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World Environmental Day 2019: 750 फलदार पेड़ों की परवरिश के साथ जरूरतमंदों का सहारा बना वृक्ष मंदिर

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में है यह अनोखा मंदिर। 20 गांवों के सेवादार प्रतिदिन करते हैं श्रमदान।

By Nitin AroraEdited By: Published: Tue, 04 Jun 2019 09:44 PM (IST)Updated: Tue, 04 Jun 2019 09:44 PM (IST)
World Environmental Day 2019: 750 फलदार पेड़ों की परवरिश के साथ जरूरतमंदों का सहारा बना वृक्ष मंदिर
World Environmental Day 2019: 750 फलदार पेड़ों की परवरिश के साथ जरूरतमंदों का सहारा बना वृक्ष मंदिर

बुरहानपुर, युवराज गुप्ता। जिसका उद्देश्य ही पर्यावरण का पवित्र संदेश देना हो उसे वृक्ष मंदिर नाम देना गलत नहीं हो सकता। बुरहानपुर स्थित वृक्ष मंदिर में लगे 750 फलदार वृक्षों की परवरिश का जिम्मा स्वाध्याय परिवार ने उठा रखा है। 20 गांवों के सेवादार यहां प्रतिदिन श्रमदान करने आते हैं। खास बात यह है कि सेवा के बदले वृक्ष भी ताजा हवा और स्वच्छ पर्यावरण के अलावा जरूरतमंदों के घर चलाने में भी मदद कर रहे हंैं। यहां फलों की बिक्री से होने वाली आय का एक हिस्सा जरूरतमंदों को दिया जा रहा है।

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अमरावती रोड पर बुरहानपुर से करीब 15 किलोमीटर दूर 10 एकड़ में बसा है सांदीपनि वृक्ष मंदिर। बंजर जमीन पर अथक परिश्रम से इसे स्वाध्याय परिवार ने तैयार किया है। वृक्ष मंदिर में 750 फलदार वृक्ष लगे हैं। इनमें चीकू और आम के वृक्ष भी हैं। इनकी देखभाल की जिम्मेदारी जिले के 20 गांवों के 1500 से अधिक लोगों को सौंपी गई है। सारोला, दरियापुर, बंभाड़ा, डोईफोड़िया, सांडसकलां, इच्छापुर, चापोरा, दापोरा, खकनार, धाबा, देड़तलाई, शाहपुर, अंतुर्ली आदि गांवों के लोग यहां आकर सेवा करते हैं। सीमावती महाराष्ट्र के गांवों से भी स्वाध्याय परिवार के सदस्य श्रमदान के लिए आते हैं। सभी सेवादार यहां निर्धारित समय पर पहुंचते हैं और जुट जाते हैं वृक्षों की साज-संभाल में। ये सभी निस्वार्थ भाव से वृक्षों की सेवा करते हैं। सेवा का यह सिलसिला करीब 22 वर्ष से निरंतर चल रहा है।

हर साल मदद
स्वाध्याय परिवार के दामोदर दास श्रॉफ बताते हैं कि वृक्ष मंदिर के पेड़ों पर लगने वाले फलों को खरीदने यहां कई गांवों के लोग आते हैं। फलों की बिक्री से होने वाली आय से वृक्ष मंदिर का रखरखाव खर्च पूरा होता है। शेष राशि जरूरतमंद गरीबों पर खर्च की जाती है। आर्थिक रूप से विपन्ना परिवारों को प्रतिवर्ष उनकी जरूरत के हिसाब से बर्तन, कपड़े, अनाज और अन्य गृहस्थी का सामान दिया जाता है। इस मदद के बदले उनसे कुछ चाहा नहीं जाता बल्कि पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिए उन्हें पेड़ लगाने के लिए प्रेरित जरूर कि या जाता है।

पर्यावरण का महत्व बताने के लिए बना
इच्छापुर के शोभाराम भाई और कि शोर भाई ने बताया कि 22 साल पहले स्वाध्याय परिवार ने वृक्ष मंदिर की नींव रखी थी। इसके पीछे स्वच्छ पर्यावरण के लिए वृक्षों के महत्व से लोगों को परिचित करवाना था। खास बात यह है कि स्वाध्याय परिवार के सदस्य और इससे जुड़े लोग वृक्षों का न सिर्फ सम्मान करते हैं, बल्कि उन्हें देवता स्वरूप भी मानते हैं।

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