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इंटरनेट से दुनियाभर में लगी 600 अरब डॉलर की चपत, आप भी रहें सावधान!

वैश्विक अर्थव्यवस्था में साइबर अपराध से सालाना लगने वाली छह सौ अरब डॉलर की रकम 80 देशों की अर्थव्यवस्था के बराबर है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 23 Feb 2018 11:38 AM (IST)Updated: Fri, 23 Feb 2018 12:10 PM (IST)
इंटरनेट से दुनियाभर में लगी 600 अरब डॉलर की चपत, आप भी रहें सावधान!
इंटरनेट से दुनियाभर में लगी 600 अरब डॉलर की चपत, आप भी रहें सावधान!

नई दिल्ली (जेएनएन)। दुनियाभर में तेजी से बढ़ते साइबर अपराध से सालाना 600 अरब डॉलर की वैश्विक चपत लगती है। यह दावा ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी फर्म मैकएफी और सेंटर फॉर स्ट्रेटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआइएस) ने इकोनॉमिक इंपैक्ट ऑफ साइबरक्राइम-नो स्लोइंग डाउन नामक रिपोर्ट में किया है।

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80 देशों की अर्थव्यवस्था के बराबर

वैश्विक अर्थव्यवस्था में साइबर अपराध से सालाना लगने वाली छह सौ अरब डॉलर की रकम 80 देशों की अर्थव्यवस्था के बराबर है। इन देशों में मालदीव, ग्रीनलैंड, भूटान, अफगानिस्तान, जिम्बॉब्वे, अफगानिस्तान समेत कई अफ्रीकी देश शामिल हैं।

रूस सबसे आगे

रिपोर्ट के अनुसार साइबर अपराध के मामले में रूस सबसे आगे है। रूस वित्तीय संस्थानों को साइबर अपराध के जरिये सबसे अधिक निशाना बनाता है। इसके पीछे रूसी हैकरों की कुशलता और पश्चिमी देशों के कानूनों को धता बताने की उसकी फितरत है।

उत्तर कोरिया दूसरे स्थान पर

साइबर अपराध करने में रूस के बाद उत्तर कोरिया का स्थान है। वह साइबर अपराध से प्राप्त रकम और क्रिप्टोकरेंसी यानी ऑनलाइन वर्चुअल मुद्रा को अपने शासन को सशक्त बनाने में इस्तेमाल करता है। 2017 में दुनियाभर में हुए वन्नाक्राई रैनसमवेयर साइबर हमले में भी अमेरिका की जांच में उत्तर कोरिया को ही आरोपी ठहराया गया था। रूस और उत्तर कोरिया के अलावा साइबर अपराध करने वाले देशों में ब्राजील, भारत और वियतनाम का नाम भी है। वहीं चीन साइबर जासूसी में अव्वल है।

नई तकनीक अपना रहे अपराधी

रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में साइबर अपराध फैलाने के लिए साइबर अपराधी नई-नई तकनीकों का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे उन्हें साइबर अपराध करने में मदद मिल रही है। वे तकनीक की मदद से लाखों लोगों को एक साथ रैनसमवेयर (फिरौती) हमले की चपेट में ले रहे हैं। यह हमले स्वचालित होते हैं। वे क्रिप्टोकरेंसी में फिरौती मांगते हैं। इससे उनके पकड़े जाने का डर भी नहीं रहता।

वन्नाक्राई रैनसमवेयर

पिछले साल मई में साइबर अपराधियों ने एक साथ कई देशों के कंप्यूटरों को हैक करके रैनसमवेयर सॉफ्टवेयर के जरिये उनको लॉक कर दिया था। उसे खोलने के एवज में फिरौती बिटक्वाइन के रूप में मांगी थी। 150 देशों के दो लाख से भी अधिक कंप्यूटर इसकी चपेट में आए थे।

वेब एप्‍लीकेशन हमले में 7वां सर्वाधिक लक्षित देश है भारत
वर्ष 2017 में होने वाले 53,000 साइबर हमले का करीब 40 फीसद शिकार भारत का फिनांश सेक्‍टर रहा। इसे देखते हुए एक रिपोर्ट में भारत को वेब एप्लिकेशन अटैक (डब्ल्यूएए) के लिए लक्षित देशों की सूची में सातवें स्थान पर रखा गया है। हैकरों का सबसे पसंदीदा निशाना बैंक, इनवेस्टमेंट एजेंसी और बीमा कंपनियां हैं।

सिक्‍योरिटी संबंधित घटनाएं जैसे फिशिंग, वेबसाइट घुसपैठ, वायरस और रैनसमवेयर ने भारत में तेजी से बढ़ते बैंकिंग, फिनांश सर्विसेज एंड इंश्‍योरेंस को निशाना बनाया है। कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क सर्विसेज अकामाई टेक्‍नोलॉजीज की रिपोर्ट ने कहा- इससे मजबूत इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर व साइबर सिक्‍योरिटी के लिए रोडमैप नियोजन की वारंटी मिल रही है।

अकामाई के सीनियर सिक्योरिटी एडवोकेट मार्टिन मैकके ने कहा, ‘हमलावरों का मुख्य उद्देश्य हमेशा वित्तीय लाभ रहा है। पिछले कुछ सालों में ये अपना निशाना साधने के लिए रैनसमवेयर जैसे अधिक तरीके अपनाए हैं। अकामाई स्‍टेट ऑफ इंटरनेट सिक्‍योरिटी क्यू 4 2017 के शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि डिस्‍ट्रिब्‍यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (DDoS) हमले BFSI सेक्‍टर में पिछली तिमाही की तुलना में 2017 के चौथी तिमाही में 50 फीसद और बढ़ गयी। इसके बाद ही भारत को डब्‍ल्‍यूएए की लिस्‍ट में सातवें स्‍थान पर रखा गया है।


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