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मिसाइल ब्रह्मोस का 40 सुखोई लड़ाकू विमानों से एकीकृत करने का काम शुरू

सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का 40 सुखोई लड़ाकू विमानों से एकीकृत करने का काम शुरू हो गया है।

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Sun, 17 Dec 2017 02:24 PM (IST)Updated: Sun, 17 Dec 2017 03:11 PM (IST)
मिसाइल ब्रह्मोस का 40 सुखोई लड़ाकू विमानों से एकीकृत करने का काम शुरू
मिसाइल ब्रह्मोस का 40 सुखोई लड़ाकू विमानों से एकीकृत करने का काम शुरू

नई दिल्ली, पीटीआई: सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का 40 सुखोई लड़ाकू विमानों से एकीकृत करने का काम शुरू हो गया है। इस क्षेत्र में सुरक्षा गतिशीलता विकसित होने के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि यह भारतीय वायु सेना की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करेगी। 

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22 नवंबर को दूसरी बार सुखोई-30 एमकेआइ सुपरसोनिक लड़ाकू विमान से मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया गया था। वायु सेना के लिए इस मील का पत्थर माना जा रहा है। मुकाबला करने वाले 40 सुखोई विमानों पर ब्रह्मोस मिसाइल को एकीकृत करने का काम शुरू हो गया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार परियोजना के लिए एक समय सीमा निर्धारित की जा रही है।

परियोजना 2020 तक पूरा होने की उम्मीद है। 40 सुखोई जेट के बेड़े पर मिसाइल के एकीकरण के लिए राज्य एयरोस्पेस प्रमुख हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में संरचनात्मक संशोधन करने होंगे। 2.5 टन की मिसाइल ब्रह्मोस के मौजूदा स्पीड ध्वनि की गति से लगभग तीन गुनी बताई जा रही है और इसकी रेंज 290 किलोमीटर है।

पिछले साल मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का पूर्ण सदस्य बनने के बाद देश भारत-रूस संयुक्त उद्यम की मिसाइल की रेंज को 400 किलोमीटर सीमा तक बढ़ा सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल भारत के सु -30 लड़ाकू विमानों पर तैनात होने वाला सबसे बड़ा हथियार है।

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एयर-लॉन्च संस्करण की टेस्ट फायरिंग के बाद, वायुसेना ने कहा था कि सु-30 विमान के अच्छे प्रदर्शन के साथ मिसाइल सेना को एक रणनीतिक पहुंच देगी और भारतीय सेना इसका जमीन, सागर और हवा कहीं से भी इस्तेमाल कर सकती है। सुखोई विमान और मिसाइल का एकीकरण, सू -30 जेट के यांत्रिक, इलेक्ट्रिकल और सॉफ़्टवेयर संशोधनों से जुड़ी एक बहुत मुश्किल प्रक्रिया है।

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