WHO ने बर्नआउट को माना बीमारी, सिंड्रोम जो काम के अधिक दबाव के कारण बनाता है बीमार
विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) ने बर्नआउट को एक बीमारी मानते हुए इसे पहली बार अपने इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन डिजीज (International Classification of Diseases) में सूचीबद्ध किया है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) ने बर्नआउट को एक बीमारी मानते हुए इसे पहली बार अपने इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन डिजीज (International Classification of Diseases) में सूचीबद्ध किया है। इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन डिजीज की सूची दुनियाभर में निदान और हेल्थ बीमाकर्ताओं के लिए एक बेंचमार्क के तौर पर उपयोग की जाती है। डब्ल्यूएचओ ने मंगलवार को जेनेवा में विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly) में इसकी घोषणा की।
क्या है बर्नआउट
चिकित्सा विज्ञान में काम के अधिक बोझ से होने वाले तनाव को बर्नआउट (Burnout) कहते हैं। डब्ल्यूएचओ की मानें तो बर्नआउट सिर्फ पेशेवर लोगों से जुड़ी समस्या है। यह एक तरह का सिंड्रोम है जो काम के अधिक दबाव की वजह से पैदा होता है। इस बीमारी का अब तक सफलतापूर्वक इलाज नहीं निकाला जा सका है। दुनियाभर के चिकित्सा विशेषज्ञों ने इसे एक बीमारी के तौर पर वर्गीकृत किया है।
दिखें ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान
विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) ने बर्नआउट के तीन लक्षण बताए हैं...
1- ऊर्जा की कमी (energy depletion) थकान और कार्यक्षमता में कमी महसूस होना
2- ऑफिस में काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाना, भूख नहीं लगना, ड्रग या अल्कोहल लेने की इच्छा होना
3- नकारात्मकता (feelings of negativism) महसूस करना, पेशेवर प्रभावकारिता कम होना
तुरंत करें ये उपाय
1- चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि आपको उपरोक्त लक्षण दिखें तो इसका अंदेशा है कि आप बर्नआउट से ग्रसित हो गए हैं। ऐसी स्थिति में आपको परिवार या दोस्तों से बात करने की भी जरूरत है।
2- चिकित्सा विज्ञान में भी माना गया है कि अत्यधिक तनाव से अनिद्रा, हृदय रोग और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। बर्नआउट की स्थिति में साथियों या बॉस से बात करनी चाहिए ताकि रिकवरी में सुविधा हो।
3- चूंकि इसकी कोई निर्धारित दवा नहीं है इसलिए ऐसे लक्षणों पर मनोरोग विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए ताकि उनकी मदद से इसे दूर करने में आसानी हो।
4- योग करें और फल, सब्जियां और फाइबर युक्त भोजन करें। समय से ऑफिस छोड़ें और कार्यालय के काम को घर पर करने से परहेज करें। परिवार के लोगों से घुलें मिलें और उनका सपोर्ट लें।
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