स्वस्थ जीवन का आधार है स्वच्छता, विश्व स्वच्छता दिवस पर जानें इस क्षेत्र से जुड़ी प्रमुख समस्या
स्वच्छता जन स्वास्थ्य की आधारशिला है। गंदे वातावरण से जहां मन-चित्त भटकते रहते हैं वहीं डायरिया पीलिया गैस्ट्रो संबंधी बीमारियां भी होती हैं। स्वच्छता को जीवनशैली का हिस्सा बनाना चाहिए। सफाई बरतना एक सकारात्मक प्रवृत्ति है जो व्यक्ति को सुरक्षा तथा प्रतिष्ठा प्रदान करती है।
हरीश बड़थ्वाल। स्वच्छता जन स्वास्थ्य की आधारशिला है। गंदे वातावरण से जहां मन-चित्त भटकते रहते हैं वहीं डायरिया, पीलिया, गैस्ट्रो संबंधी बीमारियां भी होती हैं। स्वच्छता को जीवनशैली का हिस्सा बनाना चाहिए। सफाई बरतना एक सकारात्मक प्रवृत्ति है, जो व्यक्ति को सुरक्षा तथा प्रतिष्ठा प्रदान करती है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में शरीर, परिधान और आराधना स्थल की साफ-सफाई के साथ आचमन आदि से आत्मिक शुद्धि की प्रथा इसलिए है कि निर्मल परिवेश में सकारात्मक अनुभूतियों का वास रहता है।
खुले में शैच जाना विश्वव्यापी समस्या
खुले में शौच जाना विश्वव्यापी समस्या है। यह प्रवृत्ति विभिन्न व्याधियों का कारण बनती है। देश में स्वच्छता और शौचालय निर्माण की छुटपुट योजनाएं हैं। हालांकि, 1986 के केंद्रीय सफाई कार्यक्रम और संशोधित संपूर्ण सफाई कार्यक्रमों के साथ 1999 शुरू की गई, किंतु इसे ठोस, व्यावहारिक और व्यापक रूप देने का कार्य स्वच्छ भारत अभियान के तहत दो अक्टूबर, 2014 से आरंभ हुआ।
मोदी सरकार ने दिया नारा- शौचालय पहले, मंदिर बाद में
समुचित शौच व्यवस्था और सफाई को अध्यात्म से उच्चतर मानते हुए मोदी सरकार ने नारा दिया, ‘शौचालय पहले, मंदिर बाद में’। उन्हीं दिनों कहा गया कि उस घर में शादी न करें जहां पक्का शौचालय नहीं है। भारत से इतर हैती, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पापुआ-गिनी आदि देशों में भी आधे से अधिक निवासियों को शौचालय सुलभ नहीं हैं। हम भूल जाते हैं कि घर के अन्य कमरों की भांति शौचालय भी एक कक्ष है। हमें इसे भी साफ-सुथरा और प्रकाशमय रखना चाहिए।
प्रत्येक वर्ष 19 नवंबर को मनाया जाता है विश्व स्वच्छता दिवस
स्वच्छता का महत्व बताने के लिए प्रतिवर्ष 19 नवंबर को विश्व स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत का श्रेय विश्व टायलेट संगठन के संस्थापक सिंगापुर के जैक सिम को है। शौचालय से जुड़े घिनौनेपन के भाव को दूर करते हुए बेहतर स्वास्थ्य में इसकी महती भूमिका के मद्देनजर उन्होंने इस पर खुली चर्चा की पैरवी की और संयुक्त राष्ट्र ने इसे समर्थन दिया। भारत में उसी तर्ज पर सुलभ इंटरनेशनल ने देशव्यापी शौचालयों के संचालन से स्वच्छता कार्य में योगदान दिया है। इस दिवस का लक्ष्य विश्व के करीब 3.6 अरब लोगों को खुले में शौच जाने से रोकने और उचित शौचालयों के प्रयोग के लिए प्रेरित करना है।
संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य का उद्देश्य भी वर्ष 2030 तक सभी के लिए जल और स्वच्छता की पहुंच सुनिश्चित करना है। कोरोना महामारी का एक सकारात्मक पक्ष यह रहा कि संक्रमण से बचाव के लिए भय से ही सही स्वच्छता के प्रति सभी जागरूक हो गए। बार-बार हाथ धोने, खाद्य एवं अन्य वस्तुओं को संक्रमणहीन करने, अपने आस-पास गंदगी न होने देने के प्रति काफी हद तक अभ्यस्त हुए। स्वच्छता आंदोलन में भागीदारी से हम न केवल एक पुनीत कार्य में योगदान देते हैं, बल्कि व्यक्तिगत और राष्ट्रीय विकास को भी सुदृढ़ करते हैं।
(लेखक सामाजिक मामलों के जानकार हैं)