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दिव्यांगों की जिंदगी आसान बनाती तकनीक, बोलकर लिखना हो जाएगा आसान; जानिए कैसे काम करेंगी ये टेकनीक

World Disability Day 2021 डाट बुक यह भारत का पहला ब्रेल लैपटाप है जिसे आइआइटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने विकसित किया है। यह नियमित लैपटाप जैसी स्क्रीन के बजाय ब्रेल का उपयोग करता है। दिव्यांगों के लिए इससे पढ़ना और लिखना आसान हो सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 12:06 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 12:42 PM (IST)
दिव्यांगों की जिंदगी आसान बनाती तकनीक, बोलकर लिखना हो जाएगा आसान; जानिए कैसे काम करेंगी ये टेकनीक
कुछ उन तकनीकों के बारे में, जो दिव्यांगों के लिए उपयोगी हो सकती हैं...

अमित निधि। तकनीक की वजह से दिव्यांगों की जिंदगी अब कुछ हद तक आसान होने लगी है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनियाभर में एक अरब से अधिक लोग किसी न किसी प्रकार की दिव्यांगता से पीड़ित हैं। इसलिए अब तकनीकी कंपनियां भी अपने उत्पादों को एक्सेसिबिलिटी सुविधाओं को ध्यान में रखकर तैयार करने लगी हैं। हाल के वर्षों में कई ऐसी सहायक प्रौद्योगिकी (असिस्टिव टेक्नोलाजी) विकसित की गई हैं, जो दिव्यांगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं।

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आसान हो जाएगा पढ़ना: जो लोग देख नहीं सकते, वे चीजों को पढ़ेंगे कैसे? अब ऐसे लोगों के लिए भी तकनीकी समाधान उपलब्ध हैं। वायस ड्रीम रीडर ऐसा ही उपयोगी टूल है। यह किसी भी माध्यम से आये टेक्स्ट को पढ़कर सुनाता है। चाहे वह माइक्रोसाफ्ट वर्ड फार्मेट में हो या फिर पीडीएफ या वेबपेज। यहां पर उपलब्ध करीब 36 वायस में यूजर एक का चयन कर सकते हैं, जिनमें वे टेक्स्ट को सुनना चाहते हैं। यूजर चाहें, तो आवाज या फिर पढ़ने की गति को अपनी सुविधा के हिसाब से समायोजित कर सकते हैं। आइओएस यूजर के लिए उपलब्ध यह एप फ्री और पेड दोनों ही वर्जन में उपलब्ध है। वहीं एंड्रायड यूजर्स के लिए ‘लेगेरे रीडर’ एक विकल्प हो सकता है। यह रीडिंग टूल है। जो व्यक्ति देख नहीं सकते, वे इसकी मदद से टेक्स्ट को सुन सकते हैं। यह 24 भाषाओं को सपोर्ट करता है। इसकी मदद से टेक्स्ट डाक्यूमेंट्स को म्यूजिक की तरह सुना जा सकता है। यह स्क्रीन लाक होने के बाद भी पढ़ना जारी रखता है। इसमें पढ़ने की गति 50-700 शब्द प्रति मिनट है, जिसे सुविधा के हिसाब से समायोजित किया जा सकता है।

ऐसे जानेंगे आसपास क्या है: माइक्रोसाफ्ट का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित सीइंग एआइ एप उन लोगों के लिए उपयोगी है, जो आसपास की चीजों को देख नहीं सकते हैं। इसे खासतौर पर लो-विजन वाले यूजर्स को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है। यह आसपास के व्यक्ति, टेक्स्ट और चीजों के बारे में बताता है। इसमें जैसे ही कोई टेक्स्ट कैमरे के सामने आएगा, यह बोल कर उसके बारे में बताएगा। इसमें लोगों के चेहरे सेव कर सकते हैं, ताकि आप उन्हें पहचान सकें। इसी तरह का एक और एप गूगल ने भी पेश किया है। इसका नाम है लुकआउट बाय गूगल। यह कंप्यूटर विजन का इस्तेमाल करता है। इसकी मदद से लो-विजन वाले यूजर डिवाइस के कैमरे का इस्तेमाल कर तेजी से कोई कार्य कर सकते हैं। यह कई भाषाओं को सपोर्ट करता है।

