Move to Jagran APP

मजबूत बुनियाद पर खड़ी विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था

मोदी सरकार ने पिछले चार साल में जिस तरह के फैसले लिए उससे अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे अच्छी तेजी की उम्मीद सभी लोगों को थी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 04 Jun 2018 09:15 AM (IST)Updated: Mon, 04 Jun 2018 09:22 AM (IST)
मजबूत बुनियाद पर खड़ी विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था
मजबूत बुनियाद पर खड़ी विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था

[हर्षवर्धन त्रिपाठी]। भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गई है। देश की तरक्की की रफ्तार के इन आंकड़ों की उम्मीद कम ही लोगों को रही होगी। भले ही सरकार ने पिछले 4 साल में जिस तरह के फैसले लिए, उससे अर्थव्यवस्था में धीरे- धीरे अच्छी तेजी की उम्मीद सभी लोगों को थी। लेकिन अर्थशास्त्रियों का बड़ा वर्ग जिस तरह से नोटबंदी और जीएसटी की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को लड़खड़ाते देख रहा था, वैसा नहीं हुआ। नरेंद्र मोदी की सरकार के 4 साल पूरे हो चुके हैं। वैसे तो किसी भी चुनी हुई सरकार के लिए हिसाब देने का वक्त 5वें साल में होता है। लेकिन सच यही है कि चौथे साल के रिकॉर्ड से ही करीब साल भर बाद होने वाले चुनावों में जनता फैसला लेगी। इसीलिए हम उन योजनाओं और आर्थिक आंकड़ों की ही बात करेंगे जो चौथे साल में स्पष्ट नजर आ रहे हैं।

loksabha election banner

ताजा आंकड़े हैं 2017-18 के तरक्की की रफ्तार के। 2017-18 की आखिरी तिमाही यानी जनवरी से मार्च में भारतीय अर्थव्यवस्था की तरक्की की रफ्तार 7.7 फीसद रही है। पूरे साल की तरक्की की रफ्तार 6.7 फीसद रही है जो पिछले साल के 7.1 फीसद से कम है। लेकिन बीते वित्तीय वर्ष की आखिरी तिमाही के आंकड़ों को संदर्भ के साथ देखने पर भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद पर तैयार होती इमारत दिखने लगती है।

घरेलू खपत बढ़ाने पर जोर
एशियाई विकास बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री यासुवुकी सावादा का बयान भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार के 4 साल के कामों को स्पष्ट करता है। उन्होंने कहा कि 2018-19 के लिए भारत की अनुमानित 7 प्रतिशत से ज्यादा की तरक्की की रफ्तार आश्चर्यजनक रूप से तेज है। जबकि एशियाई विकास बैंक के मुताबिक 2018-19 में 7.3 फीसद और 2019-20 में 7.6 फीसद की विकास दर का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को 8 फीसद तरक्की की रफ्तार के पीछे भागने के बजाय आय असमानता पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा है कि विकास दर को निर्यात से ज्यादा घरेलू खपत से मदद मिलती है। यहां एक बात समझने की है कि निर्यात से कुछ लोगों को रोजगार और कंपनियों का बही-खाता बेहतर होने से जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े बेहतर दिख सकते हैं। लेकिन घरेलू खपत से ही अर्थव्यवस्था की असली तेजी समझ आती है। इससे देश में लोगों की खर्च करने की क्षमता और आय असमानता की कमी का भी पता चलता है। माना जा रहा है कि ढाई लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा की भारतीय अर्थव्यवस्था 2025 तक 5 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा की हो सकती है।

