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घाटी छोड़ने के लिए बाहर के श्रमिकों को लगातार मिल रही थीं आतंकियों की धमकियां

जरीस शेख ने बताया कि श्रमिकों को घाटी छोड़ने के लिए आतंकियों की ओर से लगातार धमकियां मिल रहीं थीं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 11:39 PM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 11:39 PM (IST)
घाटी छोड़ने के लिए बाहर के श्रमिकों को लगातार मिल रही थीं आतंकियों की धमकियां
घाटी छोड़ने के लिए बाहर के श्रमिकों को लगातार मिल रही थीं आतंकियों की धमकियां

दीपक भट्टाचार्य, मुर्शिदाबाद। एक दिन पहले ही जम्मूृ-कश्मीर से लौटे जरीस शेख भोजन करने बैठे ही थे कि बेटे नइमुद्दीन शेख को आतंकियों द्वारा गोलियों से छलनी कर दिए जाने की खबर पहुंच गई। यह सुनने के बाद पिता ही नहीं बल्कि पूरे परिवार का हाल-बेहाल हो गया। मारे गए अन्य श्रमिकों के परिजनों का भी यही हाल है। उधर, जरीस शेख ने बताया कि श्रमिकों को घाटी छोड़ने के लिए आतंकियों की ओर से लगातार धमकियां मिल रहीं थीं।

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मजदूरी करने जम्मू-कश्मीर गए लोगों की हत्या की खबर से जिले के सागरदीघी थाना अंतर्गत बहालनगर तथा बोखरा-2 ग्राम पंचायत के बांभोनी गांव के लोग सकते में हैं। परिवारों में मची चीख पुकार से सियासतदानों से लेकर आम लोगों के आंखें नम हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि कश्मीर में सेब का मौसम अगस्त के दूसरे सप्ताह में शुरू होता है और अक्टूबर माह तक चलता है। इसके बाद मजदूर घर लौट आते हैं।

बीते मंगलवार को आतंकियों की गोली से छलनी हुए नइमुद्दीन शेख के पिता जरीस शेख भी कश्मीर में एक सेब बागान में मजदूरी करते हैं। उनका आरोप है कि प्रवासी श्रमिकों को घाटी छोड़ने के लिए लगातार आतंकियों की ओर से धमकियां मिल रही थीं। हर हाल में श्रमिकों को कश्मीर छोड़ने के लिए दबाव डाला जा रहा था। उन्हें धमकाया जा रहा था कि वे लोग कश्मीरियों की नौकरी खा रहे हैं।

धमकी के चलते वे बीते सोमवार को वापस लौट आए थे, लेकिन मजदूरी नहीं मिलने की वजह से बेटा नइमुद्दीन वहीं रुक गया था। उसे 31 अक्टूबर को घर लौटना था। वापसी के पल को याद कर जरीस के आंखें छलक उठीं। कहा कि लौटते वक्त बेटे को एक नजर नहीं देख पाया था, जिसका मलाल जीवन भर रहेगा। घर की दहलीज पर पछाड़ें मार रही पत्‍‌नी आबिदा बीबी अब भी यकीन करने को तैयार नहीं कि उसके पति की मौत हो चुकी है। मां नतून बीबी को अब भी बेटे नइमुद्दीन के गुरुवार को घर लौटने का इंतजार है।

भाई ने बताया था वादी में हालात ठीक नहीं

आतंकियों के हाथों मारे गए कमरुद्दीन शेख के बड़े भाई अमीनिरूल के अनुसार गत सप्ताह ही फोन पर भाई से बात हुई थी। उसने बताया था कि वादी में हालात ठीक नहीं हैं, इसलिए दिवाली बाद गांव लौटने पर वापस कश्मीर नहीं जाएगा। लेकिन, उसके आने से पहले की उसकी मौत की खबर पहुंच गई।

दुआ के बीच पहुंची दुखद सूचना

मुर्सलीम शेख की पत्‍‌नी सायरा बीबी मानने को तैयार नहीं है कि आतंकियों ने उसके पति के साथ ऐसी बर्बरता की होगी। बेटी सुहाना ने टीवी में कश्मीर में किसी अनहोनी के होने की खबर को देखा था। अल्लाह से पिता को सुरक्षित रखने की दुआ ही कर रही थी कि तभी थाने से पहुंची खबर ने घर की दहलीज पर दस्तक दे दी। मां मासूदा बीबी बेटे से हाल ही में हुई बात को याद कर दहाड़े मारने लगीं। सिर्फ इतना ही कह रही थी कि बेटे ने कहा था यहां बहुत ठंड है जल्दी ही घर लौट आऊंगा। मातम का यह आलम रफीक अहमद शेख और रफीकुल आलम के घर पर भी है। पूरा गांव सन्न है।


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