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Physical Activity के मामले में भारतीय किशोर दुनिया में सातवें स्थान पर, जानें वजह

दरअसल मोबाइल लैपटाप टीवी और अन्य आधुनिक इलेक्ट्रानिक उपकरणों की मौजूदगी वाले इस दौर में किशोरों की शारीरिक निष्क्रियता दुनिया को चिंतित कर रही है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 08:59 AM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 09:09 AM (IST)
Physical Activity के मामले में भारतीय किशोर दुनिया में सातवें स्थान पर, जानें वजह
Physical Activity के मामले में भारतीय किशोर दुनिया में सातवें स्थान पर, जानें वजह

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। उन माताओं-पिताओं और अभिभावकों की चिंता गैरवाजिब नहीं है जो शिकायती लहजे में बताते हैं कि उनका बच्चा तो हमेशा मोबाइल फोन पर लगा रहता है। दरअसल मोबाइल, लैपटाप, टीवी और अन्य आधुनिक इलेक्ट्रानिक उपकरणों की मौजूदगी वाले इस दौर में किशोरों की शारीरिक निष्क्रियता दुनिया को चिंतित कर रही है। इस समस्या की पड़ताल के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक स्तर पर एक व्यापक अध्ययन कराया।

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2001 से 2016 के बीच दुनिया के 146 देशों के 11 से 17 साल के 16 लाख किशोर इसमें शामिल हुए। अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित इस रिपोर्ट के नतीजे बताते हैं कि विश्व स्तर पर 80 फीसद किशोर शारीरिक रूप से कतई निष्क्रिय हैं। इनमें 85 फीसद लड़के और 78 फीसद लड़कियां शामिल हैं। अच्छी बात यह है कि सबसे सक्रिय किशोरों वाले देश में भारत सातवें स्थान पर है।

बांग्लादेश शीर्ष पर

इस अध्ययन में बांग्लादेश के किशोर शीर्ष स्थान पर हैं। जबकि दक्षिण कोरिया के किशोर शारीरिक रूप से सबसे निष्क्रिय पाए गए। ध्यान रहे दुनिया में दक्षिण कोरिया सबसे आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माता के तौर पर जाना जाता है। रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में 11 से 17 साल के हर पांच किशोर में से सिर्फ एक ऐसा है जो खुद को स्वस्थ रखने लायक शारीरिक रूप से सक्रिय है। दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, कंबोडिया और सूडान जैसे देशों के 90 फीसद किशोर शारीरिक रूप से निष्क्रिय हैं।

भारत-बांग्लादेश में कम निष्क्रियता की वजह

बांग्लादेश में 66 फीसद और भारत में करीब 74 फीसद किशोर जरूरी मानक यानी एक घंटे से कम शारीरिक कसरत करते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि दोनों देशों में क्रमश: करीब 34 और 26 फीसद बच्चे मानक का पालन करते हैं। शोधकर्ता इसकी वजह देश में खेलों खासकर क्रिकेट की लोकप्रियता बताते हैं। इसके प्रतिकूल लड़कियों में बड़ी संख्या में निष्क्रियता की वजह सामाजिक कारणों को देते हैं। रिपोर्ट के अनुसार घरेलू कामों से ही उन्हें फुरसत नहीं मिलती।

सक्रियता और स्वास्थ्य

दुनिया के जाने-माने बाल स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि जो बच्चे शारीरिक रूप से ज्यादा सक्रिय रहते हैं, वे शारीरिक रूप से तो स्वस्थ रहते ही हैं, पढ़ाई में भी अच्छा करते हैं। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क के निवास करने की अवधारणा ऐसे ही नहीं है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानक

रिपोर्ट को तैयार करने वाले शोधकर्ताओं के अनुसार 11 से 17 साल के किशोरों को रोजाना न्यूनतम एक घंटे शारीरिक व्यायाम जरूरी है। लेकिन हकीकत में सिर्फ 19 फीसद बच्चे इस मानक को पूरा करते हैं।

शारीरिक सक्रियता में शामिल गतिविधियां

किशोरों की शारीरिक सक्रियता के आकलन में खेल के घंटे, घरेलू कामकाज, पैदल चलना और साइर्किंलग या अन्य तरह का सक्रिय आवागमन, शारीरिक शिक्षा और सुनियोजित कसरत शामिल रहे।

निष्क्रियता का दुष्प्रभाव

बच्चों की शारीरिक निष्क्रियता का सर्वाधिक दुष्प्रभाव उनमें मोटापे की समस्या के रूप में सामने आ रहा है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार 2016 में 5-19 आयुवर्ग के 34 करोड़ बच्चे दुनिया में मोटापे के शिकार थे। दिनोंदिन यह संख्या बढ़ रही है।


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