हालिया जारी आंकडे़ बताते हैं कि देश में खनन को छोड़कर सभी प्रमुख क्षेत्रों में तरक्की की रफ्तार अच्छी रही है। 2017-18 की चौथी तिमाही के आंकड़ों की तुलना करें तो मैन्युफैक्चरिंग की तरक्की की रफ्तार 9.1 फीसद रही है जो पिछले साल 6.1 फीसद थी। बिजली, गैस और जल आपूर्ति जैसी बेहद जरूरी सुविधा की बात करें तो तरक्की की रफ्तार पिछले साल के 8.1 फीसद के मुकाबिल 7.7 फीसद बनी हुई है। नोटबंदी की वजह से सबसे बुरा असर रियल एस्टेट क्षेत्र पर हुआ था। क्योंकि सबसे ज्यादा काली कमाई बिल्डरों ने ही लगा रखी थी। अब बहुत कम काले धन के साथ रियल एस्टेट क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और उसी का असर है कि चौथी तिमाही में इस साल कंस्ट्रक्शन सेक्टर 11.5 फीसद की रफ्तार से बढ़ा है, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में रियल एस्टेट बढ़ने के बजाय 3.5 फीसद घट गया था। नोटबंदी और रियल एस्टेट रेगुलेशन कानून से लोगों को अब सस्ता घर मिल पा रहा है। घरों की कीमत में 35 फीसद तक की कमी आई है। हालांकि काले धन के आधार पर खड़े बिल्डरों के दिवालिया होने से परेशान ग्राहकों की मुश्किल जस की तस बनी हुई है। सेवा क्षेत्र में भी अच्छी बढ़त देखने को मिली है।

कड़े फैसले ने बढ़ाई उम्मीद
आर्थिक मोर्चे पर सरकार जब कड़े फैसले ले रही थी, उस समय निजी क्षेत्र ने निवेश की रफ्तार घटा दी थी। निजी क्षेत्र को मोदी सरकार से इस तरह के कड़े फैसलों की उम्मीद भी नहीं रही होगी। इसीलिए निजी क्षेत्र के हाथ बांधने के दौरान सरकारी खर्च तेजी से बढ़ा है। रियल एस्टेट क्षेत्र में जब मंदी की बात की जा रही थी, उसी दौरान सरकार ने गांवों और शहरों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक करोड़ घर बनाकर तैयार कर दिए। उज्ज्वला योजना के तहत 4 करोड़ से ज्यादा घरों में रसोई गैस कनेक्शन दे दिया गया है। आर्थिक मोर्चे पर हुए इन कामों को सरकारी काम कहकर अर्थशास्त्री किनारे कर देते हैं। लेकिन सामाजिक योजना के साथ आर्थिक तरक्की का काम बड़े सलीके से मोदी सरकार ने किया है। नरेंद्र मोदी की सरकार के 4 सालों का हिसाब लगाते वक्त एक और बेहद जरूरी आंकड़ा ध्यान में रखना जरूरी है। वह है, सीधे खाते में जरूरतमंदों को मिलने वाली रकम का, जिसे सरकार डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर कहती है। 2014-15 से 2017-18 तक करीब 4 लाख करोड़ रुपये सीधे लोगों को खाते में चले गए।

एशियाई विकास बैंक जिस घरेलू खपत को बढ़ाने और आय की असमानता को कम करने की बात कह रहा है, उस लिहाज से ऊपर के तीनों आंकड़े भरोसा पैदा करते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किस तरह से भारत में परिवहन का तरीका बदल रहा है, साफ दिख रहा है। 2013-14 में सड़क निर्माण पर सरकार ने खर्च किए 32483 करोड़ रुपये और 2017-18 में सरकार ने 116324 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। इसका परिणाम रहा कि 2013-14 में 12 किलोमीटर प्रतिदिन सड़कें बनाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण आज 27 किलोमीटर प्रतिदिन राजमार्ग बना रहा है। देश की राजधानी दिल्ली के लोगों ने प्रदूषण और जाम पर ढेरों शेखचिल्ली फैसले झेले हैं। अब ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे और सराय काले खां से यूपी गेट तक 14 लेन की सड़क देखकर उन्हें समझ आ रहा होगा कि बड़ी समस्या का समाधान करने के लिए बड़े फैसलों को अमल में लाने की जरूरत होती है।