जो सुन नहीं सकते: जो व्यक्ति सुन नहीं सकते, उनके लिए ट्रांसेंस उपयोगी साफ्टवेयर है। इसकी मदद से सांकेतिक भाषा (साइन लैंग्वेज) या लिप-रीडिंग का उपयोग करके संवाद कर सकते हैं। इतना ही नहीं, इसमें समूह बातचीत की सुविधा भी है। बातचीत के दौरान प्रत्येक प्रतिभागी के स्मार्टफोन के माइक्रोफोन का उपयोग करके एप उनकी बातों को पकड़ लेता है और फिर उसे रीयल-टाइम में टेक्स्ट में बदल देता है। प्रत्येक यूजर का अपना संबंधित टेक्स्ट बबल होता है, जो अलग-अलग कलर में होता है। ठीक वैसे ही जैसे आप एक नियमित ग्रुप चैट में पाते हैं। इतना ही नहीं, गूगल लाइव कैप्शनिंग भी एक अच्छा उपाय हो सकता है। इसमें वीडियो, पाडकास्ट या फोन पर वायस नोट्स के लिए रीयल टाइम में कैप्शन सपोर्ट की सुविधा मिलती है। लाइव कैप्शन फीचर आडियो को पहचान कर आटोमैटिकली फोन की स्क्रीन पर कैप्शन देने लगता है। इसके लिए इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत होती है। इसी तरह का एक और हैंड टाक ट्रांसलेटर एप है, जो आटोमेटिकली टेक्स्ट और आडियो को अमेरिकन साइन लैंग्वेज में बदल देता है। इसकी खास बात है कि यह टेक्स्ट और आडियो को एआइ की मदद से साइन लैंग्वेज में बदल देता है।

बोलकर लिखना हो जाएगा आसान: आजकल बोलकर लिखने की सुविधा वाट्सएप जैसे मैसेजिंग एप के साथ गूगल डाक्स में भी उपलब्ध है। इसके अलावा, स्पीचनोट्स की भी मदद ले सकते हैं। इसमें स्पीच टु टेक्स्ट की सुविधा है यानी बोलकर नोट्स तैयार कर सकते हैं। इसके लिए माइक्रोफोन एक्सेस की सुविधा देनी होगी। इसकी मदद से लंबे नोट्स तैयार किए जा सकते हैं। इसी तरह का एक अन्य टूल लिस्टनोट स्पीच-टु-टेक्स्ट है। इसकी मदद से बोलकर आसानी से नोट्स लिखे जा सकते हैं।

खास हैं ये डिवाइस: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जोधपुर और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, जोधपुर के इनोवेटर्स ने स्पीच डिसएबिलिटी यानी बोलने की क्षमता खो चुके लोगों के लिए कम लागत वाला ‘टाकिंग ग्लव्स’ विकसित किया है। विकसित किए गए डिवाइस की कीमत 5,000 रुपये से कम है। यह बोलने में अक्षम लोगों और सामान्य लोगों के बीच सवांद के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) और मशीन लर्निंग (एमएल) के सिद्धांतों का उपयोग करता है। विकसित उपकरण व्यक्ति के हाथ के इशारों को टेक्स्ट या पहले से रिकार्ड की गई आवाजों में बदलने में मदद कर सकता है।

डाट बुक: यह भारत का पहला ब्रेल लैपटाप है, जिसे आइआइटी, दिल्ली के शोधकर्ताओं ने विकसित किया है। यह नियमित लैपटाप जैसी स्क्रीन के बजाय ब्रेल का उपयोग करता है। दिव्यांगों के लिए इससे पढ़ना और लिखना आसान हो सकता है।

मोबाइल में करें ये सेटिंग्स: मोबाइल में भी टेक्स्ट टु स्पीच की सुविधा होती है, लेकिन डिफाल्ट रूप से ये विकल्प बंद होते हैं। अपने एपल और एंड्रायड फोन में इस फीचर को आसानी से इनेबल कर सकते हैं। आइफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो फिर सेटिंग्स में जाने के बाद एक्सेसिबिलिटी में जाएं, फिर टेक्स्ट टु स्पीच वाले विकल्प को चालू कर दें। आपके पास एंड्रायड फोन है, तो फिर सेटिंग्स में एक्सेसिबिलिटी को सलेक्ट करें, फिर टेक्स्ट टु स्पीच आउटपुट को आन कर दें।

सीखें सांकेतिक भाषा: दिव्यांगों के लिए सांकेतिक भाषा का ज्ञान होना जरूरी है। इसके लिए इंडियन साइन लैंग्वेज उपयोगी मंच है। अच्छी बात यह है कि इंटरनेट कनेक्शन नहीं है, तब भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी मदद से अल्फाबेट, नंबर के साथ छोटे-छोटे वाक्य बनाना भी आसानी से सीखा जा सकता है। इसके साथ ही दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली चीजों से जुड़ी साइन लैंग्वेज को सीखना आसान हो सकता है। इसके अलावा, स्क्रिप्ट्स ड्राप्स भी उपयोगी है। अगर देश से कहीं बाहर जाते हैं तो यह साइन लैंग्वेज एप काम आ सकती है। इसकी मदद से अमेरिकन साइन लैंग्वेज को सीख सकते हैं। हर दिन पांच मिनट की प्रैक्टिस से साइन लैंग्वेज को सीखा जा सकता है। इसकी खास बात यह है कि साइन लैंग्वेज को स्क्रीन पर लिख कर भी लोगों से कम्युनिकेट कर सकते हैं। इसमें साइन लैंग्वेज से जुड़े लेसंस के साथ प्रैक्टिस के लिए गेम्स भी मिलेंगे।


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