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World Children’s Day 2019: जानें, क्या हैं बाल अधिकार और इसे मनाने का उद्देश्य

World Children’s Day 2019 दुनियाभर में 20 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है। लेकिन भारत में इस दिन को बाल अधिकार दिवस के रुप में मनाया जाता है।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 08:54 AM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 08:54 AM (IST)
World Children’s Day 2019: जानें, क्या हैं बाल अधिकार और इसे मनाने का उद्देश्य
World Children’s Day 2019: जानें, क्या हैं बाल अधिकार और इसे मनाने का उद्देश्य

नई दिल्ली, एजेंसी। दुनियाभर में बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता है। वहीं, भारत में इस दिन को बाल अधिकार दिवस के तौर पर चिन्हित किया गया है। इस दिन को मनाने के पीछे उद्देश्य है कि बच्चों को उनके अधिकारों के बारे में जागरुक किया जा सके। हर साल 20 नवंबर को राष्ट्रीय कमीशन द्वारा बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए  एक राष्ट्रीय सभा आयोजित की जाती है। चलिए तो सबसे पहले आपको बताते है अखिर क्या है बाल अधिकार। 

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क्या है बाल अधिकार

वर्ष 1959 में बाल अधिकारों की घोषणा की गई थी। जिसे 20 नवंबर 2007 में स्वीकार किया गया। बाल अधिकार में जीवन का अधिकार, भोजन पोषण, स्वास्थ्य, विकास, शिक्षा, पहचान, नाम, राष्ट्रीयता, परिवार, मनोरंजन. बदसलूकी, सुरक्षा और बच्चों का गैर कानूनी व्यापार जैसे शामिल है। बच्चों की देखभाल और उनकी सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए मार्च 2007 में राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा के लिए भारत सरकार ने एक संवैधानिक संस्था या कमीशन बनाया था। 

इस दिन संगठनों सरकारी विभाग, भारत सरकार, नागरिक समाज समूह और एनजीओ कई सारे कार्यक्रमो का आयोजन करते है। जिससे की बच्चों की अच्छी देखभाल हो सके, उनके साथ किसी तरह का कोई दुर्व्यवहार ना हो, उन्हे सुरक्षित रखा जा सके, उन्हें सही से शिक्षा मिल सके, इसी के साथ मनोरंजन, खुशी और सीख मिल सकें। यही इस दिन को मनाने के मुख्य उद्देश्य भी है। 

बाल अधिकारों का हो सम्मान

भारत में हर साल बच्चों के अधिकारों को सम्मान करने और उन्हे सुनिश्चित करने के लिए बाल अधिकार दिवस मनाया जाता है। साथ ही ये भी सुनिश्चित किया जाता है कि बच्चों के अधिकार, नियम, कानून और लक्ष्य का पालन होता रहे। इसका उद्द्श्य ये भी है कि देशभर में बच्चों के अधिकारों को सभी तक पहुंचाने और अधिकारों के प्रचार करना है। साथ ही 18 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों के माता पिता को भी जागरुक किया जा सके, समाज लगातार बच्चों के अधिकारों को मजबूत करने के काम करें और कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए नई बाल अधिकार नीति बनाने के साथ ही उसे लागू करना भी इसका उद्देश्य है। 


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