करदाताओं की बढ़ती संख्या
नोटबंदी और जीएसटी, दो ऐसे कड़े और बेहद जरूरी सुधार रहे हैं, जिसकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की 5 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गई है। विजय माल्या और नीरव मोदी के भागने का आरोप लगाकर विपक्ष इस बात की आलोचना करता है कि मोदी सरकार में आर्थिक अपराधी भाग गए। यह बात सही है। लेकिन यह भी सही है कि आर्थिक पारदर्शिता और मजबूती के लिए इतने बड़े प्रयास एक साथ कभी नहीं हुए, जितने इन 4 सालों में हुए हैं। आयकरदाताओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि इसी का परिणाम कहा जा रहा है। सिर्फ आयकरदाताओं की संख्या में ही वृद्धि नहीं हुई है, बल्कि आयकर चोरी और आर्थिक अपराध के मामलों में तेजी से सरकार ने कार्रवाई की है। इसे और आसानी से इस तरह से समझा जा सकता है कि सूट-बूट की सरकार का आरोप लगाता विपक्ष अब उद्योगपतियों पर टैक्स टेररिज्म की बात करने लगा है। गुजराती कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की संपत्तियों को जब्त करने के साथ ही जिस तेजी से आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, अभूतपूर्व है।

गुजरात के संदेसरा समूह की 4700 करोड़ रुपये की संपत्ति हाल ही में जब्त की गई है। आर्थिक अपराधों के मामले में मोदी सरकार की लगातार कार्रवाई ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सूट-बूट की सरकार के आरोप का प्रभाव लगभग शून्य कर दिया है। यूपीए सरकार में उद्योग संगठन और दूसरे सत्ता के दलाल प्रभावी थे। उनका दिल्ली के पावर कोरिडोर में महत्व ही खत्म हो गया है। उद्योग संगठन कह रहे हैं कि लॉबी नहीं कर पा रहे हैं।

मेक इन इंडिया का दिखता असर
विपक्ष कहता है कि मेक इन इंडिया से लेकर डिजिटल इंडिया सिर्फ नाम भर की योजनाएं हैं, जमीन पर कुछ देखने को नहीं मिला है। मेक इन इंडिया का बेहतर परिणाम समझने के लिए इस आंकड़ों को जरूर जानना चाहिए। आज देश में 120 मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां लगी हुई हैं। 6 करोड़ से बढ़कर भारत आज 22 करोड़ 50 लाख मोबाइल हैंडसेट बना रहा है। अर्थात आज 1 लाख 32 हजार करोड़ रुपये के मोबाइल का उत्पादन भारत में हो रहा है। 4 साल की मोदी सरकार को आर्थिक पैमाने पर परखें तो नीति विकलांगता और भरोसे का संकट झेल रही भ्रष्टाचारी व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए उसे लगातार कड़े फैसले लेने पड़े हैं। जिसकी वजह से कई बार अर्थव्यवस्था को झटके भी झेलने पड़े हैं। लेकिन पांचवें साल में सरकार के कड़े और शृंखलाबद्ध आर्थिक फैसलों का बेहतर असर दिखने लगा है। अर्थव्यवस्था की तरक्की की रफ्तार के ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि 4 साल के फैसले की दिशा सही है।

नरेंद्र मोदी की सरकार के चार साल पूरे हो चुके हैं। इस दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गई है। मोदी सरकार ने पिछले चार साल में जिस तरह के फैसले लिए उससे अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे अच्छी तेजी की उम्मीद सभी लोगों को थी। परंतु देश में अर्थशास्त्रियों का एक बड़ा वर्ग जिस तरह से नोटबंदी और जीएसटी की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को लड़खड़ाते देख रहा था, वैसा नहीं हुआ।
[वरिष्ठ पत्रकार] 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.