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World Ozone Day-ओजोन परत के बिना पृथ्वी पर संकट में पड़ जाएगा जीवन

World Ozone Day- ओजोन की परत के बिना धरती पर जीवन मुश्किल हो जाएगा। आज के आधुनिक उपकरणों की वजह से इसमें कमी आ रही है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 07:19 PM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 07:03 AM (IST)
World Ozone Day-ओजोन परत के बिना पृथ्वी पर संकट में पड़ जाएगा जीवन
World Ozone Day-ओजोन परत के बिना पृथ्वी पर संकट में पड़ जाएगा जीवन

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। World Ozone Day - विश्व ओज़ोन दिवस हर साल 16 सितंबर को पूरे दुनिया में मनाया जाता है। ओजोन परत ओजोन अणुओं की एक परत है जो विशेष रूप से 20 से 40 किलोमीटर के बीच के वायुमंडल में पाई जाती है। ओजोन परत के बिना पृथ्वी पर जीवन संकट में पड़ जाएगा। प्राकृतिक संतुलन बिगडने के कारण सर्दियों की तुलना में अधिक गर्मी होती है और सर्दियां अनियमित हो जाती है। 

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खुद ही ओजोन परत मिटाने में लगे हैं लोग 

धरती पर जीवन को पनपने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है। जो चीज इंसान को कड़ी मेहनत और प्रकृति से फलस्वरूप मिली है उसे आज खुद इंसान ही मिटाने पर लगा हुआ है। लगातार प्रकृति के कार्यों में हस्तक्षेप कर इंसान ने खुद को प्रकृति के सामने ला खड़ा किया है जहां प्रकृति उसका विनाश कर सकती है। जंगलों, वनों की कटाई कर असंतुलन पैदा किया जा रहा है। गाड़ियों ने हवा को प्रदूषित कर कर दिया है तो वहीं उस जल को भी इंसान ने नहीं बख्शा जिसकी वजह से धरती पर जीवन संचालित होता है।

ओज़ोन एवं ओजोन परत

ओज़ोन एक हल्के नीले रंग की गैस होती है जो आक्सीजन के तीन परमाणुओं (O3) का यौगिक है। ओज़ोन परत सामान्यत: धरातल से 10 किलोमीटर से 50 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच पाई जाती है। यह गैस सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के लिए एक अच्छे फिल्टर का काम करती है। सूर्य से निकलने वाली खतरनाक किरणों से ओज़ोन परत हमें बचाती है, मगर जहरीली गैसों से ओज़ोन परत में एक छेद हो गया है और अब इस छेद को भरने के प्रयास हो रहे हैं।

यह जहरीली गैसें हम इंसानों द्वारा एसी और कूलर जैसे उत्पादों में इस्तेमाल होती हैं। यही नहीं, सुपर सोनिक जेट विमानों से निकलने वाली नाइट्रोजन आक्साइड भी ओज़ोन की मात्रा को कम करने में मदद करती है। ओज़ोन की परत विशेष तौर से ध्रुवीय वातावरण में बहुत कम हो गई है। ओज़ोन परत का एक छिद्र अंटार्कटिका के ऊपर स्थित है।

पराबैगनी किरणों से नुकसान

आमतौर पर ये पराबैगनी किरण (अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन) सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली एक किरण है जिसमें ऊर्जा ज्यादा होती है। यह ऊर्जा ओज़ोन की परत को नष्ट या पतला कर रही है। इन पराबैगनी किरणों को तीन भागों में बांटा गया है और इसमें से सबसे ज्यादा हानिकारक यूवी-सी 200-280 होती है। ओज़ोन परत हमें उन किरणों से बचाती है, जिनसे कई तरह की बीमारियां होने का खतरा रहता है।

पराबैगनी किरणों (अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन) की बढ़ती मात्रा से चर्म कैंसर, मोतियाबिंद के अलावा शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। यही नहीं, इसका असर जैविक विविधता पर भी पड़ता है और कई फसलें नष्ट हो सकती हैं। इनका असर सूक्ष्म जीवाणुओं पर होता है। इसके अलावा यह समुद्र में छोटे-छोटे पौधों को भी प्रभावित करती जिससे मछलियों व अन्य प्राणियों की मात्रा कम हो सकती है।

विश्व ओजोन दिवस का इतिहास

ओज़ोन परत के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए पिछले दो दशक से इसे बचाने के लिए कार्य किए जा रहे हैं। लेकिन 23 जनवरी, 1995 को यूनाइटेड नेशन की आम सभा में पूरे विश्व में इसके प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ओज़ोन दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। उस समय लक्ष्य रखा गया कि पूरे विश्व में 2010 तक ओज़ोन फ्रेंडली वातावरण बनाया जाए।

हालांकि अभी भी लक्ष्य दूर है लेकिन ओज़ोन परत बचाने की दिशा में विश्व ने उल्लेखनीय कार्य किया है। ओज़ोन परत को बचाने की कवायद का ही परिणाम है कि आज बाज़ार में ओज़ोन फ्रेंडली फ्रिज, कूलर आदि आ गए हैं। इस परत को बचाने के लिए ज़रूरी है कि फोम के गद्दों का इस्तेमाल न किया जाए। प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम हो।  


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