'टॉयलेट फ्लशिंग' दिखाई गई थी।
- किंग जॉर्ज द्वितीय की 25 अक्टूबर 1760 को शौचालय में गिरने से मौत हो गई थी।
- अगर दुनिया के सात अरब लोग एक साथ फ्लश वाले शौचालय का इस्तेमाल करने लगें तो कुल 24.5 अरब गैलन पानी लगेगा।
- प्रति टॉयलेट फ्लश में 3.5 गैलन पानी लगता है।
- प्रति वषर्ष 20 करोड़ टन मानव वेस्ट की कोई प्रोसेसिंग नहीं होती।

आपकी टॉयलेट सीट इन सभी चीजों से ज्यादा साफ है
- फ्रिज का दरवाजा, टेडी बियर, कार का स्टीयरिंग व्हील।
-किचन साफ करने का स्पंज (इसमें दो लाख से अधिक कीटाणु होते हैं)।
- डेस्क (इस पर 400 से अधिक कीटाणु होते हैं)।

खुले में शौच के खतरे

1. बच्चे हो रहे बीमार
डायरिया से हर साल 60,700 भारतीय बच्चों की मौत होती है। वहीं खुले में शौच के चलते होने वाली बीमारियों से 38 फीसदी बच्चों का शारीरिक विकास बाधित होता है। मध्य प्रदेश, छत्तीसग़़ढ, उत्तर प्रदेश, बिहार और असम में पांच साल से कम उम्र के सबसे ज्यादा बच्चों डायरिया के शिकार होते हैं।
2. महिलाओं से छेड़खानी
शौचालय न होने से पूरी दुनिया में 1.1 अरब महिलाएं पढ़ाई छोड़ने की मजबूरी और उत्पीड़न की शिकार होती हैं। ग्रामीण भारत में भी लड़कियों के पढ़ाई छोड़ने और स्कूल न जाने का बड़ा कारण शौच की सुविधा न होना है। एक रिपोर्ट के मुताबिक स्कूल में सुविधा न होने के चलते 28 फीसदी लड़कियां पीरियड के दिनों में स्कूल नहीं जाती हैं।

इसलिए मनाया जाता है शौचालय दिवस

-- 'वेस्टवॉटर' है इस वर्ष के विश्व शौचालय दिवस की थीम
- 2001 में विश्व शौचालय संगठन ने इसकी शुरआत की थी
- अंतरराष्ट्रीय स्वच्छता संकट की ओर ध्यान दिलाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।


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